कोरोना वायरस के बीच दुनिया के लिए एक और बीमारी का बढ़ा खतरा, जानिए इसके बारे में…

कोरोना वायरस के खतरे के बीच दुनिया के लिए एक और बीमारी परेशानी का कारण बनने वाली है। पिछले कुछ महीनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा स्वाइन फीवर अब खतरनाक रूप लेता जा रहा है। हाल में भारत में सूअरों की इस फीवर से मौत की पुष्टि की गई थी, लेकिन अब पश्चिमी पोलैंड में भी इस बीमारी का पता चला है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के बॉर्डर से महज 150 किमी दूर एक गांव में यह बीमारी तेजी से फैल रही है।

यह वायरस सूअरों के लिए बेहद खतरनाक होता जा रहा है और विशेषज्ञों की मानें तो यह आसानी से इंसानों तक भी पहुंच सकता है। चीन में यह प्रकोप पहले से ही चल रहा है, जिस कारण वहां के करीब 40 प्रतिशत सूअरों का सफाया हो चुका है।

पोर्क प्रॉडक्शन पर असर
दरअसल, अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) छोटे पिग फार्म्स और फैक्ट्रियों को तबाह कर रहा है। संक्रमण के स्रोत एएसएफ पॉजिटिव पिगलेट्स थे, जो खेत के मालिक, स्मिथ फील्ड फूड्स की सहायक कंपनी एग्री प्लस ने मार्च के मध्य में खरीदे थे। अधिकारियों ने बताया कि वेस्टर्न पोलैंड में करीब 10,000 से ज्यादा पिगलेट्स हैं। हालांकि, कोरोना के चलते वहां सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।

एएसएफ के फैलने से न सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरे यूरोप को खतरा है। जर्मनी भी ईयू का दूसरा सबसे बड़ा पोर्क प्रॉड्यूसर है। यहां से चीन, दक्षिण कोरिया और जापान को भी पोर्क निर्यात होता है। हाल में चीन द्वारा पोर्क पर बैन लगाने की खबरें आईं। जर्मन पोर्क पर चीनी प्रतिबंध से यूरोपीय संघ के बाजार में बाढ़ आ सकती है, जिससे कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।

जंगली सूअर भी आ रहे चपेट में

जर्मन पोर्क उत्पादकों पर बड़ा दबाव है, क्योंकि एएसएफ सिर्फ पिग फार्म्स में ही नहीं बल्कि जंगली सूअरों में भी तेजी से फैल रहा है और इस पर नियंत्रण काफी मुश्किल है। पोलैंड में अब तक जंगली सूअरों में एएसएफ के 1,600 केस आ चुके हैं, जो चिंता की बात है। पोलैंड ने पिछले साल दिसंबर में एएसएफ युक्त एक विशेष कानून पारित किया, जिसने जंगली सूअर को पालने में पोलिश शिकार संघों को नई शक्तियां दीं। हालांकि, शिकार संघों पर नियमित रूप से सुरक्षा उपायों की अवहेलना करने और मदद करने के बजाए बीमारी को फैलाने का आरोप लगाया जाता रहा है।

ग्रीस, बुल्गारिया, नॉर्थ मेसेडोनिया चीन के लिए बड़ी समस्या
चीन में पिछले साल अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैला था। इस महामारी के कारण वहां पिछले दो साल में 1.4 अरब सूअरों की जान लेनी पड़ गई। सूअरों की यह संख्या चीन की जनसंख्या के बराबर है। इतनी बड़ी तादाद में सूअरों को मारने से चीन में इस वर्ष सूअर के मांस के दाम में बड़े इजाफे का अनुमान लगाया जा रहा है। दरअसल, चीन सूअर मांस के उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनिया में सबसे ज्यादा सूअर के मांस की खपत भी चीन में ही होती है। बताया जा रहा है कि इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन न बनना इसे और भी खतरनाक बना रहा है।

यह है एएसएफ
अफ्रीकन स्वाइन फीवर बेहद संक्रामक और लाइलाज बीमारी है जो सूअरों को होती है। इसमें संक्रमित सूअर के बचने की कोई संभावना नहीं होती, हालांकि इंसानों को इससे खतरा नहीं होता। फिर भी विशेषज्ञ यह कहने से भी नहीं कतरा रहे हैं कि इससे इंसान प्रभावित नहीं होते। दरअसल, अगर यह जानवरों में फैलता है तो इसे इंसान तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा और यह बीमारी भी कोरोना जैसा घातक रूप ले लेगी।

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