ठंड में बच्चों का ऐसे रखें ख्याल, नहीं पड़ेंगे बीमार

ठंड में बच्चों व नवजात शिशुओं की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया और हेमोफिलुअस इन्फ्लुएंजा जैसे बैक्टीरिया अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जो निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। सीएमओ डॉ. संजय कुमार शर्मा ने माता-पिता और समुदाय से अपील की है कि वे शिशुओं की सुरक्षा के लिए विशेष सतर्कता बरतें।


उन्होंने बताया कि ठंडी और सूखी हवा श्वसन तंत्र को कमजोर कर देती है, जिससे सर्दी-जुकाम और फ्लू जैसी बीमारियां हो सकती हैं। ये बीमारियां फेफड़ों को कमजोर कर सकती हैं और निमोनिया में बदल सकती हैं। इसके आलावा इस मौसम में ठंड से बचने के लिए लोग बंद कमरे में रहते हैं, जहां वेंटिलेशन की कमी और एक ही हवा का बार-बार उपयोग होता है। यह बैक्टीरिया और वायरस के प्रसार को बढ़ावा देता है।


कंगारू मदर केयर अपनाएं –
सीएमओ ने ठंड से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर को प्रभावी तरीका बताया, जिसमें मां अपने शिशु को सीने से चिपकाकर गर्म रख सकती है। यह विशेष रूप से कम वजन और समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए बेहद उपयोगी है। उन्होंने नवजात शिशुओं को हमेशा मुलायम और गर्म कपड़ों में लपेटकर रखने की सलाह दी, साथ ही ऊनी टोपी, मोजे और दस्ताने पहनाकर सिर, हाथ और पैर को ढकने पर जोर दिया। कमरे को गर्म और हवादार बनाए रखना भी आवश्यक है, लेकिन हीटर या गर्म पानी की बोतलों का सीधा संपर्क शिशु से न होने दें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि गंदगी संक्रमण का कारण बन सकती है। शिशु को छूने से पहले हाथ धोने की आदत अपनाएं और उसे संक्रमित लोगों से दूर रखें।
टीकाकरण कराएं-
उन्होंने बताया कि निमोनिया से बचाव के लिए शिशु का नियमित टीकाकरण आवश्यक है, जिसमें पेंटावैलेंट और पीसीवी वैक्सीन शामिल हैं। इसके साथ ही मां का दूध शिशु के लिए सबसे पोषक और रोग प्रतिरोधक होता है, जो उसकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है और संक्रमण से बचाता है। मां को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिशु को पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाए।
पहचानें निमोनिया के लक्षण –
सीएमओ ने निमोनिया के लक्षणों पर भी ध्यान देने की सलाह दी, जैसे तेज सांस लेना, छाती का अंदर धंसना, सुस्ती, दूध न पी पाना, उल्टी करना या झटके आना। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें। समय पर सतर्कता और सावधानी से शिशुओं को ठंड और निमोनिया से सुरक्षित रखा जा सकता है।

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