बरेली। चौपुला स्थित बीएसएनएल एक्सचेंज से करोड़ों के उपकरण चोरी के मामले में बीएसएनएल के अधिकारी फंस गए हैं। यही वजह है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अब बीएसएनएल के अधिकारी जांच में पुलिस का सहयोग करने से कतरा रहे हैं।
17 मार्च को बीएसएनएल डिविजनल इंजीनियर ने दर्ज कराई थी रिपोर्ट
17 मार्च को बीएसएनएल की डिविजनल इंजीनियर मनोरमा सिंह ने कोतवाली में चौपला बीएसएनल ऑफिस के उपखंड अधिकारी अभिषेक जायसवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था । आरोप था कि एक्सचेंज उनकी देखरेख में था। वहां से 2.29600 लाख के 165 कार्ड गायब हो गए हैं। मुकदमे की विवेचना बिहारीपुर चौकी इंचार्ज जितेंद्र सिंह को सौंपी गई। जितेंद्र सिंह जब एक्सचेंज पहुंचे तो वहां ताला बंद मिला। उनके कई बार प्रयास करने और बातचीत के बावजूद भी बीएसएनएल के किसी अधिकारी ने विवेचना में सहयोग नहीं किया। उन्हें दस्तावेज और बयान नहीं दिए गए।
कोतवाली पुलिस ने बीएसएनएल अफसर को लिखी चिट्ठी, सहयोग नहीं कर रहे एक्सचेंज के अधिकारी
कोतवाली के जांच अधिकारी चौकी इंचार्ज बिहारीपुर जितेंद्र सिंह ने इस मामले में बीएसएनल महाप्रबंधक ऑफिस को चिट्ठी लिखी। उन्होंने लिखा कि चौपला एक्सचेंज के अधिकारी पुलिस की विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसके बाद बीएसएनल ऑफिस में खलबली मच गई। बीएसएनएल के महाप्रबंधक पंकज पोरवाल ने बताया कि इस मामले में विभागीय जांच कराई जा रही है। संबंधित अधिकारियों से कहा गया है कि वह पुलिस की जांच में सहयोग करें। इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग चल रही है।
बंद एक्सचेंज से गायब हो गए करोड़ों के कार्ड, 43 करोड का बताया जा रहा घोटाला
चौपुला एक्सचेंज से करीब 400 से 500 कार्ड गायब बताए जा रहे हैं। जब वहां ताला लगा रहा। बाहर सिक्योरिटी का पहरा रहा। इसके बावजूद चोरी कैसे हो गई। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कार्ड करीब 400 से 500 के आसपास गायब हुए हैं। एक ईडब्ल्यूएसडी कार्ड की विभागीय कीमत 8.70 लाख रुपये हैं। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक करीब 45.50 करोड़ के कार्ड व अन्य सामान चौपुला एक्सचेंज से गायब हुआ है। इसमें कई अधिकारी फंस गए हैं। इस वजह से पुलिस की जांच का सामना करने से बच रहे हैं।