अब क्षय उन्मूलन में मददगार बनेगी ‘टीबी एलिमिनेशन फोर्स’

टीबी से ठीक हुए लोगों की तैयार होगी टीम, अनुभवों को साझा कर टीबी मरीजों के बनेंगे मददगार

भास्कर समाचार सेवा
मेरठ।
अब क्षय उन्नमूल में टीबी एलिमिनेशन फोर्स मददगार बनेगी। इसके लिए बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया है। इस नेटवर्क में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जो टीबी की बीमारी से ठीक होकर अब स्वस्थ हो चुके हैं। नेटवर्क में शामिल लोग अपने अनुभवों को साझा कर टीबी मरीजों के मददगार बनेंगे। क्षय उन्मूलन में सहयोग करेंगे। अभियान से टीबी के प्रति जागरूकता में मदद मिलेगी। लोगों की भ्रांतियां भी दूर हो सकेंगी।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. गुलशन राय ने बताया, इस नेटवर्क में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जो अपना पूर्ण इलाज लेकर स्वस्थ हो चुके हैं और क्षय उन्मूलन में सहयोग करना चाहते हैं। इस नेटवर्क का नाम ‘टीबी एलिमिनेशन’ फोर्स रखा गया है। नेटवर्क में ऐसे सामाजिक संगठनों को शामिल किया गया है, जिन्होंने टीबी मरीजों को गोद लिया हुआ है। उन्होंने कहा, टीबी से ठीक हुए व्यक्ति के पास पर्याप्त अनुभव होता है। उसे अच्छी तरह से पता होता है कि यह रोग नियमित उपचार और सही खानपान से ठीक हो जाता है। उसे यह भी पता होता है कि इस बीमारी में लापरवाही किस तरह से समस्याओं को जन्म देती है। ऐसे में टीबी से ठीक हुए लोग अनुभवों को साझा कर उन लोगों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकते हैं, जो टीबी से ग्रसित हैं। डा. राय ने बताया, जनपद में जनवरी माह से 17 मार्च तक टीबी के 2671 मरीज मिल चुके हैं। इसमें 1640 सरकारी और 1031 निजी अस्पतालों और निजी चिकित्सकों की ओर से नोटिफाइड हैं। सभी का उपचार किया जा रहा है। जिले में 255 निक्षय मित्र हैं, जिन्होंने 1346 टीबी मरीजों को गोद लिया हुआ है। इनमें से काफी ठीक भी हो गए हैं। उन्होंने कहा, इन मरीजों में कई ऐसे हैं जिन्हें यह भरोसा दिलाना जरूरी है कि वह इलाज से स्वस्थ हो जाएंगे। ऐसे मरीजों के लिए यह नेटवर्क काफी लाभदायक साबित होगा। नेटवर्क में शामिल लोग इलाज ले रहे टीबी मरीजों की शंकाओं को दूर कर उन्हें निरंतर दवा के सेवन के लिए प्रेरित करेंगे। इन्हें प्रशिक्षित कर टीबी चैंपियन का दर्जा दिया जाएगा। इस प्रयास से जहां एक ओर दूर-दराज इलाकों में टीबी कार्यक्रमों की पहुंच बढ़ेगी, वहीं चैंपियंस ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों तक पहुंचकर उनकी मदद कर सकेंगे।

इन्होंने कहा
जिला सामुदायिक समन्वयक नेहा सक्सेना ने बताया, जिले में बने नेटवर्क में फिलहाल 49 टीबी चैम्पियन के साथ ही टीबी बीमारी से स्वस्थ हुए लोगों को जोड़ा जा रहा है। टीबी मरीजों का बीच में इलाज बंद करने के अलग-अलग कारण होते हैं। कुछ मरीज भ्रांतियों के चलते दवा बंद कर देते हैं। वहीं कुछ मरीज आराम मिलने पर दवा का पूरा कोर्स नहीं करते। ऐसे में इलाज करवा रहे सभी टीबी मरीजों से मिलकर उनकी शंकाओं का समाधान करना जरूरी हो जाता है। टीबी एलिमिनेशन फोर्स ऐसे मरीजों की भ्रांतियों को दूर कर उन्हें नियमित दवा के सेवन की अहमियत समझाएगी ।

इन सामाजिक संस्थाओं को जोड़ा जाएगा
वीरीना फाउंडेशन, मेरठ ड्रग्स एंड केमिस्ट एसोसिएशन, रोटरी क्लब, अभिलाषा फाउंडेशन, बेटियां फाउंडेशन, निकेतन विद्यापीठ, आईआईएमटी विवि, एमआईटी इंस्टीट्यूट, ग्रामीण समाज विकास केन्द्र।

यह मिलेगा लाभ
-टीबी से ग्रसित मरीजों का उपचार पूर्ण कराने में मिलेगा सहयोग।
-सामुदायिक जागरूकता बढ़ेगी।
-टीबी मरीजों को लेकर भेदभाव में आएगी कमी।
-दूर दराज के इलाकों में टीबी कार्यक्रमों की पहुंच आसान होगी।
-मरीजों की शंकाओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
-टीबी के संभावित मरीजों की जल्द पहचान में मदद मिलेगी।

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