यूँ तो विश्वभर में ऐसी कई जनजातियाँ हैं जिनके रस्मो रिवाजों के चलते महिलाओ के साथ कई वर्षों तक ज्यादती होती आई है |इनमे से ही कई तो ऐसी कुप्रथाएं है जिनके बारे में सुनने भर से ही हमारी रूह काँप उठती है |इन्ही कुप्रथाओं में से एक कुप्रथा की सती प्रथा की जिसमे पति की मृत्यु हो जाने के बाद विधवा महिला को भी उसके पति के चिता के साथ ही जला दिया जाता था |भले ही आज वो कुप्रथा खत्म हो चुकी है लेकिन आज भी इस तरह की कुप्रथाओं के चलते लाखों महिलाएं हिंसा और अन्याय की बलि चढ़ाई जा रही हैं |
आपको बता दे की आज भी इस दुनिया में ऐसी कई जनजातियाँ हैं जो सैलून से चली आ रही इस दर्दनाक परम्पराओं एवं प्रथाओं का पालन कर रही हैं |ऐसी ही अजीबो गरीब लेकिन बेहद दयनीय प्रथा का पालन इंडोनेशिया के पापुआ में रहने वाले एक बेहद विचित्र जनजाति के लोग करते हैं जिसे जानकर आपके भी पैरों तले से जमीं खिसक जाएगी और आपकी रूह काँप जायेगी क्योंकि यहाँ रहने वाले लोगों के घर के मुखिया की मौत हो जाने पर उस घर की सभी महिलाओ के ये खास अंग काट दिये जाते है|
ये बात सुनकर भी आपको इतनी हैरानी हो रही है तो सोचिये जिनके साथ ऐसा होता है उनपर क्या बीतती होगी आपको बता दे की इस विशेष जनजाति की प्रथा के अनुसार घर के मुखिया की मृत्यु होने के बाद उसके घर की सभी महिला सदस्यों की उँगलियाँ कुल्हाड़ी से काट दिया जाता है और यही नहीं उनके चेहरे पर कालिख और मिटटी का तेल पोतकर उन्हें सरेआम पूरे काबिले में शर्मिंदा भी किया जाता है और महिलाओं के साथ किये गये इस अमानवीय कृत्य के पीछे एक तथ्य ये दिया जाता है की “परिवार के महिला सदस्य की उँगलियाँ काटने से उन्हें जो दर्द होता है उससे मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है “
यहां रिवाज के नाम पर महिलाओं की काट दी जाती है उंगलियां|
जी…अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और इंडोनेशिया इत्यादि जैसे देशों में कई ऐसी जनजातियां रहती हैं जो अपनी हजारों साल पुरानी जीवन पद्धति को जारी रखे हुए हैं. ऐसी ही एक जनजातियों में एक है इंडोनेशिया के पपुआगिनी द्वीप में रहने वाली दानी जनजाति. दानी जनजाति में आज भी एक ऐसा रिवाज प्रचलित है जिसे सिर्फ बर्बर ही कहा जा सकता है. इस जानजाति की महिलाओं को किसी रिश्तेदार की मौत पर अपनी अंगुलियों के सिरे को काटना पड़ता है
इस कबीले की परंपरा के अनुसार घर के मुखिया की मौत की सजा महिलाओं को जिंदगी भर भुगतनी पड़ती हैं. इस दर्दनाक और अमानवीय प्रथा के पीछे इनका मानना है कि ऐसा करने से मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है.अंगुली काटने से पहले उन्हें रस्सी से बांध दिया जाता है ताकि खून का प्रवाह रूक जाए, उसके बाद कुल्हाडी से उनकी अंगुलियां को काटा जाता था.
इस कबीले में एसी कई महिलाएं हैं जिनकी कई उंगलियां काट दी गई है. कई बुजुर्ग महिलाएं तो अपने हाथों की सारी उंगलियां गंवा चुकी हैं. ऐसे मे सिर्फ परिवार की महिलाओं को ही असीम दर्द सहना पडता था. हालांकि अब सरकार ने इस अमानवीय परंपरा को बंद कर दिया है और वहां की महिलाए अब हाथ की पूरी अंगुलियों के साथ जी सकेगी. लेकिन कही कहीं आज भी यहां के कुछ लोग इस प्रथा का पालन करते है जो की बहुत ही दयनीय है |