रिपोर्ट : भारत के बड़े मंदिर करते हैं जमकर कमाई, सरकार को देते हैं भारी भरकम टैक्स

नई दिल्ली )। भारत में लाखों मंदिर हैं और इनसे होने वाले करोड़ों की कमाई और उस पर टैक्स को लेकर इन दिनों एक बहस छिड़ी हुई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार मंदिरों को जीएसटी बकाया का नोटिस भेज रही है। उधर, बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस पर हमला बोला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक विश्लेषण के बाद पता चला है कि भारत का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम है, जो वित्त वर्ष 2025 में अपनी 4,774 करोड़ रुपए की वार्षिक आय पर 1.5 फीसदी से कम जीएसटी का भुगतान करेगा। नवंबर 2024 में, देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को बकाया टैक्स भुगतान के लिए नोटिस भेजा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल साल की अवधि के लिए मांग केवल 1.57 करोड़ रुपए की थी, जबकि मंदिर ने अकेले 2014 में 700 करोड़ रुपए कमाए थे।


वहीं वैष्णो देवी मंदिर ने वित्त वर्ष 2024 में 683 करोड़ रुपए कमाए, जिसमें से 255 करोड़ रुपए चढ़ावे से आए, जो टैक्स-फ्री हैं और 133.3 करोड़ रुपए ब्याज से आए। टीटीडी के मामले में 4,800 करोड़ रुपए की कमाई में से एक तिहाई से ज्यादा हुंडी संग्रह से आए हैं। इस मामले में जीएसटी के तहत टैक्स लायबिलिटी वित्त वर्ष 2021 से पांच सालों में करीब 130 करोड़ रुपए रही है। हालांकि, इस मामले में मंदिरों के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन भारत के दो सबसे बड़े मंदिर ट्रस्टों की आय पिछले सात सालों में दोगुनी हो गई है।
साल दर साल मंदिरों की आय बढ़ रही है जिसमें तिरुपति ट्रस्ट का वित्त वर्ष 2017 में बजट 2,678 करोड़ था, जो इसकी वेबसाइट के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 5,145 करोड़ रुपए हो गया। वैष्णो देवी ट्रस्ट की आय वित्त वर्ष 2017 में 380 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 683 करोड़ रुपए हो गई है। संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक तिरुपति मंदिर ने वित्त वर्ष 2017 में 14.7 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2022 में 15.58 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2023 में 32.15 करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2024 में 32.95 करोड़ रुपए का जीएसटी भुगतान किया गया।


वहीं प्रसाद और धार्मिक समारोह जीएसटी संग्रह से मुक्त होते हैं। टीटीडी और वैष्णो देवी के मामले में यह आय एक तिहाई से ज्यादा थी। वित्त वर्ष 2024 में वैष्णो देवी मंदिर ट्रस्ट ने अपनी आय का 37 फीसदी दान से अर्जित किया। वहीं, वित्त वर्ष 2025 में टीटीडी को दान से करीब 4,800 करोड़ रुपए अर्जित करने की उम्मीद है। यदि कमरे का शुल्क एक हजार रुपए से ज्यादा है और यदि सामुदायिक हॉल या खुले क्षेत्र का शुल्क 10 हजार रुपए से ज्यादा है, तो परिसर के किराए पर जीएसटी लगाया जाता है। व्यवसाय के लिए किराए पर दी गई दुकानों और अन्य स्थानों पर भी जीएसटी नहीं लगता है, यदि मासिक किराया 10 हजार रुपए से कम है।

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