सीतापुर: कुश्मोरा एवं बहेरवा में आयोजित किया गया जागरूकता अभियान

सीतापुर। कृषि विज्ञान केंद्र कटिया, सीतापुर द्वारा जनपद के रेउसा व बिसवां विकास खंड के कुश्मोरा व बहेरवा गांव में मृदा स्वास्थ प्रबंधन और मृदा नमूना एकत्रीकरण एवं बीज- भूमि शोधन पर विशेष जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को मृदा संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के महत्व व आधुनिक कृषि पद्धतियों के प्रति जागरूक करना है।

कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष, डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने फसल पूर्व मृदा नमूना एकत्रीकरण, मृदा जाच, बीज एवं भूमि शोधन, देशी व हरी खाद के वैज्ञानिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. श्रीवास्तव ने किसानों को बीज शोधन की विधियों का व्यावहारिक प्रदर्शन करते हुए बताया कि सही बीज शोधन से फसल उत्पादन में रोगो व कीटों से बचाव करते हुए वांछनीय वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने बताया कि बीज शोधन न केवल बीज की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करके फसल की स्थिरता को भी सुनिश्चित करता है।

प्रसार वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह ने मृदा स्वास्थ प्रबंधन पर विस्तार पूर्वक व्याख्यान देते हुए किसानों को बताया कि मृदा की संरचना व स्वास्थ्य को समझना अति आवश्यक है। श्री सिंह ने कहा कि जिस प्रकार स्वस्थ शरीर मे स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है ठीक उसी प्रकार स्वस्थ मृदा में स्वस्थ अनाज/बीज विकसित होते है। उन्होने मृदा नमूना एकत्र करने की सही विधियों का प्रदर्शन करते हुए बताया कि मृदा परीक्षण से किसानों को अपनी भूमि की पोषक तत्वों की स्थिति का सटीक पता चलता है, जिससे वे उचित उर्वरकों का चयन कर सकें। इससे न केवल फसल की उपज बढ़ती है, बल्कि मृदा की दीर्घकालिक उत्पादकता भी सुरक्षित रहती है।

कार्यक्रम के प्रभारी एवं केंद्र के मृदा वैज्ञानिक श्री सचिन प्रताप तोमर ने कहा कि, ष्हमारा उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान से सुसज्जित करना है ताकि वे अधिक उत्पादक और लाभप्रद खेती कर सकें। मृदा स्वास्थ प्रबंधन और बीज शोधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूकता बढ़ाने से किसानों को बेहतर फसल उत्पादन में सहायता मिलेगी।ष् कृषि विज्ञान केंद्र कटिया, सीतापुर निरंतर इस प्रकार के प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है , जिससे स्थानीय किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों की जानकारी मिलती रहे और वे अपनी फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें।

कार्यक्रम में कुल 37 किसानों ने भाग लिया, जिन्होंने सक्रिय रूप से विभिन्न सत्रों में हिस्सा लिया और अपने सवालों के उत्तर प्राप्त किए। किसानों ने इस पहल की सराहना की और इसे अपने कृषि अभ्यास में शामिल करने की प्रतिबद्धता जताई।

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