लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार निर्भया को आज सात साल बाद देर से ही सही पर इंसाफ मिल ही गया। पटियाला कोर्ट ने दोषी दरिंदी को डेथ वॉरंट जारी करते हुए आज से ठीक 14 दिन बाद 22 जनवरी 2020 की सुबह 7 बजे फांसी के फंदे पर लटकाने का फैसला सुनाया है। चारों दोषियों को सूली पर चढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ में रहने वाले पवन जल्लाद को भी नियुक्त कर दिया गया है। कुल मिलाकर निर्भया के दरिंदों को उनके किये की सजा तय समय पर मिल ही जाएगी। लेकिन, मध्य प्रदेश में भी ऐसे कई दरिंदे सरकारी संरक्षण में पनाह लिये हुए हैं, जिनपर दोष सिद्ध होने के बाद सजा ए मौत का ऐलान भी हो चुका है। पर इन्हें अब तक सजा सिर्फ इसलिए नहीं मिली क्योंकि प्रदेश में अब तक कोई फांसी देने वाला जल्लाद ही नहीं है।
28 दोषियों को फांसी की सजा सुनाकर प्रदेश का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉडर्स लंदन में दर्ज
पिछले दो सालों की ही बात करें तो, राज्य में दुष्कर्म के 28 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा का ऐलान हो चुका है। 2018 में दुष्कर्म के बाद हत्या के 19 मामले सामने आए, जिनमें 18 मामले नाबालिग के साथ थे। इन सभी मामलों के 19 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई। 2019 में भी 9 मामले सामने आए, जिसमें सभी दोषियों को फांसी की सजा हुई। बीते दिनों इस संबध में जानकारी देते हुए मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक (अभियोजन) पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा था कि, ‘दुष्कर्म करने वालों को सजा दिलाने में मध्य प्रदेश पुलिस का रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है। अपने इन निर्णायक फैसलों के चलते ही मध्य प्रदेश देशभर में पहला ऐसा राज्य बना है, जिसका नाम इस संदर्भ में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉडर्स लंदन में दर्ज हुआ है। लेकिन, इस फैसले को अमली जामा पहनाना संभव इसलिए नहीं है क्योंकि, प्रदेश के पास जल्लाद की व्यवस्था नहीं है।
सरकारें नहीं गंभीर?
मध्यप्रदेश में जल्लाद की नियुक्ति को लेकर पूर्व की शिवराज सरकार पर भी कई आरोप प्रत्यारोप लगाए गए थे। उस दौरान जेल मंत्री रहे अंतर सिंह आर्य ने विपक्ष के सवालों को मानते हुए कहा था कि, ये सच है कि, मध्य प्रदेश में फांसी देने के लिए कोई जल्लाद नहीं है, हालांकि उस दौरान उन्होंने ये आश्वासन दिया था कि, जल्लाद की नियुक्ति जल्द की जाएगी। वहीं, शिवराज सरकार के ही कानून मंत्री रामपाल ने भी विपक्ष के हल्ला मचाने पर आश्वासन दिया था कि, अगर प्रदेश में जल्लाद नहीं है तो, फांसी के लिए कोई उचित विकल्प की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि, अपने पूरे कार्यकाल में वो प्रदेश में जल्लाद की व्यवस्था नहीं कर पाए।