कुंभ: शाही स्नान के साथ कुंभ का आगाज, इतिहास में पहली बार हो रही हैं ये 10 चीजें,

कुंभनगर(प्रयागराज) । तीर्थराज प्रयाग में मकर संक्रांति के अवसर पर अखाड़ों के प्रथम शाही स्नान के साथ मंगलवार को कुंभ का आगाज हो गया । सुबह के छह बजते ही अखाड़ों के सन्यासी पुरी शान शौकत के साथ पवित्र संगम में पुण्य की डुबकी लगाने लगे। शाही स्नान का यह सिलसिला शाम करीब पांच बजे तक जारी रहेगा।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और कुंभ मेला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से तय समय के अनुसार सबसे पहले महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के सन्यासियों ने शाही स्नान किया। दोनों अखाड़ा के साधु संत अपनी छावनी से सज धजकर शाही सवारी के साथ प्रातः 5:15 बजे प्रस्थान किये। अखाड़ों के महामण्डलेश्वर अलग-अलग रथों पर सवार हैं। महानिर्वाणी व अटल अखाड़े के बाद निरंजनी अखाड़े के सन्यासी शाही स्नान के लिए संगम तट पर पहुँचेगें। इसके बाद आवाहन, अग्नि और किन्नर अखाड़े के साथ जूना अखाड़े के सन्यासी शाही स्नान करेंगे। इस तरह कुल 13 अखाड़ों के शाही स्नान का यह सिलसिला शाम करीब पांच बजे तक जारी रहेगा। अखाड़ों का जत्था जैसे ही संगम तट पर पहुँच रहा है मेला प्रशासन के अधिकारी परम्परागत फूल व माला से सन्यासियों व महामण्डलेश्वरों का स्वागत कर रहे हैं। कुंभ के प्रथम शाही स्नान के अवसर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये हैं।

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कुम्भ क्षेत्र: श्रद्धालुओं ने खुले आसमान के नीचे बितायी रात, फिर लगायी डुबकी

कुम्भ नगरी (प्रयागराज)। कुम्भ क्षेत्र में मकर संक्रांति के स्नान पर देश-प्रदेश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने खुले आसमान के नीचे रात्रि बितायी। बीती रात दो बजकर तीस मिनट के बाद संक्रांति की तिथि शुरु होते ही श्रद्धालुओं ने विभिन्न घाटों पर डुबकी लगायी। मकर संक्रांति के स्नान को पावन माना जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा स्नान कर पुण्य की प्राप्ति की जाती है। मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं ने विभिन्न घाटों पर भोर से ही डुबकी लगानी शुरु कर दी। इसके पहले रात्रि पहर कुम्भ क्षेत्र में आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने खुले आसमान के नीचे टाट या कम्बल बिछाकर अपनी नींद पूरी की। ठंडी हवाओं के चलने के बाद भी श्रद्धालुओं की श्रद्धा में कोई कमी नहीं दिखी और जैसे ही उनकी नींद टूटी, वे घाट की ओर बढ़ चले। श्रद्धालुओं ने पुरे आनन्द भाव से स्नान किया। खुले आसमान में सोये प्रतापगढ़ जिले से कुम्भ क्षेत्र में पधारे श्रद्धालुओं रवि और आकाश ने बताया कि वे मोटरसाइकिल से प्रयागराज पहुंचें और वाहन को खड़ा कर खुले में बिछाकर सो गए।

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इसके बाद भोर में उठकर स्नान के लिए जा रहें है। स्नान करने के बाद वे वापस हो जाएंगे। बिहार के भभुआ जिले से स्नान के लिए आए प्रभुराम ने बताया कि वह भभुआ से वाराणसी आए और वहां से रेलगाड़ी से प्रयागराज पहुंचें। फिर रेलवे स्टेशन से पैदल कुम्भ क्षेत्र में पहुंचें। सेक्टर चार में वह खुले मैदान में कम्बल बिछाकर और ओढ़कर सो गए। मकर संक्रांति की तिथि लगते ही उन्होंने स्नान किया। मध्य प्रदेश के रीवा जिले से आए सूरजभान सिंह और उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष उनका परिवार संगम नहाने आता है। इस बार कुम्भ लगा है तो वे रेलगाड़ी से एक बजे रात्रि में प्रयागराज के कुम्भ क्षेत्र में पहुंच गए। फिर दो घंटे रुककर स्नान करने के लिए जा रहें है। उन्होंने बताया कि रात्रि पहर ठंडक है। इसके लिए वे अपने साथ कम्बल लेकर चले थे। जिसे ओढ़कर दो घंटे तक इंतजार किया। स्नान करने के बाद वे साधु संतों के दर्शन के बाद वापस हो जाएंगे। प्रयागराज जिले के नैनी के निवासी शिवानन्द मिश्रा ने बताया कि मकर संक्रांति पर उनके परिवार के सदस्य बारी-बारी से संगम स्नान करते हैं। अभी भोर में वह आए हैं। इसके बाद सुबह तक उनके परिवार की महिलाएं और बच्चे आएंगे। उनके परिवार के सदस्य हमेशा से ही संगम में स्नान करते रहें है।

