फतेहपुर : प्रभु श्री राम की भक्ति के आगे नही की जान की परवाह 

फतेहपुर । तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कार्यकाल में 6 दिसम्बर 1992 का वह दिन था जब भगवान श्री राम के आगे अपने जान की परवाह रामभक्तों ने नहीं कि थी। यह जानकारी देते हुए कस्बे के मोहल्ला चौक, छत्ता निवासी हिन्दू जागरण मंच के पूर्व जिलाध्यक्ष रुद्र नारायण दीक्षित ने बताया कि सन 1987 में मैंने संकल्प लिया था कि मैं उस समय तक पादुकाएं नहीं पहनूंगा जब तक राम मंदिर का ताला नहीं खुल जाएगा तब तक मैं खड़ाऊं पहनता रहूंगा। मेरा यह संकल्प 1992 में पूरा हुआ जब हम लोग ढांचा विध्वंस में शरीक हुए और वहां से लौटकर मैंने पादुकाएं पहनी।

ढांचा विध्वंस के दौरान कस्बे से हमारे साथ मैथिली शरण मिश्रा, मदन गोपाल गुप्ता सहित स्वर्गीय शंकर सहाय निगम एवं स्वर्गीय रूप नारायन शुक्ला सहित पांच लोगों का जत्था कार सेवक के रूप में अयोध्या गये थे वहां विवादित ढांचे के विध्वंस में योगदान दिया और वहां लगी खिड़की की लकड़ी याद स्वरूप लेकर वापस कस्बे लौटे। खुशी का यह आलम था कि बयां नहीं कर सकता वहां से आने के बाद पुलिस हम लोगों को पकड़ने के लिए बराबर दबिश देती रही।

गिरफ्तारी से बचने के लिए हम सब पुलिस से छिपते रहे हमारे दो साथी ईश्वर के श्री चरणों में जा चुके हैं। कारसेवक मैथिलीशरण मिश्र ने बताया कि आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में हो रहे राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन को हम सब महापर्व के रूप में मनाने के लिए घरों एवं मन्दिरों को रंग बिरंगी झालरों से सजाकर खुशियां मनाएंगे।

अपने आराध्य को जब हमने ताले के अंदर देखा था तब आंखों से अश्रु की धारा नही रुक रही थी कि जिनकी कृपा से संसार चल रहा है उन्ही को ताले में बंद किये है। अब खुशी का ठिकाना नही है जीवन सार्थक हो गया। शीघ्र ही जाकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करेंगे। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए कस्बे से रामभक्त सेठ स्वर्गीय मन्ना लाल सर्राफ ने तीस लाख रुपए ट्रस्ट को दिये हैं।

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