भारत-बांग्लोदश शिखर वार्ता

डॉ. सुरेन्द्र कुमार मिश्र


भारत और बांग्लादेश महत्वपूर्ण व संवेदनशील दक्षिण एशियाई देश हैं। दोनों देशों के बीच आमतौर पर लम्बी अवधि से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध हैं। चीन का कुचक्र भारत के पड़ोसी देशों में निरंतर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से चलता रहता है। बांग्लादेश को पटाने के लिए चीन शुल्क रहित चीनी सामान वहां के बाजारों में जहां फैलाने के प्रयास में है, वहीं विकास कार्यों के लिए मोटा कर्ज देकर अपने दांव आजमाने की फिराक में लगा हुआ है।

विगत वर्ष के अंत में दिसंबर माह में भारत-बांग्लादेश के बीच शिखर वार्ता सम्पन्न हुई और दोनों देशों ने महत्वपूर्ण सात समझौते पर हस्ताक्षर किए, इसके साथ ही तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर बनी सहमति को लागू करने को लेकर भारत द्वारा अपनी वचन वक्ता का भी आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बांग्लादेश को ‘पड़ोस प्रथमÓ नीति का प्रथम स्तंभ बताते हुए कहा कि बांग्लादेश के साथ संबंधों में मजबूती एवं गहराई लाना उनकी विशेष प्राथमिकता रही है। इस अवसर पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत को अपने देश का एक ‘सच्चा साथीÓ बताया। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने डिजिटल माध्यम से शिखर वार्ता में सहभागिता करते हुए यह कहा था कि यद्यपि कुछ जटिल समस्याएं है, किंतु समय के साथ इनका भी निपटारा किया जायेगा, भले ही अंतिम निर्णय लेने में वक्त लगे।

यह बात विशेष रूप उल्लेखनीय है कि भूटान की सीमा से सटे इलाके में चीन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए भारत अब अपने पूर्वोंत्तर राज्यों के लिए यथाशीघ्र वैकल्पिक जमीन रास्ता सुनिश्चित करना चाहता है। भारत की इस कूटि योजनात्मक रणनीति का समाधान केवल बांग्लादेश कर सकता है चंूकि बांग्लादेश की सीधी सीमा पूर्वोत्तर राज्यों से सटी हुई है। इसी के तहत भारत ने बांग्लादेश से आग्रह किया है कि वह बंगाल (हिली) को मेघालय (महेन्द्र गंज) से भू-मार्ग से जोडऩे का एक रास्ता दे। इसके बदले में बांग्लादेश ने भी भारत-म्यांमार-थाई-लैंड हाइवे परियोजना में सम्मिलित होने, बांग्लादेश के उत्पादों की ब्रिकी हेतु भारतीय बाजारों को और खोलने के साथ ही बांगलदेश के ट्रकों को चट्टोगांव बंदरगाह से पूर्वोत्तर राज्यों में सरलता के साथ आने-जाने की अनुमति देने जैसी अपनी मांगें भी रखी हैं। 

इसके अलावा बांग्लादेश ने भारत से राजश्री जिला स्थित पद्मा नदी में 1.3 किलोमीटर लंबा एक मार्ग की भी अपनी मांग रखी है।

वास्तव में भारत के पूर्वोत्तर राज्य राष्ट्रीय रक्षा व सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त संवदेशील क्षेत्र में आते हैं। इनकी सीमाओं के चारों ओर से विदेशी सीमाओं ने घेर रखा है। सिलीगुडी (पश्चिम बंगाल) के एकमात्र 21 किलोमीटर चौड़े संकरे गलियारे से भारत के साथ यह पूर्वोत्तर राज्यों का क्षेत्र जुड़ा हुआ है, जिसे 'चिकेन नेकÓ के नाम से जाना जाता हे। इस कॉरीडोर को पूर्वोत्तर राज्यों का 'गेटवेÓ के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। इन पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा से लगे उत्तर में भूटान च चीन, पूर्व दिशा में म्यांमार तथा दक्षिण व पश्चिम दिशा से बांग्लादेश स्थित है। यह क्षेत्र इसी कारण सामरिक दृष्टि से न्यूनतम तीव्र संघर्ष व इमरजेंसी के लिए सर्वोत्म माना जाता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र को 98 प्रतिशत सीमाएं विदेशों से जुड़ी हंै और केवल 2 प्रतिशत क्षेत्र ही भारत से जुड़ा है। चीन की कुटिल चाल व पाकिस्तान के नापाक इरादे इस क्षेत्र में लगातर नजर आ रहे हैं। इनकी साजिश उत्तरी बंगाल के न्यू-जलपाईगुड़ी से असम के श्रीरामपुर के बीच के संकरे गलियारे 'चिकेन नेकÓ को काटने की है। यही कारण है कि भारत को निरंतर अब यह चिंता सताने लगी है कि चीन कटी अपने चक्रव्यूह से इस हिस्से से आक्रमण करके पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से काट सकता है।


