गाजियाबाद : एमआर’ से मिलेगी अगलीपीढ़ी को सुरक्षा…

  • आपके बच्चे को टीका नहीं लगा है तो पीएचसीमें संपर्क करें
  • 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को अवश्यलगवाएं एमआर का टीका
  • जनपद में लक्ष्य का 95 फीसदी टीकाकरण पूराहुआ
  • 8 फरवरी तक चलेगा टीकाकरण अभिया

गाजियाबाद   । एमआर यानी मीजल्स- रूबेला। यहटीका अगली पीढ़ी की सुरक्षा के लिए बड़ा जरूरी है।  माहसे 15 वर्ष के लड़के और लड़कियों को हर हाल में यह टीकालगवाएं। बाजार में 600-700 रुए में लगने वाला यह टीकास्वास्थ्य विभाग निशुल्क लगा रहा है। एक भी बच्चा छूटा तोचेन टूट जाएगी और रूबेला वायरस का समूल नाश नहीं होपाएगा। किसी महिला के रीर में यदि रूबेला वायरस है तोवह सबसे ज्यादा खतरा उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिएपैदा करता है। रूबेला के हमले से होने वाला बच्चा अपंग होसकता है। बच् के दिल में छेद हो सकता है या कोई अन्यविकृति भी हो सकती है। ये बातें जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. विश्राम सिंह ने कहीं।

उन्होंने बताया कि जनपद में स्वास्थ्य विभाग ने एमआरटीकाकरण में 95.23 का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, हालांकिअभियान के अभी l तीन दिन शेष हैं। 26 नवंबर, 2018 सेशुरू हुआ एमआर टीकाकरण अभियान 8 फरवरी तकचलेगा। डा.  सिंह ने बताया कि जनपद में 12 लाख, 95 हजार, 458 बच्चों को एमआर का टीका लगाने का लक्ष्य रखागया था। अब तक 12 लाख, 33 हजार, 673 बच्चों को टीकालगाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि बच्चों की बेहतरउपलब्धता के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्कूलों को टारगेट कियागया था। शुरू में कुछ स्कूलों ने इस संबंध में उदासीनतादिखाई, लेकिन काउंसिलिंग के बाद स्कूलों ने अभियान मेंकाफी मदद की। जनपद के सभी स्कूल कवर कर लिए गए हैं।जो बच्चे छूट गए हैं, उनका टीकाकरण करने का प्रयास कियाजा रहा है।

क्या है रूबेला

रूबेला वायरस से फैलने वाला रोग है जो कि एक इंसान सेदूसरे में फैलता है। रूबेला वायरस के शरीर में प्रवेश करने सेआप बीमार पड़ सकति हैं। आजकल यह तेजी से फैल रहाहै

रूबेला के लक्षण

  • तेज बुखार या लंबे समय तक बुखार
  • शरीर में लाल दाने या चकत्ते होना
  • ग्रंथियों में सूजन आना या दर्द होना
  • मांसपेशियों में बहुत अधिक दर्द होना
  • सिर दर्द की समस्या लगातार बने रहना
  • आँखों में सूजन, भूख न लगना
  • थकान और चक्कर आना

सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं पर करता है वार

रूबेला वायरस सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं पर वारकरता है। अब तक सामने आए मामलों में सबसे ज्यादाप्रभावित गर्भवती महिलाएं ही हुई हैं। इससे भी खतरनाकबात यह है कि यदि मां के शरीर में रूबेला वायरस है तो यह उसकी संतान में भी होगा। इसीलिए 15 वर्ष तक के लड़के-लड़कियों, दोनों को टीके लगाए जा रहे हैं। गर्भवती महिला परइसका असर होने से बच्चे में कई सारी खामियां आ जाती हैं।सबसे ज्यादा असर होने वाले बच्चे की सुनने की शक्ति परहोता है।

बचाव

  • रूबेला से बचाव का सबसे पहला और सुरक्षित तरीकाएमआर का टीका ही है।
  • इसके अलावा संक्रमण से बचें औररोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखें
  • रूबेला से प्रभावित इंसानके पास जाएं तो मुंह पर मॉस्क अवश्य लगाएं।

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