लखीमपुर : सरकार के आदेशों को ताक पर रख मनरेगा में मजदूरों से नहीं ट्रैक्टर से किया जा रहा काम

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

बिजुआ खीरी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना राशि की लूट कुछ ग्राम पंचायतों में इस प्रकार मची है कि मजदूरों की मजदूरी पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। सरकार ने बेरोजगारी दूर करने एवं पलायन रोकने के लिए मनरेगा योजना चला रखी है। लेकिन सरकार के आदेशों को ताक पर रखते हुए मनरेगा कार्य में मजदूरों के स्थान पर ट्रैक्टर से चकबंद कार्य कराया जा रहा है। सरकार द्वारा जिस मनरेगा से गांव की तस्वीर बदलने का दावा किया जा रहा है उसकी जमीनी हकीकत यह है कि मनरेगा में काम न मिलने के कारण गरीब मजदूर गांव से पलायन करने को विवश हैं।

 मामला विकासखंड बिजुआ की ग्राम पंचायत रूरा सुल्तानपुर में देखने को मिला जहां पर राजेंद्र के खेत से काशीराम के खेत तक मिट्टी पटाई का कार्य मनरेगा मजदूरों की जगह पर ट्रैक्टर से कराया गया। अगर यही कार्य मजदूरों से कराया जाता तो सैकड़ो मजदूरों को रोजगार मिलता और उनके चूल्हे जलते। केंद्र सरकार की सबसे महत्वकांक्षी मनरेगा योजना में सभी मजदूरों को रोजगार मिले इसको लेकर मनरेगा योजना के तहत लेबर कार्ड बना कर पंचायत में 100 दिन कार्य कराकर मजदूरों को रोजगार देना है।

परंतु इसके लिए पंचायत में जिम्मेदार ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को धरातल पर उतारने के बजाय अपनी जेबें में भरने में लगे हैं। जिससे मनरेगा योजना की मंशा को ग्रहण लग रहा है।जबकि इस योजना में शत प्रतिशत मजदूरों को काम देने के लिए सरकार द्वारा पंचायत स्तर पर लाया गया है।

सैकड़ो मजदूरों को इस योजना में कार्य करने के लिए जॉब कार्ड बनाए गए हैं। बावजूद ऐसे लोगों को कार्यो से वंचित रखा जा रहा है। जिससे मजबूरन मनरेगा मजदूर गांव से पलायन करने को विवश हैं। जिसका जिम्मेदारों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वहीं अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अंजान बने हैं।

सूत्रों की माने तो योजना की राशि फर्जी तरीके से मनरेगा मजदूरों के नाम से ही निकली जाती है। और कार्य मशीनों से कर दिया जाता है। जिससे साफ पता चलता है कि मनरेगा कर्मी अधिकारी तथा जनप्रतिनिधि की मिली भगत से सरकारी राशि का गबन किया जा रहा है।

क्या कहते है ग्रामीण –

जानकारी मिली थी मनरेगा का काम चालू हुआ है तो हम भी गए थे जगजीत सिंह ने हमे भगा दिया था और गांव के लेवर नही लगाए जाते है अधिक तर लेवर करसौर के लगाए जाते है,और जो कभी काम करने नही जाते उनके नाम की हाजिरी लगाकर अधिकारियों को गुमराह किया जाता है।

अल्लू राम, ग्रामीण –

हमारे गांव में बहुत भ्रष्टाचार है हर काम में दलाली चलती है अभी कटान पीड़ितों का पैसा आया था उसमे भी प्रधान प्रतिनिधि जगजीत सिंह ने पीड़ितो से बीस बीस हजार रुपए ले लिए वो बेचारे गरीब आदमी किससे कहे अगर कोई आवाज उठाना भी चाहे तो उससे कहते है तुम लोग हमारा कुछ नही कर पाओगे पैसा ऊपर अधिकारियों तक जाता है,गरीब की कौन सुनता है साहब।

गुड्डू मिश्रा, ग्रामीण –

गांव की प्रधानी जगजीत सिंह चलाते है और जो हकीकत में प्रधान है वो इन्ही के नौकर है,उनको तो कोई जानकारी भी नही होती जगजीत सिंह जज्जू अपने को प्रधान बताते है । तालाब में जेसीबी मशीन से खुदाई करवाई गई थी और अब चक रोड भी ट्रेक्टर से जोतकर बनाई गई है।मजबूरन मजदूर को काम के लिए अपना परिवार और गांव छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ता है।

जालंधर, ग्रामीण –

मजदूरी तो दूर की बात है अब तक न जाने कितनी बार हम कागज दे चुके है लेकिन आज तक हमारा जाब कार्ड भी नहीं बनाया गया। ग्राम प्रधान सोने लाल है और प्रधानी जगजीत सिंह चलाते हैं।

उदयवीर, ग्रामीण –

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