सीरिया 1970 में सत्ता में आया था असद परिवार, जानिए कैसा था शासन

 
सीरिया में लगभग तख्तापलट हो चुका है। राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग चुके हैं। सेना ने भी असद के देश छोड़ने की पुष्टि कर दी है। विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है। इसी के साथ सीरिया में असद शासन का अंत हो गया है। उनका परिवार पिछले 5 दशकों से देश की सत्ता पर काबिज था।
आइए आज असद परिवार की कहानी जानते हैं।

 
1970 में सत्ता में आया था असद परिवार
सीरिया 1946 में आजाद हुआ था। इसके बाद से कई बार तख्तापलट हुआ और सैन्य और राजनीतिक शक्तियों के बीच तनातनी चलती रही। 1967 में सीरिया और इजरायल के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें इजरायल ने सीरिया के गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया। इससे राजनीतिक और सैन्य वर्ग के बीच टकराव बढ़ा और 1970 में एक और तख्तापलट हुआ, जिसके बाद हाफिज अल-असद सत्ता में आए।
1971 में वे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति बने।

 
कैसा था हाफिज अल-असद का शासन?
हाफिज को आधुनिक सीरिया के वास्तुकार माना जाता है। सत्ता संभालने के बाद हाफिज ने राजनीतिक संरचनाओं को फिर से खड़ा किया और संसद जैसी संस्थाओं को दोबारा स्थापित किया।
इस दौरान सीरिया एक राष्ट्रपति गणराज्य के रूप में उभरा।
हालांकि, हाफिज ने सत्ता के लिए सीरिया के जातीय, धार्मिक और राजनीतिक विभाजन का खूब फायदा उठाया। अगले 2 दशकों में सीरिया कईे युद्धों में शामिल रहा, जिससे मोटे तौर पर उथल-पुथल भरा माहौल रहा।

 

साल 2000 में बशर को मिली सत्ता
हाफिज अल-असद ने 29 सालों तक सत्ता संभाली।
2000 में उनकी मौत के बाद बशर सत्ता पर काबिज हुए। कहा जाता है कि हाफिज अपने बड़े बेटे बासिल को राष्ट्रपति बनाना चाहते थे, लेकिन 1994 में एक सड़क दुर्घटना में बासिल का निधन हो गया। इसके बाद मजबूरी में असद को राष्ट्रपति बनाना पड़ा।
असद की राजनीति में कोई रुचि नहीं थी। वे दमिश्क विश्वविद्यालय से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद लंदन में काम करने लगे थे।

 
कैसा रहा बशर का शासन?
बशर का शुरुआती शासन आशावादी रहा। उन्होंने भष्ट्राचार विरोधी अभियान चलाया और सीरिया में इंटरनेट लाए। उनकी छवि आधुनिक और सुधारवादी नेता की भी बनी।
हालांकि, अपने पिता की तरह बशर ने भी सत्ता में अपने विश्वासपात्रों को नियुक्त किया। इस वजह से शासन धीरे-धीरे कुछ कुलीन परिवारों के इर्द-गिर्द केंद्रित हो गया।
नतीजा ये हुआ का सत्ता में शहरी अभिजात वर्ग के लोग आ गए और जमीनी संबंध खत्म हो गया। ग्रामीण आबादी बशर से दूर होती चली गई।

 
 
बशर के प्रति क्यों बढ़ा जनता का असंतोष?
बशर का कार्यकाल आर्थिक कुप्रबंधन और बढ़ती असमानता की भेंट चढ़ गया। गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ने जनता के असंतोष को बढ़ा दिया।
2000 के दशक के अंत में भयंकर सूखे ने हजारों ग्रामीणों को शहरों की ओर पलायन करने पर मजबूर कर दिया।
2010 में अरब स्प्रिंग से प्रेरित होकर जनता बशर के खिलाफ सड़कों पर उतर गई। नतीजा ये हुआ कि 2011 तक सीरिया में गृह युद्ध शुरू हो गया।

 
बशर को क्यों कहा जाता है तानाशाह?
बशर ने जनता के विद्रोह को निर्ममता से कुचल दिया। बच्चों को गिरफ्तार किया गया, प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गईं और हजारों लोगों को जेल में डाला गया। यहां से बशर की छवि तानाशाह की बन गई।
इस दौरान करीब 5 लाख लोग मारे गए, जिनमें 25,000 के आसपास बच्चे और 18,000 महिलाएं थीं। 60 लाख लोगों को देश छोड़ना पड़ा था। हालांकि, अलग-अलग संस्थाएं इस आंकड़े को कहीं ज्यादा बताती हैं।

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