लखनऊ, । लाॅकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में बेजुबान बंदरों को संत-महात्माओं का बड़ा सहारा मिला है। उनकी पहल पर तमाम धार्मिक और सामाजिक संगठन आगे आये हैं और बंदरों के खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं।
इन संगठनों की तरफ से प्रदेश के विभिन्न स्थानों विशेषकर धार्मिक स्थलों पर न केवल बंदरों बल्कि गाय और कुत्ता समेत अन्य निराश्रित पशुओं के भी भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इससे बेजुबानों को लाॅकडाउन के दौरान कुछ राहत मिली है।
वैसे प्रदेश के अधिकतर जिलों में बंदर पाये जाते हैं, लेकिन मथुरा, अयोध्या, वाराणसी और चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थलों पर इनकी संख्या लाखों में है। सामान्य दिनों में इन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं के माध्यम से इन बंदरों के खाने-पीने की व्यवस्था होती रही है। लेकिन कोरोना को लेकर पिछले कई दिनों से जारी लाॅकडाउन के कारण लोग अपने घरों में कैद हो चुके हैं। साथ ही मंदिरों और देवालयों के कपाट भी आम लोगों के लिए बंद कर दिये गये।
ऐसे में धार्मिक स्थलों पर रहने वाले लाखों बंदरों के सामने खाने-पीने का भयंकर संकट पैदा हो गया। नतीजतन बेजुबान भूख से तड़पने लगे। कहीं-कहीं आक्रामक भी हो गये। हालांकि कुछ स्थानों पर जिला प्रशासन ने उनके खाने-पीने की व्यवस्था की, लेकिन वे पर्याप्त नहीं थे। स्थिति गंभीर होते देख प्रमुख धार्मिक संत-महात्माओं ने पहल की।
मथुरा के गोर्वधन परिक्रमा पथ पर बंदरों की संख्या बहुत अधिक है। वहां पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ की पहल पर आद्य शंकराचार्य धर्मोत्थान संसद और अन्य धार्मिक और सामाजिक संगठनों के माध्यम से प्रतिदिन सैकड़ों टन केला, भुना चना, गेहूं और पूड़ी आदि बंदरों को खिलाया जा रहा है।
स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि आद्य शंकराचार्य धर्मोत्थान संसद की तरफ से वहां बंदरों के अलावा गोवंश के लिए भी चारे की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन के कारण गोर्बधन परिक्रमा पथ पर रहने वाले तमाम गरीबों के सामने भी भोजन की समस्या बढ़ गई है। ऐसे में संगठन की तरफ से क्षेत्र के गरीबों को भी राशन वितरित किया जा रहा है।
वृंदावन स्थित तोदारी मठ के श्रीमहंत स्वामी राम प्रपन्नाचार्य बताते हैं कि वहां भी बंदरों के खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था की गई है। मथुरा शहर में जगन्नाथ स्वामी रामगोपाल ट्रस्ट, मालानी धर्मशाला जैसे संगठन बंदरों के खाने की व्यवस्था कर रहे हैं। धर्मशाला के प्रबंधक पंडित नंदलाल का कहना है कि मथुरा में बंदरों की संख्या अधिक है लेकिन धार्मिक और सामाजिक संगठन नियमित रुप से उनके खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं।
श्रीराम नगरी अयोध्या में बंदरों की संख्या दस हजार से अधिक है। लाॅकडाउन के चलते जब वे भूखे रहने लगे तो हमलावर हो गये। इसके बाद जिला प्रशासन और प्रमुख मठों के संतों ने उनके खाने पीने की व्यवस्था प्रारम्भ की। जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने पिछले दिनों खुद बंदरों को खाना खिलाकर इस कार्य को प्रारम्भ किया। इस समय राम वल्लभा कुंज जानकी घाट के प्रसिद्ध संत राजकुमार दास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राघवाचार्य और राट्रीय स्वयंसेवक संघ रामलला नगर के संघचालक व श्री राम आश्रम के महंत जयराम दास जैसे संत बंदरों के खाने पीने की भरपूर व्यवस्था कर रहे हैं।
चित्रकूट के संत और धार्मिक व सामाजिक संगठन भी बंदरों को खाना खिलाने की व्यवस्था में खुलकर सहयोग कर रहे हैं। कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदनगोपाल दास ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि पूरे परिक्रमा मार्ग पर बंदरों की संख्या दस हजार से अधिक है। सद्गुरु सेवा संघ और तुलसी पीठ व दीन दयाल शोध संस्थान जैसे अन्य संगठनों की मदद से उनके खाने-पीने के लिए केले आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। वहीं सामाजिक सेवा से जुड़े महेश जायसवाल और ओम केसरवानी जैसे लोग चित्रकूट के हनुमान धारा, स्फटिक शिला और सती अनुसूया जंगल में बंदरों के खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं। जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय और जिला पुलिस प्रमुख अंकित मित्तल ने भी पिछले दिनों बंदरों को खाना खिलाकर लोगों को इस कार्य के लिए प्रेरित किया।
वाराणसी में भी धार्मिक और सामाजिक संगठन बंदरों के खाने को लेकर प्रयास तेज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले दिनों एक संवाद के दौरान अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से अपील की थी कि वे जिम्मेदारी लें कि लाॅकडाउन के दौरान उनके आस-पास के बेजुबान भूखे न रहें। इसके बाद पुलिस, धार्मिक व सामाजिक संगठन और काशी विश्वनाथ मंदिर एवं संकट मोचन मंदिर जैसे मंदिरों के प्रबंधन तंत्र ने इस कार्य को और गति दी। अन्नपूर्णा संगठन के लोग भी बंदरों के भोजन की व्यवस्था की है। लोग बंदरों के अलावा गोवंश और कुत्तों को भी केला, पूड़ी और बिस्किट खिला रहे हैं।
राजधानी लखनऊ में सामाजिक संगठनों के अलावा प्रशासन की तरफ से भी निराश्रित पशुओं, गाय, बंदर व कुत्तों को भोजन कराने के लिए व्यवस्था की गई है। इसके लिए मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश भी जारी किया है।