CJI यूयू ललित आज सुबह अपना उत्तराधिकारी के नाम का ऐलान करेंगे। माना जा रहा है कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें चीफ जस्टिस बन सकते हैं। CJI यूयू ललित ने सोमवार को सभी जजों को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने बताया कि वह मंगलवार सुबह अपने उत्तराधिकारी का नाम बताएंगे। CJI ललित 8 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर को CJI के रूप में शपथ ले सकते हैं।
कानून मंत्री किरन रिजिजू ने 7 अक्टूबर को CJI ललित को चिट्ठी लिखकर उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम बताने की अपील की थी। परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है।
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस थे
CJI ललित के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चंद्रचूड़ हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 9 नवंबर, 2022 से 10 नवंबर, 2024 तक यानी 2 साल का होगा। इनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें CJI थे। उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक यानी करीब 7 साल तक रहा। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उसी पद पर बैठेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ पिता के 2 बड़े फैसलों को SC में पलट भी चुके हैं। वह बेबाक फैसलों के लिए चर्चित हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पिता के 2 फैसले को पलटा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2017-18 में पिता के दिए दो फैसले एडल्टरी लॉ और शिवकांत शुक्ला वर्सेज एडीएम जबलपुर के फैसले को पलटा था।
- साल 1985 में तत्कालीन चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ की बेंच ने सौमित्र विष्णु मामले में IPC की धारा 497 को बरकरार रखा था। उस वक्त बेंच ने अपने फैसले में लिखा था- सामान्य तौर पर यह स्वीकार किया गया है कि संबंध बनाने के लिए फुसलाने वाला आदमी ही है न कि महिला।
2018 में इस फैसले को पलटते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा- एडल्टरी लॉ पितृसत्ता का संहिताबद्ध नियम है। उन्होंने कहा कि यौन स्वायत्तता को महत्व दिया जाना चाहिए।
- साल 1976 में शिवकांत शुक्ला बनाम एडीएम जबलपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना था। उस बेंच में पूर्व CJI वाईवी चंद्रचूड़ भी थे।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना। इस बेंच में डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में लिखा- एडीएम जबलपुर मामले में बहुमत के फैसले में गंभीर खामियां थीं। संविधान को स्वीकार करके भारत के लोगों ने अपना जीवन और निजी आजादी सरकार के समक्ष आत्मसमर्पित नहीं कर दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था। सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट में भी वह बतौर जज काम कर चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया के कई बड़े विश्वविद्यालयों में लेक्चर दे चुके हैं। बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या केस में जज रह चुके हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ के 3 बयान, जो चर्चा में रहे
हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट तारीख पे तारीख वाली अदालत बने। मुझे मामलों की फाइल पढ़ने के लिए सुबह साढ़े तीन बजे उठना पड़ता है। जज कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन वकील अपने मामले में बहस करने को तैयार नहीं होते है।
असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी मशीनरी को लगाना डर की भावना पैदा करता है। असहमति को राष्ट्र विरोधी कहना लोकतंत्र पर हमला है।
अलग विचार लोकतंत्र के प्रेशर कुकर में सेफ्टी वॉल्व की तरह है। इसे पुलिस की कड़ी ताकत से बांधा नहीं जा सकता है, नहीं तो ब्लास्ट हो जाएगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने SC जजों के लिए CJI के सुझाए नामों पर आपत्ति
जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य हैं। इन्होंने SC जजों के लिए CJI के सुझाए नामों पर आपत्ति जताई है। उनके अलावा जस्टिस नजीर ने भी 1 अक्टूबर को CJI के पत्र में अपनाए गए तरीके पर आपत्ति जताई है। हालांकि, उन्होंने इसमें किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ किसी भी विचार का खुलासा नहीं किया।
CJI ललित का 74 दिन का कार्यकाल
CJI उदय उमेश ललित ने 26 अगस्त, 2022 को चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी। CJI के तौर पर उनका कार्यकाल सिर्फ 74 दिन का होगा। ललित 6वें चीफ जस्टिस हैं जिनका कार्यकाल 100 दिन से कम होगा। क्रिमिनल लॉ विशेषज्ञ जस्टिस ललित 13 अगस्त, 2014 को बार से सुप्रीम कोर्ट के जज बने। बार से CJI बनने वाले वे दूसरे जज हैं।