देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि दो बच्चों का नियम लागू करने का आदेश हम कैसे दे सकते हैं? कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि आप बताइए कि इस कानून की जरूरत क्यों हैं? उसके बाद ही हम नोटिस देंगे।
अब इस मामले की 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी। दरअसल, भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती और देवकीनंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की है।
राज्यों को पक्षकार बनाने की गई थी मांग
सुनवाई शुरुआत में उपाध्याय ने याचिका के संबंध में दलील देते हुए कहा कि यह मामला जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित है। केंद्र सरकार इसमें अपना जवाब भी दाखिल कर चुकी है। उपाध्याय ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा संविधान की समवर्ती सूची में आता है इसलिए उन्होंने एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें राज्यों को भी पक्षकार बनाने की मांग की गई है।
कोर्ट ने कहा- आदर्श कई हैं, लेकिन आदेश कोर्ट नहीं दे सकता
CJI यूयू ललित और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि दो बच्चों की नीति लागू करने की मांग पर कोर्ट आदेश कैसे दे सकता है। इस पर उपाध्याय ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है। प्रधानमंत्री भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं। इसके बाद बेंच उपाध्याय से कहा कि बहुत सी आदर्श चीजें हैं लेकिन हम उस आदेश कैसे दे सकता है। आदेश तभी दिया जा सकेगा जब वह लागू हो सके।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हेमा कोहली की बेंच ने 30 सितंबर को रात 9:10 बजे तक मामलों की सुनवाई की। सुबह 10.30 बजे से बैठी इस बेंच ने लिस्टेड सभी मामलों की सुनवाई का फैसला किया था। कोर्ट की रेगुलर टाइमिंग सुबह 10.30 बजे से शाम 4 बजे तक होती है।