श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज और कल, दोनों ही दिन मनेगी। आज मनाने वालों के लिए श्रीकृष्ण पूजा के 3 मुहूर्त हैं। 7 सितंबर को 4 मुहूर्त रहेंगे। आज सर्वार्थसिद्धि मुहूर्त के साथ पांच राजयोग में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनेगा। अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर करीब 3.30 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 4 बजे तक रहेगी। श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात में हुआ था, इसलिए ज्योतिषियों और ग्रंथों का कहना है 6 को जन्माष्टमी मनाएं।
7 तारीख को सूर्योदय के वक्त अष्टमी तिथि रहेगी, इसलिए उदया तिथि की परंपरा के मुताबिक ज्यादातर मंदिरों में इसी दिन जन्माष्टमी मनेगी। इस लिहाज से देश के ज्यादातर हिस्सों में 7 सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। कृष्ण जन्मोत्सव रात में मनाने की परंपरा है, लेकिन कुछ लोग रात में भगवान की पूजा नहीं कर पाते हैं। जिसके चलते दिनभर अष्टमी तिथि के दौरान शुभ मुहूर्त में कृष्ण पूजा कर सकते हैं। इसके लिए विद्वानों ने राहुकाल का ध्यान रखते हुए शुभ लग्न और चौघड़िया मुहूर्त बताए हैं। इस तरह 6 सितंबर को दिनभर में पूजा के लिए कुल 3 शुभ मुहूर्त रहेंगे।
कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। वृंदावन में उन्होंने बाल लीलाएं की और द्वारका के राजा बने और पुरी में भाई-बहन के साथ जगन्नाथ रूप में पूजे जाते हैं। इन धामों के पुजारी बता रहे हैं जन्माष्टमी पर कैसे करें पूजा
श्रीकृष्ण के पसंदीदा आठ फूल और पत्ते
फूल: वैजयंती, कमल, मालती, गुलाब, गेंदा, केवड़ा, कनेर और मौलश्री (बकुल)
पत्र: तुलसी, बिल्वपत्र, अपामार्ग, भृंगराज, मोरपंख, दूर्वा, कुशा और शमी
व्रत-उपवास से जुड़ी जरूरी बातें
जन्माष्टमी के ब्रह्म मुहूर्त से अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त तक व्रत करना चाहिए। इसके बाद अगले दिन रोहिणी नक्षत्र खत्म होने पर व्रत खोलने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। हालांकि कुछ लोग रात में 12 बजे के बाद ही व्रत पूरा कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। जानकारों का कहना है कि कोई भी व्रत अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख से नहीं बल्कि सूर्योदय से अग ले सूर्योदय तक रहता है।
उपवास में सेहत और स्थिति के हिसाब से फलों का जूस और सूखे मेवे लिए जा सकते हैं। दिन में थोड़ा फलाहार भी कर सकते हैं। शाम को पूजन के बाद राजगीरा, सिंघाड़ा या आलू से बनी चीजें खाई जा सकती हैं। आरती के बाद दूध पी सकते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जिन महिलाओं के छोटे बच्चे हो, उन्हें कुछ जरूर खाना चाहिए।