एंबुश में फंसी मणिपुर पुलिस को असम राइफल्स ने बचाया, 8 नवंबर तक बंद इंटरनेट सेवा

इंफाल । असम राइफल्स के जवानों ने मणिपुर पुलिस की टीम को उग्रवादियों के हमले से बचाया। पुलिस को दी गई कवर फायरिंग का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें जवान, घायल पुलिस कर्मियों को बख्तरबंद गाड़ी में बिठाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

दरअसल, 31 अक्टूबर को इंफाल और भारत-म्यांमार बॉर्डर पर मोरेह हाईवे पर पुलिस का काफिला जा रहा था। पहाड़ी में छिपे उग्रवादियों ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया। उस दिन तीन पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मुठभेड़ में किसी भी जवान या पुलिस कर्मी की मौत नहीं हुई। ये सभी एक SDOP चिंगथम आनंद कुमार की हत्या के बाद पुलिस की मदद के लिए मोरेह जा रहे थे। लेकिन उग्रवादियों ने उन पर हमला कर दिया।

इधर, मणिपुर सरकार ने राज्य में इंटरनेट पर बैन 8 नवंबर तक बढ़ा दिया है। मणिपुर हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से कहा कि जिन इलाकों में शांति है, वहां से बैन हटाने का निर्देश दिया है। मणिपुर में जातीय आरक्षण को लेकर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच 3 मई से हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक 187 लोग जान गंवा चुके हैं। वहीं, 1100 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।

मणिपुर में नवंबर में हुए घटनाक्रम

1 नवंबर- इंफाल में देर रात 31 अक्टूबर को हुई SDOP की हत्या से नाराज भीड़ ने मणिपुर राइफल्स के शिविर पर हमला किया था। इनका मकसद हथियार लूटना था। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने कई राउंड हवाई फायरिंग कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया।

5 नवंबर- इंफाल पश्चिमी जिले से दो युवक सेकमाई इलाके में जाने के लिए निकले थे। उसके बाद से दोनों की कोई खबर नहीं है। पुलिस ने लापता मैबम अविनाश (16) और निंगथोउजाम एंथनी (19) के मोबाइल सेनापति जिले में पेट्रोल पंप के पास से बरामद किए। राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर बैन 8 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है।

6 नवंबर- मणिपुर पुलिस ने 3 लोगों को हिरासत में लिया। इन पर दो युवकों के अपहरण का आरोप है। लापता युवकों के परिजन राज्यपाल अनुसुइया उइके और पुलिस से शिकायत की। उन्होंने इंफाल में रैली निकाली। रास्ते जाम कर प्रदर्शन किया।

मणिपुर के मौजूदा हालात

मणिपुर में जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं। पहले 16 जिलों में 34 लाख की आबादी में मैतेई-कुकी साथ रहते थे, लेकिन अब कुकी बहुल चूराचांदपुर, टेंगनाउपोल, कांगपोकपी, थाइजॉल, चांदेल में कोई भी मैतेई नहीं बचा है। वहीं मैतेई बहुल इंफाल वेस्ट, ईस्ट, विष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कप्सिन से कुकी चले गए हैं। कुकी इलाकों के अस्पतालों मैतई डॉक्टरों के छोड़कर चले गए हैं। इससे यहां इलाज बंद हो गया। अब कुकी डॉक्टर कमान संभाल रहे हैं। सप्लाई नहीं होने से यहां मरहम-पट्‌टी, दवाओं की भारी कमी है।

सबसे ज्यादा असर स्कूलों पर हुआ है। 12 हजार 104 स्कूली बच्चों का भविष्य अटक गया है। ये बच्चे 349 राहत कैंपों में रह रहे हैं। सुरक्षाबलों की निगरानी में स्कूल 8 घंटे की जगह 3-5 घंटे ही लग रहे हैं। राज्य में 40 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। हिंसा के बाद से अब तक 6523 FIR दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर शून्य FIR हैं। इनमें 5107 मामले आगजनी, 71 हत्यारों के हैं। सीबीआई की 53 अधिकारियों की एक टीम 20 मामले देख रही है।

इंफाल वैली में एशिया का सबसे बड़ा महिला मार्केट इमा कैथल भी खुला हुआ है। कुकी जिलों के बाजार, स्कूल, दफ्तर में कोई मैतेई नहीं दिखेगा। यही हाल मैतेई इलाकों का है। इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, झिरिबम, विष्णुपुर, थोउबल, चूराचांदपुर और टेंगनाउपोल, कांगपोकपी, काकचिंग, फेरजॉल में कर्फ्यू लगा है। जबकि सेनापति, उर्खुल, कामजोंग, टेमेंगलोंग, नॉने और कप्सिन में शाम 6 से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा है।

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर में युवक को जिंदा जलाने का वीडियो सामने आया:ITLF का दावा- यह मई की घटना; DGP बोले- अभी पता चला, जांच करा रहे। मणिपुर में रविवार को कुकी समुदाय के युवक को जिंदा जलाने का वीडियो सामने आया है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (ITLF) के प्रवक्ता घिन्जा ने ये वीडियो शेयर किया है। उन्होंने कहा कि वीडियो मई का है, लेकिन ये अभी सामने आया है।

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3 मई, 2023 से मणिपुर में हो रही हिंसा 5 महीने बाद नए मोड़ पर है। शुरुआत में मैतेई समुदाय CM बीरेन सिंह और सरकार का खुलकर सपोर्ट कर रहा था, अब खिलाफ है। वजह 17 साल की लड़की और 20 साल के फिजाम हेमनजीत की हत्या है।

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