आज़ादी के अमृत महोत्सव में बोले पीएम मोदी

फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ‘आजादी के अमृत महोत्सव में स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम की शुरुआत की। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मोदी ने बटन दबाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने कहा कि ब्रह्मकुमारी संस्था की की ओर से ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है। इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है और साधना भी। इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं। उन्होंने कहा कि आजादी का 75वां वर्ष ज्ञान, शोध और इनोवेशन का समय है। देश में सोते हुए सपने नहीं देखने हैं बल्कि आगे बढ़ने की ओर से कदम उठाने हैं।

पीएम मोदी ने दिखाई हरी झंडी

पीएम मोदी ने कार्यक्रम के दौरान ब्रह्म कुमारियों की सात पहलों को बटन दबाकर हरी झंडी दिखाई। इनमें मेरा भारत स्वस्थ भारत, आत्मानिर्भर भारत: आत्मनिर्भर किसान, ‘महिलाएं: भारत की ध्वजवाहक’, अनदेखा भारत साइकिल रैली, एकजुट भारत मोटर बाइक अभियान और स्वच्छ भारत अभियान के तहत हरित पहलें शामिल हैं।

पीएम मोदी के संबोधन की प्रमुख बातें

 पीएम मोदी ने कहा कि हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो।
– हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं।
– ‘दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था।
– हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं। मध्यकाल में भी भारत में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं।
– हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है, अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है

 स्वाधीनता संग्राम में भी महिलाओं ने अपने बलिदान दिए हैं। कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक ने भारत की पहचान बनाए रखी।
– आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं।
– सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है।
– देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया
– बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, लेकिन कर्तव्यों को भूल गिए जिससे देश कमजोर हुआ।

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