
झांसी। वीरता और इतिहास की धरती झांसी इस बार होली के रंगों में एक नई कहानी लिख रही है। झांसी जेल के कैदियों ने इस बार अपने हाथों से हर्बल गुलाल तैयार किया है, जो न केवल पूरी तरह प्राकृतिक है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। जेल की ऊंची दीवारों के पीछे, जहां जीवन सीमित लगता है, वहीं अब खुशियों के रंग घुल रहे हैं।
कैदियों ने बनाए प्राकृतिक रंग –
झांसी जेल में बंदियों ने गुलाब की पंखुड़ियां, चुकंदर, पालक, हल्दी और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से हर्बल गुलाल तैयार किया है। इस गुलाल को पूरी तरह शुद्ध बनाने के लिए प्रयागराज से लाए गए गंगाजल का भी उपयोग किया गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य जेल में बंद कैदियों को एक सकारात्मक दिशा में प्रेरित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
परिवारों तक पहुंचेगी खुशियों की सौगात –
इस हर्बल गुलाल को जेल के भीतर तो इस्तेमाल किया ही जाएगा, साथ ही इसे आम जनता के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा। जेल प्रशासन की योजना है कि इन रंगों को कैदियों के परिवारों तक भी पहुंचाया जाए, ताकि उनके अपनों के हाथों से बना गुलाल उनके चेहरे पर मुस्कान ला सके।
जेल अधीक्षक बोले: कैदियों को मिल रहा नया अवसर –

झांसी जिला जेल के पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार ने बताया,
“जेल में बंदी इस बार हर्बल गुलाल बना रहे हैं। परिवारों को भी इसे भेजा जाएगा, ताकि उनके अपनों के हाथों से बना रंग उनके चेहरे पर खुशी ला सके।”
नई उम्मीदों की होली –
होली का यह हर्बल गुलाल सिर्फ एक रंग नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का प्रतीक है। झांसी जेल के कैदियों ने यह साबित कर दिया कि बंदिशों के भीतर भी सृजनशीलता और सकारात्मकता का संचार हो सकता है। यह पहल उन्हें समाज से जोड़ने और भविष्य के लिए नई संभावनाएं देने में सहायक होगी।
इस बार झांसी जेल से निकला यह हर्बल गुलाल न केवल चेहरे पर रंग जमाएगा, बल्कि दिलों में नई उम्मीदों का संचार भी करेगा। कैद की सलाखों के पीछे भी जब रंगों की यह होली मनेगी, तो यकीनन समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा!