लखीमपुर खीरी : दुग्ध डेरी के माध्यम से महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

100 लीटर से भी अधिक प्रतिदिन दूध की करती है बिक्री

निघासन खीरी। किसी ने कहा है कि मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है… इन पंक्तियों को सच साबित कर दिखाया है, विकासखण्ड निघासन अंतर्गत ग्रामपंचायत अदलाबाद की सुमनलता ने। सुमनलता के प्रयास से ग्राम पंचायत अदलाबाद में जय गुरुदेव स्वयं सहायता समूह के माध्यम से गाँव की महिलाओं को आजीविका चलाने में काफी मदद मिल रही है। सुमनलता गाँव की महिलाओं से दूध खरीदती है और उसे जांच परख कर एक रुपया प्रति लीटर फायदा लेते हुए बेचती है। इस दूध डेरी का अनुबंध श्यामल मिल्क प्रोडक्ट से है।

गाँव की राधिका व राजकुमारी का कहना है कि जो दूध हमें मजबूरन 20 से 25 रुपया लीटर बेचना पड़ता था उसे अब जय गुरुदेव स्वयं सहायता समूह की दुग्ध समिति के माध्यम से 50 रुपया लीटर बेचते है और उसका भुगतान भी तत्काल मिलता है खंडविकास अधिकारी निघासन राकेश कुमार सिंह ने बताया कि बीते समय से क्षेत्र में तमाम दुग्ध समितियां निष्क्रिय हो गईं, लेकिन जय गुरुदेव स्वयं सहायता समूह की संचालक सुमनलता व समूह की अन्य महिलाओं के प्रयास से दुग्ध डेरी के माध्यम से लाभ कमा रहीं हैं। उन्होंने बताया कि निघासन क्षेत्र में जहां एक ओर रोजगार के अभाव में जबरदस्त पलायन की समस्या है, वहीं दूसरी ओर इसी ये महिलाएं दूध उत्पादन के काम से जुड़कर आत्मनिर्भर हुई हैं। सुमनलता कृषि सखी भी है जिसके चलते गाँव की महिलाओं को कृषि कार्यों हेतु जागरूक भी किया करती है, इन्होंने कई ऐसे पेड़ पौधों को जीवित किया जो समस्यत्मक तरीके से सूखने लगे थे।

महिलाएं अच्छे दामों में गाय के दुग्ध को बेंच पाती है लाभ। जय गुरुदेव स्वयं सहायता समूह अदलाबाद दुग्ध डेरी में सुमनलता 3 लीटर, राधिका 9 से 10 लीटर, राजकुमारी 3 से 5 लीटर, सदाप्यारी 2 से 4 लीटर, उमादेवी 8 से 10 लीटर व गाँव की अन्य महिलाएं के माध्यम से प्रतिदिन लगभग 100 लीटर से भी अधिक दूध की बिक्री की जाती है।

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