मेडिकल कॉलेज अग्निकांड : चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक का बड़ा बयान

-12 साल से केबिल न बदले जाने के प्रश्न पर साधी चुप्पी, कहा विद्युत विभाग जांच कर रहा

झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में शुक्रवार की देर रात लगी आग के मामले में घटना की विशेष जांच को चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची। टीम ने पूरे दिन विभिन्न बिंदुओं पर जांच की। यही नहीं मृतकों के परिजनों, चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ तक के बयान दर्ज किए गए। इस बीच चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने बताया कि आग शॉर्ट सर्किट से ही लगी थी। आग लगने पर अलार्म भी बजा था। तभी इतने बच्चों की जान बचाई जा सकी।

मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करने के लिए लखनऊ से झांसी पहुंची स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित टीम की अध्यक्ष चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह और अग्नि शमन विभाग के अधिकारी, बिजली विभाग के अधिकारी व डीजी हेल्थ ने पूरे दिन जांच की। हर बिंदु पर जांच करते हुए मृत नवजातों के परिजनों, जूनियर डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ से वार्ता कर उनके बयान दर्ज किए। मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने बताया कि घटना का कारण शॉर्ट सर्किट ही पाया गया है। उन्होंने बताया कि आग लगने पर अलार्म भी बजा था। इसकी पुष्टि मृत नवजातों के परिजनों ने भी अपने बयानों में की है। जूनियर डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ ने भी यही बताया है। जिन खिड़कियों को तोड़कर सेवा भारती व अन्य चिकित्सकों ने बच्चों को निकाला उन्हें, आपातकालीन खिड़की बताया।

एक ही निकास द्वार के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि एक नहीं दो निकास हैं। 12 वर्षों से केबिल न बदले जाने और लोड बढ़ाए जाने के सवाल के जबाब में

उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग के अधिकारी जांच कर रहे हैं। शिशुओं की भर्ती

क्षमता पर उन्होंने बताया कि 18 बैड हैं। लेकिन मेडिकल

कॉलेज चाहता है कि अधिक से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सके। उन्होंने बताया कि अभी

जांच पूरी होने तक टीम यहीं रहेगी। आज फिर से घटना स्थल का दौरा करते हुए मैप आदि

बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 7 दिनों में टीम अपनी विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। हालांकि

समयावधि बीतने वाले अग्निशमन यंत्र और

तमाम अव्यवस्थाओं के प्रश्नों के जवाब अब भी अधूरे हैं।

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