लखनऊ : उच्च अधिकारियों की मिली भगत से नहर सफाई के नाम पर चल रहा बड़ा खेल

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

गोसाईगंज, लखनऊ। गोसाईगंज क्षेत्र मे नहरों की सफाई करने का कोई मानक निर्धारित नहीं है। किसी स्थान पर चौड़ाई बढ़ा दी गई है तो कही पर बहुत ही कम कर दी गई है।तभी तो काजी खेडा माइनर के हेड से लेकर सुल्तानपुर रोड तह नहर की चौड़ाई लगभग एक मीटर है लेकिन रोड के दूसरी ओर वही नहर पतली नाली सी नजर आती है।

इस मामले पर विभाग में ठेकदारी करने वालो का तर्क है कि  आगे नहर की चौड़ाई  बढ़ा देने से पानी अधिक मात्रा मे निकलने लगेगा और तब उसको नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।मोहनलालगंज रोड से दो सौ मीटर गोसाईगंज  रजबहा हेड तक की सफाई पहले ही हो जाने की  भी उस व्यक्ति की ओर से कही गई लेकिन सुनने वाले लोगों के गले के नीचे यह बात नही उतर रही है। क्योंकि सभी काम छोड़ कर सिर्फ 200 मीटर की सफाई बीच मे ही कैसे और किस उद्देश्य से हो गई।यही बात विचारणीय है।

मलौली रजबहा के हेड पर सफाई के बाद निकाने वाली सिल्ट उसी मे डाल दी गई है।दो बड़े ढेर पास पास ही लगे हुए देखने को पाए गए।ऐसा क्यों ? इस प्रश्न के उत्तर मे ठेकेदार की ओर से कहा गया कि वह बालू भी हटा दिया जाएगा। अभी तो सफाई का काम चल ही रहा है। क्षेत्र के लोगो की ओर से उस बालू को बाद में  हटा देने की बात कही गई।उसकी ओर से कहा गया कि नहर मे पड़ा बालू भी हटा दिया जाएगा।अभी तो काम ही हो रहा है।

जल्दी किस बात की है।नहरों पर निर्मित कराई गई छोटी बड़ी पुलिया के पानी छुटने पर किनारों से जल रिसाव होने से दोनो तरफ का रास्ता खराब हो जाने की बात भी विभाग का ठेकेदार स्वीकार नहीं करता है।उसकी ओर से यह भी कहा गया कि जो भी हो रहा है वह सब विभाग के उच्च अधिकारियों के निर्देश पर हो रहा है।कुछ किया नही जा सकता है।

नहरों की सफाई के संबंध मे अधिकांश लोगो के मुंह से यही सुनने को मिलता है कि धान की फसल के समय सिंचाई के लिए नहर का पानी खेतों लगता है कि गेहूं की फसल भी सूख जाएगी।  

इस मामले पर किसान नेता सुरेंद्र कुमार वर्मा,और सरदार सिंह गौतम का मानना है कि इस विभाग का कोई नियम कानून नही है।इस विभाग के लोग अपनी कही हुई बात को ही कानून मानते हैं।तभी नहरों की सफाई कार्य मे कोई निर्धारित मानक नहीं नजर आता है। उनके मुताबिक नहरे सर्पाकार होती चली जा रही है।विशेष बात यह है कि नहरों की सफाई मे लेबरो के स्थान पर जेसीबी मशीन से कराई जाती है। जहां जे सी बी नही पहुंच पाती है उस स्थान को छोड़ दिया जाता है।

किसान नेताओ का कहना है अब रहबहा, माइनर और अल्पिका मे क्या फर्क है यह बात लोगो  की  समझ से बाहर हो गई है। पानी अपना रास्ता खुद बना लेता है।दोनो नेताओ ने कहा कि बस्तियां रजबहा जमालपुर माइनर, सिठौली माइनर, सरईं गउदऔलई माइनर,रहमत नगर माइनर, जौखण्डी माइनर, दूल्हापुर हुसैनाबाद माइनर, सहित सभी नहरों की स्थिति एक जैसी नजर आई।

नहरों की सफाई के संबंध मे जे ई रमेशचंद्र  से नहरों के मामले मे जानकारी लेने की कोशिश की गई लेकिन उसकी ओर से मोबाइल फोन पर कॉल रिसीव नहीं की है ।विभाग के अधिशासी अभियंता से संपर्क स्थापित किया गया तो उनकी ओर से देख लेने की बात कही गई।

किसान नेताओं की ओर से सवाल उठता गया है कि नहर विभाग से नहर सफाई और निकली सिल्ट की दरेशी कराने के  लिए अलग-अलग पैसा दिया जाता है फिर नहरों से निकलने वाले बालू की दरेशी नहरों की पटरियों पर क्यों नहीं कराई जाती है।

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