बहराइच: बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं टीकाकरण: सीएमओ

बहराइच l टीकाकरण बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने का एक महत्वपूर्ण और सुरक्षित तरीका है। यह न केवल बच्चों, बल्कि पूरे समाज को बीमारियों से सुरक्षित रखता है। टीकाकरण न होने पर हम उन बीमारियों के पुनः पनपने का जोखिम उठाते हैं, जो पहले से नियंत्रित हैं। जनपद में हर वर्ष 1.25 लाख से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय संस्था गावी ने प्रदेश के 60 जिलों को चिन्हित किया है, जिसमें अपना बहराइच भी शामिल है, ताकि एक वर्ष तक के बच्चों का समय पर टीकाकरण सुनिश्चित हो सके।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय कुमार ने बताया, “टीकाकरण ने लाखों बच्चों की जान बचाई है और उन्हें विभिन्न संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखा है। यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है और हर बच्चे के स्वास्थ्य और विकास के लिए आवश्यक है।” उन्होंने अभिभावकों को टीकाकरण से संबंधित भ्रांतियों से बचने और सही समय पर बच्चों का टीकाकरण कराने की सलाह दी।

सुरक्षित और प्रभावी टीके –
सीएमओ ने बताया कि वैक्सीन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उन्हें विशेष फ्रीजर में रखा जाता है। तापमान की निगरानी के लिए जिला और राज्य कंट्रोल रूम में अलार्म सिस्टम होता है। वैक्सीन को क्षेत्र में ले जाने के लिए आइस पैक युक्त बॉक्स का उपयोग किया जाता है। वैक्सीन की गुणवत्ता की जांच के लिए “वैक्सीन वायल मॉनिटर” का उपयोग किया जाता है जो गुणवत्ता कम होने पर अपना रंग बदल देता है। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ, यूएनडीपी, यूपी- टीएसयू  और यूनिसेफ जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी करती हैं।

12 प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा –
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि टीकाकरण 12 गंभीर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। ये टीके बच्चों को पांच साल में सात बार एक निश्चित आयु पर दिए जाते हैं, जिसमें जन्म के समय, डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह, नौ माह, डेढ़ साल, और पांच साल की आयु शामिल है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी टीडी के टीके दिए जाते हैं, ताकि माँ और शिशु दोनों सुरक्षित रहें।

टीके के बाद बुखार –
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि टीके के बाद बुखार आना सामान्य है और यह संकेत है कि टीका प्रभावी है। अधिक तापमान होने पर बुखार की दवा दी जाती है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि बच्चे को स्तनपान कराएं और दवाओं का सेवन कराएं।

एक साथ कई टीके –
कुछ अभिभावकों की शिकायत होती है कि एक साथ कई टीके क्यों लगाए जाते हैं। इस बारे में डब्ल्यूएचओ के सर्विलान्स मेडिकल ऑफिसर डॉ विपिन लिखोरे ने बताया कि डेढ़ महीने की आयु पर एक साथ तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जो पोलियो, काली खांसी, गलाघोंटू, टिटनेस, हेपेटाइटिस-बी, हिब संक्रमण और निमोनिया से बचाते हैं। इसके साथ ही रोटा और पोलियो की खुराक भी दी जाती है।

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