तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम हर भाषा में श्रीराम की महिमा का गान हुआ है : वित्त मंत्री

राम केवल उत्तर भारत में नहीं, दक्षिण के हर घर में विराजते हैं : निर्मला सीतारमण

– अयोध्या के बृहस्पति कुंड पर तीन दक्षिण भारतीय संतों की प्रतिमाओं के भव्य अनावरण में बोलीं केंद्रीय वित्त मंत्री

– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित प्रदेश कैबिनेट के मंत्रिगण और दक्षिण से आए भक्तगण रहे उपस्थित

– जिन संतों के हर श्वास में ‘राम’, उनकी प्रतिमाओं को अयोध्या में स्थान मिलना केवल योग से नहीं, श्रीराम की इच्छा से संभव हुआ : निर्मला सीतारमण

– पहले दक्षिण भारत में भाषाई भेदभाव नहीं था, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, संस्कृत सभी भाषाओं में कर्नाटक संगीत गाया जाता था

– त्यागराज स्वामी ने गरीबी में भी केवल श्रीराम के लिए गाये गीत : निर्मला सीतारमण

– लोग कहते है कि हनुमान जी ने ही कवि त्यागराज के रूप में लिया था जन्म : वित्त मंत्री

– केरल में पूरे अषाढ़ मास हर घर में शाम को दीप जलाकर होती है श्रीराम की आराधना : निर्मला सीतारमण

– रामभक्ति भारत की अमूर्त आत्मा, जो हर भाषा में झलकती है : निर्मला सीतारमण

– अयोध्या का यह आयोजन उत्तर-दक्षिण की एकता का सजीव उदाहरण : निर्मला सीतरमण

अयोध्या, 08 अक्टूबर। अयोध्या के पवित्र बृहस्पति कुंड पर बुधवार को आयोजित ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दक्षिण भारत के तीन महान संगीत संतों श्री त्यागराज स्वामीगल, श्री पुरंदरदास और श्री अरुणाचल कवि की भव्य प्रतिमाओं का अनावरण किया। इस अवसर पर निर्मला सीतारमण का उद्बोधन भावनाओं और भक्ति से ओतप्रोत रहा। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में श्रीराम भक्ति केवल आस्था नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

पहले दक्षिण भारत में भाषाई भेदभाव नहीं था
निर्मला सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दक्षिण भारत के संतों के बारे में जिस विस्तार से बताया, वह अद्भुत है। उन्होंने कहा कि पहले दक्षिण भारत में भाषाई भेदभाव नहीं था, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और संस्कृत, सभी भाषाओं में कर्नाटक संगीत गाया जाता था, जो एकता का प्रतीक है।

त्यागराज जी के हर गीत में श्रीराम की ऊर्जा प्रवाहित होती थी
वित्त मंत्री ने कहा कि त्यागराज स्वामी ने जीवनभर गरीबी में रहते हुए भी श्रीराम भक्ति को सर्वोच्च स्थान दिया। उन्होंने राजा के श्रेय में गीत गाने से इनकार कर केवल श्रीराम के लिए गीत गाये। उनकी भक्ति ऐसी थी कि हर गीत में श्रीराम की ऊर्जा प्रवाहित होती थी। लोग कहते हैं कि शायद हनुमान जी ने ही त्यागराज के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने बताया कि त्यागराज स्वामी का गीत ‘सीता कल्याण’ दक्षिण भारत में हर विवाह समारोह में गाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी की शादी में भी वही गीत गाये गये थे।

केरल में पूरे अषाढ़ मास में होता है वाल्मीकि रामायण का पाठ
निर्मला सीतारमण ने कहा कि “रामभक्ति केवल हिन्दी भाषी क्षेत्रों की नहीं है। केरल में आज भी पूरे सिंह मास (अषाढ़) में हर घर में शाम के समय दीप जलाकर भगवान श्रीराम की आराधना की जाती है। पूरे महीने वाल्मीकि रामायण पढ़ी जाती है। यह मूर्त रूप नहीं, बल्कि अमूर्त भक्ति की परंपरा है। यह हमारे देश की सच्ची आत्मा है। उन्होंने तमिल कवि अरुणाचल कवि का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अपने प्रसिद्ध तमिल काव्य रामनाटकम् में माता सीता के प्रति गहरा सम्मान प्रकट किया। उन्होंने कहा था, एक लाख आंखों से सीता माता को देखो, उनसे सुंदर कोई नहीं।

तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम हर भाषा में श्रीराम की महिमा का गान हुआ है
निर्मला सीतारमण ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राम जन्मभूमि के लोकार्पण से पहले दक्षिण भारत के श्रीराम से जुड़े मंदिरों की यात्रा की थी। वे श्रीरंगम मंदिर में गए, जहां कंबरामायणम् की रचना हुई थी। यही नहीं, अरुणाचल कवि को भी श्रीराम ने सपने में आदेश दिया था कि वे श्रीरंगम में रामनाटकम् प्रस्तुत करें। वित्त मंत्री ने कहा कि दक्षिण भारत में न केवल पुरुष संत ही नहीं बल्कि एक कुम्हार समुदाय की महिला ने भी तेलुगु में मोल्लरामायणम् लिखकर भक्ति की मिसाल कायम की। ‘तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम हर भाषा में श्रीराम की महिमा का गान हुआ है। यही भारत की आत्मा है।

हमें लगा ही नहीं कि हम उत्तर भारत में हैं, ऐसा लगा जैसे अपने घर में समारोह कर रहे हों
अपने उद्बोधन के अंत में निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज का दिन अत्यंत पवित्र है। जिन संतों की हर श्वास में ‘राम’ था, उनकी प्रतिमाओं को अयोध्या में स्थान मिलना केवल योग से नहीं, श्रीराम की इच्छा से संभव हुआ है। उत्तर और दक्षिण भारत के बीच यह भक्ति से जुड़ी एकता का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जताया और कहा कि हमें लगा ही नहीं कि हम उत्तर भारत में हैं, ऐसा लगा जैसे अपने घर में समारोह कर रहे हों।

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