सुलतानपुर. : आगामी 2019 लोक सभा सुनव से पहले सुलतानपुर. जिले की राजनीति का पारा गरमा गया है, 5 साल तक अपने भगवा चोला ओढ़े हाथों में केसरिया लिए जिले के दिग्गज बाहुबली ब्रदर्स पूर्व विधायक व पूर्व प्रमुख का आखिरकार भाजपा से अपना हाथ पीछे कर लियाहै। खबरों के अनुसार बाहुबली ब्रदर्स का भाजपा से मोहभंग हो ही गया। लाख प्रयासों के बावजूद भाजपा के साथ न तो विधानसभा का रास्ता खुला और न ही जिलापंचायत अध्यक्ष की कुर्सी मिली। रविवार को बसपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू और पूर्व प्रमुख जिला पंचायत यशभद्र सिंह मोनू हजारों समर्थकों के साथ बसपा में शामिल हो जाएंगे। सारी औपचारिकताएं हो चुकी हैं, बस घोषणा करना बाकी है।
जानिए क्या है पूरा मामला
चंद्रभद्र सिंह सपा-बसपा, भाजपा, राष्ट्रीय लोकदल और पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ये दोनों भाई एक सोची-समझी रणनीति के तहत हाथी की सवारी करने का मन बना लिया है, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने जिले में एक बार फिर ठाकुर दलित और मुस्लिम के फार्मूले को समझते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करने की दिशा में मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है।
लगभग तीन माह पहले पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक की विदाई के साथ ही बसपा के एक कद्दावर कोऑर्डिनेटर व दो विधायकों के सहयोग से बसपा सुप्रीमो के साथ हुई मुलाकात के बाद उचित अवसर पर इनके बसपा में प्रवेश का रास्ता साफ हो गया था। राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर गाहे- बगाहे चर्चा होती रही। वक्त के साथ ही आशंकाओं के बादल छट गए। बसपा सुप्रीमो से हरी झंडी मिलने के बाद रविवार को मझवारा के मैदान में लाखों की संभावित भीड़ के बीच प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा की मौजूदगी में पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू व पूर्व प्रमुख जिला पंचायत सदस्य यशभद्र सिंह मोनू अपने हजारों समर्थकों के साथ नई राजनीतिक पारी की शुरुआत करेंगे।
नीले बैनरों से पटा क्षेत्र
लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट की सम्भावना को देखते हुए जिले भर के सैकड़ों छुटभैये नेता अपने अपने दलों का मोह त्याग कर या दलों में रहते हुए भी इन के साथ खड़े होने को आतुर दिख रहे हैं। चर्चा तो यहां तक है जिले भर के सरकारी विभागों में काम करने वाले इनके समर्थक कर्मचारी, ठेकेदार, कोटेदार, ग्राम प्रधान, बीडीसी, जिलापंचायत सदस्य व प्रॉपर्टी डीलरों की लंबी फौज इनके कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जी जान से जुट गई है। शहर व जिले के प्रमुख बाजार नीले पोस्टर बैनरों से पट गए है। फिलहाल सभी दलों की निगाहें रविवार को होने वाले पदार्पण कार्यकर्ता सम्मेलन पर लगी हुई है।
मुलायम सिंह यादव ने चुकाया अहसान
इसौली विधानसभा क्षेत्र से पहली बार इनके पिता स्व इन्द्रभद्र सिंह निर्दलीय विधायक के रूप में चुने गए थे। मुलायम सिंह यादव की अल्पमत सरकार का समर्थन कर मुलायम सिंह यादव को अपना मुरीद बना लिया था। संत ज्ञानेश्वर के शिष्यों द्वारा विधायक इन्द्रभद्र सिंह की हत्या किये जाने के बाद मुलायम सिंह यादव ने एहसान का बदला चुकाते हुए विधायक स्व इन्द्रभद्र सिंह के बड़े बेटे चन्द्रभद्र सिंह सोनू को रिक्त हुई इसौली सीट से सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा, जिसमें सोनू सिंह विजयी हुए थे।
80 और 90 के दशक में फौलादी इरादों वाले नेता पूर्व विधायक स्वर्गीय इंद्रभद्र सिंह के पुत्रों का राजनैतिक जन्म लगभग दो दशक पूर्व शहर के दीवानी चौराहे पर साजिश के तहत बदमाशों द्वारा की गई हत्या के बाद हुआ। राजनीतिक पुरोधा स्व इन्द्रभद्र सिंह की असामयिक मृत्यु के बाद जिले में भावनाओं का ज्वार उमड़ा और जनता ने विधानसभा में चंद्रभद्र सिंह सोनू को भेजकर अपना हमदर्द चुना। इसके बाद इन्हें जिले में बाहुबली विधायक का तमगा मिला। जिले के धनपतगंज ब्लॉक पर उनके छोटे भाई मोनू का लगातार दबदबा बना रहा।
सोनू सिंह दो बार समाजवादी व एक बार हाथी पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे। राजनीति में तमाम उतार-चढ़ाव व घटनाओं दुर्घटनाओं के बीच इनका कद आम जनता में बढ़ता रहा। वर्ष 2012 वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के झंडे तले विधानसभा चुनाव लड़कर भारी वोट बटोर कर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कराते हुए उम्मीदवारों के समीकरण को बिगाड़ दिया था।
यही नहीं जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी असफलता के बावजूद यशभद्र सिंह मोनू जिले की जनता को अपने साथ खड़ा करने में सफल रहे वहीं, इनके राजनीतिक विरोधियों के समीकरण भी बदलते रहे। अब देखने वाली बात यह होगी कि बदलते राजनीतिक हालात में बसपा के कद्दावर जिनके साथ अदावत चलती रही उनसे मेल कैसे होगा। राजनैतिक विश्लेषक प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा, जोनल कोऑर्डिनेटर द्वारा जिले के सभी बड़े बसपाइयों को एक मंच पर लाकर सभी का सम्मान सुरक्षित करते हुए पार्टी सुप्रीमो के मिशन को सफल बना पाएंगे, इस पर निगाह गड़ाए हुए हैं।