धूमावती अमावस्या : आज कहीं आप तो नहीं कर रहे ये भूल, जानिए कैसे करें पूजन

Dhumavati Jayanti 2018: धूमावती अमावस्या पुण्य प्राप्ति का महान अवसर है। इस दिन माता की पूजा और दान पुण्य जरूर करें। साथ ही इस दिन व्‍यक्‍ति को कई ऐसी चीजें हैं जिसे करने से हमेशा बचना चाहिए।

जयेष्‍ठ महीने की शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी को धूमावती अमावस्या मनाई जाती है। इस बार धूमावती अमावस्या 20 जून को है। इसका शुभ मुहूर्त सुबह 4:58 से प्रारंभ हो कर 21 जून को सुबह 3:51 पर समाप्‍त होगा। शास्‍त्रों के अनुसार दस महाव‍िद्याओं में इनका स्‍थान सातवां है। मां धूमावती का वाहन काक है और इसका स्‍वरूप अत्‍यंत उग्र है। इनका अवतार पापियों के नाश के लिए हुआ था।

अपने पति भगवान शिव को न‍िगलने की वजह से मां धूमावती को विधवा माना गया है और इसी कारणवश यह श्ववेत वस्त्र धारण किए रहती हैं। धूमावती अमावस्या पुुण्य प्राप्ति का महान अवसर है। इस दिन माता की पूजा और दान पुण्य जरूर करें। यह दिन पुुण्य प्राप्ति और तांत्रिक सिद्धियों का है।

इस दिन को व्यर्थ के कार्यों में व्यतीत करने से बेहतर है कि किसी मंत्र की सिद्धि में समय व्यतीत करें। आइये इस विषय पर जाने-माने ज्‍योतिष के जानकार सुजीत जी महाराज से जानते हैं कि धूमावती अमावस्या के दिन व्‍यक्‍ति को किन-किन चीजों को करने से बचना चाहिए।

धूमावती अमावस्या में क्या न करें- 

1. किसी से असत्य न बोलें।
2. किसी से कटु वचन का प्रयोग न करें।
3. गंदगी मत करें।
4. माता पिता का अनादर न करें।
5. किसी को उधार मत दें।
6. राशि के शत्रु ग्रहों के दान की जगह अपनी राशि स्वामी के द्रव्यों का दान करें।
7. रात्रि में सोने की बजाय माता की उपासना करें।
8. अन्न का सेवन मत करें।
9. किसी भी विहंग को कष्ट न दें बल्कि घर की छत पर चिड़ियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था करें।
10.  किसी को भी मन,वचन और कर्म से कष्ट मत दें।
11. भोजन की थाली में अन्न मत छोड़ें।
12. नशा कदापि मत करें।
13. यह दिन पुण्य प्राप्ति और तांत्रिक सिद्धियों का है। इस दिन को व्यर्थ के कार्यों में व्यतीत करने से बेहतर है कि किसी मंत्र की सिद्धि में समय व्यतीत करें।
14. बिना किसी को भोजन कराए या गरीबों में अन्न दान किये भोजन मत करें।

इस प्रकार प्रयास करें कि इतना कार्य कदापि न करें

इससे आपका अर्जित पुण्य कम होगा। यदि हम अपने कर्म को करते हुए उसको भगवान को समर्पित करते चलें तो असली भक्ति वही होगी। कुछ विशेष अवसर पुण्य प्राप्ति के होते हैं जिसका सदुपयोग करना चाहिए।

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