“फेमिनिस्ट” शब्द की नए सिरे से व्याख्या की आवश्यकता: सेन
अतुल शर्मा
गाजियाबाद:- मोहन नगर स्थित आईटीएस शिक्षण संस्थान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध नृत्यांगना शाश्वती सेन ने कहा कि नारीत्व और नारीवाद के अंतर को महिलाओं को ही समझना होगा। उन्होंने कहा कि अधिकांश महिलाएं “फेमिनिस्ट” होने का दंभ भरती हैं। असल में यह शब्द परस्पर विरोध प्रदर्शन का जरिया है। हमें नारीत्व की पैरोकारी करनी है। फेमिनिस्ट ऐसी मानसिकता है जो लैंगिक आधार पर ताकत को प्रदर्शित करता है। शिक्षाविद व पर्यावरणविद् डॉ. माला कपूर ने कहा कि आज भी हमारे समाज में बच्चों की परवरिश लैंगिक आधार पर होती है। लड़की को कमजोर बनाने का काम घर से ही शुरू होता है। डॉ. कपूर ने कहा कि असल में लड़कों की प्रारंभिक परवरिश में ही ऐसे संस्कार दिए जाने चाहिए कि वह लड़कियों को सम्मान की दृष्टि से देखें। इस अवसर पर डॉ. कपूर ने “मेरा दायरा” शीर्षक से कविता भी सुनाई।
दो सत्रों में चली संगोष्ठी चली इस संगोष्ठी सभी महिला फैकेल्टी, महिला स्टॉफ व बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद थे। संगोष्ठी में महिलाओं की दशा, दिशा व उभरती हुई चुनौतियों पर चर्चा की गई। संगोष्ठी का उद्घाटन विशेष अतिथि लेडी वाइस चेयरमैन लतिका चड्ढा, सुप्रिया गुप्ता, डॉ. विद्या सेखरी एवं आमंत्रित अतिथियों ने किया। फेमिना मिस इंडिया सुश्री प्रतिभा ग्रेवाल ने कहा कि समाज में “लेडीज स्पेशल” की सुविधा इस बात का सुबूत है की महिलाएं आज भी पुरुषवाद से जूझ रही हैं। हिंडन एयर फोर्स स्कूल की प्रधानाचार्या रीमा कोहली ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुरुषों को ही वहन करनी चाहिए। रेडियो जॉकी आरती मल्होत्रा ने कहा कि स्त्री को शीर्ष पर पहुंचाने में परिवार के पुरूष ही बड़ी भूमिका निभाते हैं। लिहाजा परिवार स्तर पर ही इस बात को समझने की जरूरत है कि बालिकाओं को भी स्वयं को साबित करने के समान अवसर मिलने चाहिएं। कार्यक्रम का संचालन प्रो. नैंसी शर्मा ने किया।