J&K : जानिए क्या है अनुच्छेद 35ए और क्यों है इस पर विवाद

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट छह अगस्त से संविधान के अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रहा है। इस सुनवाई के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में विरोध-प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। घाटी के अलगाववादियों का आरोप है कि सरकार इस अनुच्छेद को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। इसी क्रम में अलगाववादियों ने चार और पांच अगस्त कोघाटी में बंद का आह्वान किया है।

जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे के खिलाफ दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) वी द सिटिजन ने याचिका दायर की है। इस एनजीओ का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 35(ए) और अनुच्छेद (370) से जम्मू-कश्मीर को जो विशेष दर्जा मिला हुआ है वह शेष भारत के नागरिकों के साथ भेदभाव करता है।

क्या है अनुच्छेद 35ए?
अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को विशेष अधिकार देता है। यह अनुच्छेद बाहरी राज्य के व्यक्तियों को वहां अचल संपत्तियों के खरीदने एवं उनका मालिकाना हक प्राप्त करने से रोकता है। अन्य राज्यों का व्यक्ति वहां हमेशा के लिए बस नहीं सकता और न ही राज्य की ओर से मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठा सकता है। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर सरकार को अस्थाई नागरिकों को काम देने से भी रोकता है।

वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से अनुच्छेद 35ए को अनुच्छेद 370 में शामिल किया गया।

क्या है विवाद?
अनुच्छेद 35ए के प्रावधान जो कि जम्मू-कश्मीर के स्थानी नागरिकों को विशेष दर्जा एवं अधिकार देता है, उसे संविधान में संशोधन के जरिए नहीं बल्कि  ‘अपेंडिक्स’ के रूप में शामिल किया गया है।

एनजीओ के मुताबिक अनुच्छेद 35ए को ‘असंवैधानकि’ करार दिया जाना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति अपने 1954 के आदेश से ‘संविधान में संशोधन’ नहीं करा सके थे। इस तरह यह एक ‘अस्थायी प्रावधान’ मालूम पड़ता है। एनजीओ का कहना है कि यह अनुच्छेद कभी संसद के सामने नहीं लाया गया और इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया।

वहीं, जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस याचिका का विरोध किया है। जम्मू-कश्मीर सरकार का कहना है कि राष्ट्रपति को अपने आदेश के जरिए संविधान में नए प्रावधान को शामिल करने का अधिकार है।

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