लंदन। ब्रिटेन की वैक्सीन टास्कफोर्स के चीफ डेम केट बिंघम का कहना है कि अगली महामारी 5 करोड़ लोगों की जान ले सकती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इस एंटीसिपेटेड महामारी को डिसीज X नाम दिया है।
वहीं, डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह महामारी कोविड-19 से 7 गुना ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है और जल्द ही फैल सकती है। यानी इसके मामले जल्द सामने आ सकते हैं। यह महामारी मौजूदा वायरस की वजह से ही फैलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वायरस तेजी से म्यूटेट हो रहे हैं।
म्यूटेशन का मतलब होता है कि किसी जीव के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव। जब कोई वायरस खुद की लाखों कॉपी बनाता है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक या जानवर से इंसान में जाता है तो हर कॉपी अलग होती है। कॉपी में यह अंतर बढ़ता जाता है। कुछ समय बाद एक नया स्ट्रेन सामने आता है। यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। वायरस अपना रूप बदलते रहते हैं। सीजनल इन्फ्लूएंजा तो हर साल नए रूप में सामने आता है।
महामारी आने से पहले ही वैक्सीन बनाने पर काम शुरू
ब्रिटेन के साइंटिस्ट्स ने डिसीज X के आने से पहले ही इससे लड़ने के लिए वैक्सीन बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए 25 तरह के वायरस पर स्टडी की। साइंटिस्ट्स का फोकस जानवरों में पाए जाने वाले वायरस पर है। यानी वो वायरस जो जानवरों से इंसानों में फैल सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि क्लाइमेट चेंज की वजह से कई जानवर और जीव-जंतु रिहायशी इलाकों में रहने के लिए आ रहे हैं।
क्लाइमेट चेंज बीमारियां फैला रहा
इंसानों ने डेवलपमेंट के नाम पर जंगलों को काटकर यहां घर और इंडस्ट्रीज बना लीं। इस कारण हमारा जानवरों, मच्छरों, बैक्टीरिया, फंगस से संपर्क बढ़ गया है। दूसरी तरफ ये सभी जीव-जंतु खुद को बदलती क्लाइमेट कंडिशन्स के अनुकूल बना रहे हैं और हमारे वातावरण में ही रह रहे हैं। इनसे कई बीमारियां फैल रही हैं, जो हमारे जीवन के लिए खतरनाक हैं। कंजर्वेशन इंटरनेशनल एनजीओ के फिजिशियन नील वोरा ने कहा- यह आने वाले समय की प्रॉब्लम नहीं है। क्लाइमेट चेंज अभी हो रहा है। लोगों पर इसका असर हो रहा है। वे मर रहे हैं। कई रिसर्च में सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन से बीमारियां फैल रही हैं।
निचली और गर्म जगहों पर रहने वाले जानवर बढ़ते तापमान को झेल नहीं पा रहे हैं इसलिए ऊंची और ठंडी जगहों की तरफ माइग्रेट हो रहे हैं। इनके साथ बीमारियां भी उन इलाकों तक पहुंच रही हैं, जहां पहले नहीं थीं।
बीमारियों से डायरेक्ट कॉन्टैक्ट बढ़ रहा
इंसान अपने जीवन के लिए कई जीवों पर निर्भर रहते हैं। वो सर्वाइवल के लिए इन्हें खा लेते हैं। इससे होता यह है कि इंसान इन जीवों में पनपने वाले बैक्टीरिया या इनसे फैलने वाली बीमारियां के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में आ जाते हैं।
अगली महामारी आने से पहले वॉर्निंग देगा AI: नया सिस्टम चिंताजनक-खतरनाक वैरिएंट का पता लगाएगा, वायरस के म्यूटेशन की भी जानकारी देगा
साइंटिस्ट्स ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम बनाया है जो अगली महामारी की वॉर्निंग देगा। ये वैरिएंट ऑफ कंसर्न यानी चिंताजनक और खतरनाक वैरिएंट का पता लगाएगा। इससे महामारी को रोकने या फिर कंट्रोल करने में मदद मिल सकेगी।
उदाहरण के जरिए इसे ऐसे समझें- साइंस न्यूज के मुताबिक, पोसम्स, ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला नेवले की तरह दिखने वाला जानवर बुरुली अल्सर नाम की बीमारी फैला रहा है।
पोसम्स ऑस्ट्रेलिया के तापमान में ही रह सकता है लेकिन अगर वहां के तापमान में बदलाव होता है तो यह जीव अनुकूल परिस्थिति ढूंढने के लिए किसी और देश जा सकता है। मान लीजिए पोसम्स अनुकूल परिस्थिति की तलाश में न्यूजीलैंड पहुंच जाए और वहां रहने लगे। ऐसी स्थिति में पोसम्स से फैलने वाली बुरुली अल्सर बीमारी ऑस्ट्रेलिया के साथ न्यूजीलैंड में भी फैलने लगेगी।