भारत- बांग्लादेश की मित्रता इस दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण व आवश्यक बन जाती है। भारत की नेबर हुट फस्र्ट पॉलिसी के तहत बांग्लादेश एक अहम हिस्सा है। वर्तमान संकटग्रस्त समय में दोनों देशों के बीच अच्छा सहयोग व सद्भाव बराबर बरकरार बुना हुआ है। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच विगत 17 दिसंबर 2020 को सात समझौतों में सहमति के आधार पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत हाइड्रोकार्बन कपड़ा कृषि कार्यों, सामुदायिक विकास, हाथियों के संरक्षण तथा कचरा प्रबंधन में सहयोग जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद सेे निपटने हेतु परस्पर सहयोग पर प्रतिबद्धता व्यक्त की।

इस शिखर वार्ता के दौरान भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हल्दीबारी से चिल्हाटी के बीच रेललिंक परियोजना का संयुक्त तौर पर उद्घाटन किया। इसके पश्चात् बांग्लादेश के रेलमंत्री मोहम्मद नुरूल इस्लाम सुजान ने चिल्हाटी स्टेशन से एक मालगाड़ी को हरी झंडी दिखाई जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पारकर भारत पहुंची। भारत व बांग्लादेश के बीच अभी तक चार रेलवे लिंक काम कर रहे थे, किन्तु 17 दिसंबर 2020 से आरंभ हुए हल्दीबारी-चिल्हाटी रेलवे लिंक के बीच अब पांचवा लिंक प्रारंभ हो चुका है। उल्लेखनीय है कि यह रेलवे लिंक वर्ष 1965 तक काम कर रहा था, किंतु 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय से इस लिंक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। एक लंबी अवधि के बाद इस रेलवे रूट को आरंभ करके संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। 

भारत-बांग्लादेश की इस शिखर वार्ता में नदी जल बंटवारे का संवदेनशील मुद्दा भी उठाया गया, जिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश को अपना एक आश्वासन दिया। इसके साथ ही तीस्ता नदी जल बंटवारे पर बनी सहमति को लागू करने को लेकर भी भारत की वचनबद्धता ही प्रमुखता के साथ उठाया गया। प्रधानमंत्री शेख हसीना की तरफ से यह मुद्दा बहुत ही प्रमुखता के साथ उठाया गया। वास्तव में तीस्ता नदी जल बंटवारे के बारे में दोनों देशों के बीच वर्ष 2011 में ही सहमति बन गई थी लेकिन अभी तक समझौता नहीं हो पाया है, दोनों देशों के बीच मनु, मुहरी, खोवाई, गुमती, दूधकुमार तथा  घाटला आदि छह अन्य नदियों के जल बंटवारे पर भी यथाशीघ्र समझौते पर भी अपनी सहमति जताई गई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वैश्विक महामारी के कारण वर्ष 2020 चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन संतोष की बात है कि कठिन समय में भारत व बांग्लादेश के बीच सहयोग व समर्थन स्पष्ट नजर आया। चाहे वह दवाइयों का वितरण, चिकित्सा उपकरण व चिकित्सा पेशेवरों का एक साथ काम करने का विषय हो हमारा सहयोग अच्छा रहा। भारत का प्रयास है कि भूटान, बांग्लादेश तथा नेपाल केबीच एक बीबीआईएन कनेक्टिविटी लिंक स्थापित किय जाए। इसके लिए बीबीआईएन मोटर व्हीकल एग्रीमेंट के लिए यात्री परिवहन तथा कार्गो आवाजाही के प्रोटोकॉल को तय किया जा रहा है। दोनों देशों के बीच संपर्क विस्तार किया गया और नये साधनों को भी जोड़ा गया। वास्तव में यह दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के हमारे इरादे को भी इंगित करता है। यही कारण है कि दोनों देश रेलवे से लेकर नदियों के रास्ते परिवहन मार्गों पर विशेष बल दे रहे हैं। दोनों देशों के संबंधों की प्रगति की समीक्षा की गई जिसमें विशेष रूप से कोविड-19 को लेकर सहयोग, व्यपार संपर्क, विकास गठजोड़, ऊर्जा, जल संसाधन, सीमा-प्रबंधन, रक्षा व सुरक्षा सहयोग तथा क्षेत्रीय व बहुस्तरीय सहयोग पर भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी 26 मार्च को बांग्लादेश का दौरा करेंगे और बांग्लादेश की स्वाधीनता व भारत बांग्लादेश राजनयिक सम्बन्धों की 50वीं वर्षगांठ मनाने से जुड़े  कार्यक्रम को भी चर्चा शुरू हो चुकी है। बांग्लादेश को कोविशील्ड की 20 लाख खुराक भेट में दिया जाना भी है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड के दौरान बांग्लादेश की तीनों सेनाओं की संयुक्त टुकड़ी की मार्चिंग दस्ते की हिस्सेदारी दोस्ती का उदाहरण है।

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