दुबई ( । बीते 16 अप्रैल को संयुक्त अरब अमीरात और उसके आस-पास के क्षेत्र में अभूतपूर्व बारिश ने हाहाकार मचा दिया था। अरब प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में उस दिन 24 घंटे में इतनी बारिश हुई ती, जितनी अमूमन 18 महीने में होती है। बारिश ने यूएई के सबसे स्मार्ट शहर दुबई की तस्वीर बिगाड़ कर रख दी थी। दुबई में हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था। हालात ये हो गए थे कि दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ानों को रोकना पड़ा।
हवाई अड्डा बंदरगाह की तरह हो गया था। कई विशेषज्ञ ने इस भारी बारिश के पीछे यूएई में होने वाली क्लाउड सीडिंग को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर रिचर्ड वाशिंगटन ऐसा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि दुबई में जिस तरह बेतहाशा बारिश हुई है, उसे लाना इंसान के बस की बात नहीं है। भाषा से उन्होंने बताया कि चैट समूह में मौसम-विज्ञानी होने के नाते, मैंने उपग्रह और पूर्वानुमान मॉडल डेटा को देखा। मैंने जो देखा वह एक आदर्श तूफान के अवयव थे। अरब प्रायद्वीप जैसे पुराने रेगिस्तानों को आम तौर पर बहुत शुष्क बनाए रखने वाली चीज़ हवा का लगातार और तीव्र रूप से डूबना है, जो बारिश के लिए आवश्यक चीजों के बिल्कुल उलट है।
गर्म महासागरों के निकट के रेगिस्तानों में, वाष्पीकरण प्रचुर मात्रा में होता है। लेकिन उस नमी को ऊपर डूबती हवा ने कैद कर रखा होता है। यह एक कड़ाही की तरह होता है जिसका ढक्कन मजबूती से लगा हुआ है। 16 अप्रैल को कड़ाही से जिस चीज ने ढक्कन हटाया वह असामान्य रूप से दूर दक्षिण में एक बहुत ऊंचाई वाली जेट स्ट्रीम थी। वास्तव में दो जेट स्ट्रीम, उपोष्णकटिबंधीय जेट और ध्रुवीय जेट, जो एकजुट हो गए थे और अपने पीछे आयातित, ठंडी हवा छोड़ गए थे। कड़ाही के ढक्कन के साथ-साथ डूबती हुई हवा भी खत्म हो गई थी। इस बीच उत्तरी उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर से नमी भरी हवा का प्रवाह तेजी से बढ़ रहा था और रेगिस्तान में एकत्रित हो रहा था। संयुक्त अरब अमीरात में ओस बिंदु तापमान सामान्य रूप से कांगो बेसिन के वर्षावनों में पाए जाने वाले तापमान के समान था। इन परिस्थितियों में, तूफान बहुत तेजी से विकसित होते हैं। इन्फ्रारेड उपग्रह डेटा से पता चला कि इसका आकार फ्रांस के बराबर था।