बांग्लादेश में नहीं थम रही हिंसा की आग: अब तक 105 की मौत, 245 भारतीय वतन लौटे; अब तक क्या-क्या हुआ?

नई दिल्ली । सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में हिंसा की आग बढ़ती जा रही है। बीती रात आठ बजे तक 125 छात्रों समेत 245 भारतीयों ने बांग्लादेश से वतन वापसी की। भारतीय उच्चायोग ने 13 नेपाली छात्रों को भी वहां से निकालने में मदद की है। हिंसक प्रदर्शन में बांग्लादेश में अब तक 105 लोगों की जान जा चुकी है। भारतीय रेलवे ने शनिवार को कोलकाता-ढाका मैत्री एक्सप्रेस और रविवार को कोलकाता और खुलना के बीच बंधन एक्सप्रेस को रद्द कर दिया है। हिंसक प्रदर्शन के बाद यह फैसला लिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में 8,500 छात्रों समेत कुल 15,000 भारतीय सुरक्षित हैं। ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग भारत लौटने के इच्छुक भारतीय छात्रों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय में जुटा है।सूत्रों के मुताबिक भारत-बांग्लादेश सीमा क्रॉसिंग बेनापोल-पेट्रापोल, गेडे-दर्शन और अखौरा-अगरतला छात्रों और भारतीय नागरिकों के घर वापसी की खातिर खुले रहेंगे। भारतीय उच्चायोग बीएसएफ और आव्रजन ब्यूरो के साथ समन्वय में बांग्लादेश से भारतीय छात्रों को वतन लौटने में मदद कर रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर खुद भारतीयों की सुरक्षा के संदर्भ में मामले पर करीबी नजर रख रहे हैं।


बता दें कि इस हप्ते बांग्लादेश में स्थिति और खराब हो गई है। यहां सरकारी टीवी,स्कूल,कॉलेज और कई सरकारी दफ्तर बंद कर दिए गए हैं। हिंसक प्रदर्शन की वजह से अब तक 105 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं बस और ट्रेन सेवाओं को रोकना पड़ा है। देशभर में स्कूल और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया है। देश के दूरसंचार नियामक आयोग के एक बयान में कहा गया है कि वे सेवाएं देने में असमर्थ हैं। प्रदर्शनकारियों ने उपकरणों को आग लगा दी थी। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि वे शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी रखेंगे तथा उन्होंने देश भर की मस्जिदों से आग्रह किया कि मारे गए लोगों के लिए वहां जनाजे की नमाज अदा की जाए। ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं। इस मुख्यालय पर एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था और आग लगा दी थी। सीमा रक्षकों ने भीड़ पर गोलियां चलाईं, जबकि पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं। गोलियां सड़कों पर बिखरी हुई थीं जहां खून के धब्बे भी थे। बांग्लादेश टेलीविजन के एक पत्रकार ने बृहस्पतिवार को एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि प्रदर्शनकारियों ने मुख्य द्वार तोड़ दिया और वाहनों और स्वागत कक्ष क्षेत्र में आग लगा दी। उन्होंने फोन पर कहा, मैं दीवार फांदकर भाग गया लेकिन मेरे कुछ साथी अंदर फंस गए। हमलावर इमारत में घुसे और उन्होंने फर्नीचर में आग लगा दी। स्थानीय मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बृहस्पतिवार को कम से कम 22 लोग मारे गए जबकि इस सप्ताह की शुरुआत में छह लोगों की मौत हो गई थी। शुक्रवार सुबह राजधानी ढाका में इंटरनेट सेवाओं के साथ ही मोबाइल डेटा को बंद कर दिया गया तथा फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंच काम नहीं कर रहे थे।


-आरक्षण का कोटा बहाल करने से भड़के छात्र
नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। वे सवाल कर रहे हैं कि स्वतंत्रता सेनानियों की तीसरी पीढ़ी को लाभ क्यों दिया जाना चाहिए। वे पूरी तरह से योग्यता आधारित भर्ती की मांग कर रहे हैं। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट के आदेश को निलंबित करने के बाद बांग्लादेश में फिलहाल कोई कोटा नहीं है। शेख हसीना सरकार ने 2018 में छात्रों के बड़े पैमाने पर आंदोलन के बाद नौकरियों में सभी आरक्षण को खत्म कर दिया था। 2018 से कोई कोटा नहीं था। याचिकाकर्ताओं का एक समूह 2021 में हाई कोर्ट गया और सिविल सेवाओं में स्वतंत्रता सेनानियों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण को वापस पाने के लिए मुकदमा लड़ा। तीन साल तक इस मुद्दे पर सुनवाई करने के बाद हाई कोर्ट ने 1 जुलाई को 30 प्रतिशत कोटा बहाल कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 16 जुलाई को एक याचिका दायर की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते हाई कोर्ट के आदेश को चार हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश ने प्रदर्शनकारी छात्रों से कक्षाओं में लौटने को कहा और कहा कि न्यायालय चार सप्ताह में निर्णय जारी करेगा।


-किसे कितना मिलता है आरक्षण
बांग्लादेश में आरक्षण के तहत 56 फीसदी सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं। इसमें से 30 फीसदी आरक्षण 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलता है। 10 प्रतिशत आरक्षण पिछड़े प्रशासनिक जिलों और 10 प्रतिशत महिलाओं को मिलता है।पांच फीसदी आरक्षण जातीय अल्पसंख्यक समूहों को मिलता है। एक प्रतिशत आरक्षण दिव्यांग को है। छात्र स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले आरक्षण का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसके माध्यम से सरकार उन लोगों को आरक्षण देना चाहती है तो शेख हसीना सरकार का समर्थन करते हैं।


-सड़कों पर बिखरी पड़ी थीं गोलियां
सीमा रक्षकों ने राइफलों से भीड़ पर गोलियां चलाईं, जबकि पुलिस अधिकारियों ने आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं। गोलियां सड़कों पर बिखरी हुई थीं जिन पर खून के धब्बे भी लगे थे। बांग्लादेश टेलीविजन के न्यूज प्रोड्यूसर और पत्रकार ने गुरुवार को बताया कि प्रदर्शनकारियों ने मुख्य द्वार तोड़ दिया और वाहनों एवं स्वागत कक्ष क्षेत्र में आग लगा दी। उन्होंने कहा कि मैं दीवार फांदकर भाग गया, लेकिन मेरे कुछ साथी अंदर फंस गए। स्थानीय मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गुरुवार को कम से कम 22 लोग मारे गए, जबकि इस सप्ताह की शुरुआत में छह लोगों की मौत हो गई थी।


-यूएन महासचिव हिंसा से बेहद चिंतित
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम पर बहुत करीब से नजर रख रहे हैं और इस हिंसा से वे बेहद चिंतित हैं। महासचिव के प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने ढाका में अधिकारियों से युवा आबादी के साथ मिलकर काम करने और मौजूदा चुनौतियों का समाधान खोजने का आग्रह किया है।


अब तक क्या-क्या हुआ?
ढाका में लाठियों और पत्थरों से लैस हजारों छात्र सशस्त्र पुलिस बलों से भिड़े।
2500 से अधिक लोग घायल, अब तक 105 की जा चुकी है जान।
कई स्थानों पर मोबाइल इंटरनेट सेवा को किया गया ठप।
चटगांव में राजमार्ग बंद करने वाले छात्रों पर पुलिस ने दांगे आंसू गैस के गोले।
ढाका में रेलवे और मेट्रो रेल सेवा को किया गया बंद।
300 से अधिक भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिक मेघालय पहुंचे।

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