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ये 10 चीजें,

आजादी के बाद पहली बार ऐसा योग

ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार कुंभ में कुछ ऐसा योग बना है जो आजादी के बाद से अब तक इससे पहले कभी नहीं बना। उनका कहना है कि 71 सालों के बाद कुंभ में इस बार महोदय योग जैसा दुर्लभ संयोग बना है। इस दिन श्रवण नक्षत्र, व्यतिपात योग, सर्वार्थसिद्धि योग और शुरुआती दिन सोमवार होने से इस दिन महोदय योग बन रहा है। इस लिए इस दिन के शाही स्नान को काफी खास माना जा रहा है।

यूनेस्को ने सांस्कृतिक धरोहरों में किया शामिल

इस आयोजन के आस्था, विश्वास और विश्व भर में फैली इसकी लोकप्रियता को देखते हुए वैश्विक संगठन यूनेस्को ने इसे विश्व की सांसकृतिक धरोहरों में शामिल कर लिया है। यही कारण है कि केंद्र और राज्य सरकार ने इस आयोजन की भव्यता को दुनियाभर में दिखाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

हवाई मार्ग से जोड़ा प्रयागराज

इतिहास गवाह है कि कुंभ मेले के विहंगम आयोजन का हिस्सा बनने के लिए देश-दुनियाभर से लोग आते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यातायात सुविधा का भी बेहद सुचारु इस्तेमाल किया है। बताया जा रहा है कि प्रयागराज को देश के 14 शहरों से सीधे हवाई मार्ग से जोड़ा है। वहीं कुंभ मेले में मार्गों पर महापुरुषों के नाम पर गेटों का निर्माण किया गया है।

सभी रास्तों पर होगी सुरक्षा

सुविधा और सुरक्षा का ऐसा इस्तेमाल किया गया है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। इस बार कुंभ में में करीब 5000 अस्थायी शौचालय बनाए गए हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में कहीं अधिक है। करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना को देखते हुए लगभग सभी मार्गों पर कड़े सुरक्षा के इंतजामात किए गए हैं।

सभी गांव को मिला न्योता

उत्तर प्रदेश में आयोजित कुंभ मेला को खासमखास बनाने के लिए योगी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके लिए राज्य सरकार ने देश के लगभग हर गांव को न्योता भेजा है इसके अलावा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को खासतौर पर व्यक्तिगत न्योता भेजा है।

अबतक का सबसे बड़ा पार्किंग स्थल

एक अन्य मामले में कुंभ 2019 ने एक रिकॉर्ड कायम किया है। इस बार अब तक का सबसे बड़ा पार्किंग स्थल का निर्माण किया गया है। करीब 6 लाख वाहनों की पार्किंग के लिए लगभग 1193 हेक्टेयर जमीन पर 120 पार्किंग स्थल बनाए गए हैं।

संत करने जा रहे हैं ये नई परंपरा शरू

इस कुंभ की खास बात ये है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब यहां जुटे साधु- संतों नेदेहदान की घोषणा कर इस नई परंपरा की शुरुआत की है। उन्होंने कहा है कि वे चिकित्सा विज्ञान के लिए अपना देहदान करेंगे जिससे मानवता का कल्याण हो सके।

किन्नर अखाड़े की निकाली गई पेशवाई

बता दें कि इससे पहले 13 अखाड़ों को ही पेशवाई का अधिकार था जिसमें किन्नर नहीं शामिल थे, लेकिन ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि इस बार किन्नर अखाड़ों की भी पेशवाई निकाली गई है। किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़े में निकाला गया है जिसकी महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं।

कुंभ गान किया जाएगा तैयार

कुंभ की भव्य गाथा को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए इस बार पहली बार एक कुंभ गान तैयार किया जाएगा। इस गाने के माध्यम से भारतीय संसृक्ति, कुंभ का इतिहास, इसकी महत्ता को बताने की कोशिश की जाएगी।

अत्याधुनिक कुंभ संग्रहालय बनेगा

कुंभ आयोजन को दुनियाभर तक पहुंचाने के लिए योगी सरकार ने एक अत्याधुनिक संग्रहालय बनाने की कवायद शुरू की है। इसके माध्यम से डिजिटल स्क्रीन पर कुंभ की ऐतिहासिक विशेषता और इसका धार्मिक महत्व को तस्वीरों और वीडियोज के माध्यम से दिखाया जाएगा।

 

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