मथुरा ट्रेन हादसे में खुलासा : वीडियो कॉल पर था रेलवे कर्मचारी, थ्रोटल पर बैग रखने से हुआ हादसा

मथुरा में मंगलवार देर रात हुए ट्रेन हादसे में इंजन के अंदर का CCTV सामने आया है। इंजन में लगे CCTV के फुटेज में दिख रहा है कि लोको पायलट सीट से उठ जाता है, फिर लाइटिंग स्टाफ का एक कर्मचारी वीडियो कॉल पर बात करते हुए EMU के इंजन में दाखिल होता है। उसके पीठ पर बैग था। वह किसी से वीडियो कॉल पर बात कर रहा था। बात करते-करते बैग को इंजन में थ्रोटल पर रख देता है।

बस… यहीं लापरवाही होती है। थ्रोटल पर बैग रखते ही ट्रेन चलने लगती है। प्लेटफॉर्म नंबर-2 को तोड़ते हुए 30 मीटर ऊपर चढ़ जाती है। फिर बिजली के पोल से टकराकर रुकती है। इस दौरान प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्रियों में भगदड़ मच जाती है। थ्रोटल इंजन में एक्सीलेटर का काम करता है। इसी से रफ्तार को घटाते-बढ़ाते हैं।

सिर्फ यही नहीं, ब्रेथ एनलाइजर टेस्ट में बैग रखने वाले लाइटिंग स्टाफ सचिन के हल्के नशे में होने की पुष्टि हुई है। उसके खून की जांच के लिए सैंपल भेजा गया है। रिपोर्ट आने पर पता चलेगा कि नशा किस स्तर और कितना था।

हादसे से जुड़े CCTV के 4 विजुअल को सिलसिलेवार समझते हैं…

लोको पायलट समेत 5 को किया गया सस्पेंड

आगरा मंडल प्रबंधक तेजप्रकाश अग्रवाल का कहना है कि ट्रेन आने के बाद इंजन के केबिन की चाबी वहां पहले से मौजूद सहायक स्टाफ को देनी होती है। मंगलवार रात ट्रेन आने पर चाबी सचिन को दी गई थी।

28 पन्ने की जांच रिपोर्ट में हादसे की वजह को सिलसिलेवार समझते हैं…

फिलहाल, रेलवे की 28 पेज की मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर लोको पायलट सहित 5 रेल कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित किए गए रेल कर्मियों में लोको पायलट गोविंद हरी शर्मा, हेल्पर इलेक्ट्रिक सचिन, टेक्नीशियन कुलजीत, बृजेश और हरवन कुमार हैं।

दिल्ली शकूर बस्ती स्टेशन से उत्तर रेलवे की EMU ट्रेन रोज मथुरा के लिए चलती है। रेलवे के अधिकारियों को दी गई प्राथमिक रिपोर्ट में घटना के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें लिखा है कि गाड़ी संख्या 04446 का मथुरा स्टेशन पर रात 10:49 बजे पहुंची।

लोको पायलट के उतरने के बाद चाबी लाइटिंग स्टाफ सचिन अंदर गया। इसी समय लगभग 1 मिनट के अंदर ही गाड़ी डेड एंड को तोड़ते हुए प्लेटफॉर्म नंबर-2 के ऊपर चढ़ गई। जो कि OHE खंभा संख्या 1002 को हिट और डैमेज करके उसी के ऊपर रुक गई। इसके कारण मथुरा यार्ड की मेन लाइन के किलोमीटर 1797/ 35 OHE ब्रेक डाउन की घटना हुई।

मोबाइल पर थी नजर, लापरवाही में हादसा हुआ

जांच रिपोर्ट के दूसरे पेज पर लिखा है कि CCTV की वीडियो क्लिप के अनुसार… ट्रेन आने के बाद कार्यरत चाबी लाइटिंग स्टाफ सचिन लगातार मोबाइल देख रहा है। मोबाइल देखते यानी वीडियो कॉल पर ही इंजन में अंदर प्रवेश करता है। लापरवाही से अपने बैग को केबिन के आगे रखकर फिर से मोबाइल में व्यस्त हो गया। इसी बीच अपना बैग अंदर रखता है। गाड़ी का empty रैक बैग के दबाव से मूव कर गया।

रेलवे स्टाफ ने लगाए एक-दूसरे पर आरोप

जांच रिपोर्ट में लोको पायलट और लाइटिंग स्टाफ द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र भी शामिल हैं। इसमें लोको पायलट गोविंद हरी ने लिखा है कि वह पलवल से मथुरा तक ट्रेन लाए। गाड़ी की चाबी लाइटिंग स्टाफ सचिन कुमार को दी गई। इसके बाद वह उतरकर चले गए।

इंजन से उतरकर आधी ट्रेन ही क्रॉस की होगी कि तेज आवाज आई। पीछे मुड़कर देखा तो ट्रेन प्लेटफॉर्म पर चढ़ गई थी। दौड़कर वापस आया और सचिन से कहा कि तुमने ट्रेन ऑपरेट क्यों कर दी?

सचिन ने कहा- लोको पायलट गाड़ी को ऑपरेट मोड़ पर छोड़ गए

वहीं, लाइटिंग स्टाफ सचिन द्वारा दी गई एप्लीकेशन में लोको पायलट पर आरोप लगाए गए हैं। सचिन का आरोप है कि गाड़ी बिना ऑपरेट किए ही चल दी थी। ऐसे में मैं घबरा गया। BIBS बंद कर इमरजेंसी ब्रेक लगाई। सचिन ने लोको पायलट पर आरोप लगाया कि DTC को बिना बंद किए ही वह उतरकर चले गए थे।

गनीमत रही कि प्लेटफॉर्म पर यात्री कम थे

EMU ट्रेन संख्या 64910 को मथुरा जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या-2 पर शंटिंग कर प्लेटफॉर्म नंबर-5 पर ले जाया जा रहा था। इसी दौरान हादसा हुआ। गनीमत रही कि उस समय मौके पर भीड़ नहीं थी। अगर पोल से टकराकर ट्रेन नहीं रुकती तो बड़ा हादसा हो सकता था।

रेलवे को एक करोड़ के नुकसान का अनुमान

हादसे में रेलवे को एक करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। हादसे के कारण जहां प्लेटफॉर्म का करीब 50 मीटर लंबा हिस्सा डैमेज हुआ। वहीं, ओवर हेड वायर, पोल भी क्षतिग्रस्त हुए। लेकिन रेलवे को जो बड़ा नुकसान हुआ, वह हुआ EMU ट्रेन के इंजन में। हालांकि, इंजन में कितना नुकसान हुआ है, यह रेलवे का कोई अधिकारी बताने को तैयार नहीं है।

आगरा मंडल की तकनीकी टीम पहुंची थी मथुरा

हादसे के बाद उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल से तकनीकी टीम मथुरा पहुंची थी। इसके साथ ही ट्रेन को प्लेटफॉर्म से हटाना शुरू किया गया। देर रात तक करीब 15 घंटे की चली प्रक्रिया के बाद ट्रेन को प्लेटफॉर्म से हटाकर वापस ट्रैक पर लाया गया।

जांच समिति में ये रहे शामिल

इस पूरे मामले की जांच के लिए सीनियर DEE ओपी योगेश कुमार, सीनियर DSO रघुनाथ सिंह, सीनियर DEE विवेक गुप्ता और सीनियर DEE प्रवीण कुमार की कमेटी बनाई गई। जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी है।

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