कोरोना आपदा में भी कामगारों के लिए उप्र बना सबसे महफूज ठिकाना

  • प्रदेश से नहीं हुआ श्रमिकों का पलायन, 10 लाख प्रवासी कामगार पहुंचे

लखनऊ । लॉकडाउन में देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लाखों कामगार और श्रमिक रोजगार प्रभावित होने से अब अपने घरों की ओर रुख कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में पलायन के मद्देनजर कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकना जहां सरकारों के लिए चुनौती है, वहीं इससे भी बड़ी चुनौती इन्हें रोजगार मुहैया कराना है।

इन परिस्थितियों में योगी सरकार रणनीति बनाकर इसे सफल बनाने में जुटी हुई है। देश में सबसे अधिक प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश में आये हैं। इस लिहाज से उनके लिए कोरोना आपदा में भी उत्तर प्रदेश सबसे महफूज ठिकाना बना है। यूपी एक अकेला प्रदेश है, जहां से अप्रवासी मजदूरों ने पलायन नहीं किया और अब तक दस लाख प्रवासी कामगार यहां पहुंच चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुताबिक अगले दस दिनों में 10 लाख और कामगार प्रदेश में आने वाले हैं।

इन हालातों में सबसे बड़ी आबादी के बावजूद प्रदेश सरकार लगातार सबके लिए भोजन, रोजगार, भरण पोषण और सुरक्षा का इंतजाम कर रही है। मुख्यमंत्र योगी ने बुधवार को श्रमिकों, कामगारों को रोजगार, मानदेय और भरण पोषण भत्ते समेत तमाम सुविधाएं प्रदान करने के मद्देनजर 11 समितियों के प्रमुखों के साथ बैठक की और निर्देश दिये।

इस दौरान बताया गया कि लाकडाउन के दौरान भी प्रदेश की बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों से सरकार ने हर कर्मचारी को भुगतान कराया। विभिन्न इकाइयों ने 1592.37 करोड़ रुपये वेतन और मानदेय का बड़ा भुगतान किया। बंद पड़ी इकाइओं से सरकार लगातार कर्मचारियों व श्रमिकों का पूरा भुगतान कराती रही। सरकार के प्रयास से लाकडाउन के प्रथम चरण के दौरान और उसके बाद प्रदेश में निरंतर 119 चीनी मिलें चलती रहीं। इसी तरह 12000 ईट भट्ठों और 2500 कोल्ड स्टोरेज का भी संचालन जारी रहा। चीनी मिलों के जरिए औसतन लगभग 1000 भट्ठों में लगभग 150-200 और कोल्ड स्टोरेज में लगभग 60 से 150 लोगों को लगातार रोजगार मिलता रहा।

लॉकडाउन के दूसरे चरण में योगी सरकार ने बड़ी औद्योगिक इकाइयों का संचालन कराया, जिनमें 2.12 लाख लोगों को रोजगार मिला। इसी दौरान सूक्षम, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) से 16.40 लाख लोगों को रोजगार दिया गया। इसके अलावा मनरेगा में 23.6 लाख लोगों को प्रतिदिन रोजगार मिल रहा है। योगी सरकार अब तक 31.70 लाख निराश्रित एवं निर्माण श्रमिकों को 1000 रुपये का भरण-पोषण भत्ता और मुफ्त खाद्यान्न मुहैया करा चुकी है

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