सीतापुर : नारदानंद की संपत्ति को लेकर एक बार फिर उठा विवाद, डीएम से मिले साधु, जांच के निर्देश

शहर के रेलवे स्टेशन के सामने स्थित ऋषी आश्रम पर कब्जा करने को लेकर डीएम से मिले साधु, जांच के निर्देश

कार्यकारी समिति के आरोपी सदस्य ने बताया झूठा व बेबुनियाद आरोप
सीतापुर। देश भर में 90 से अधिक नारदानंद की संपत्ति को लेकर एक बार फिर विवाद उठ खड़ा हुआ है।  इस बार विवाद सीतापुर शहर के रेलवे स्टेशन के सामने कंटोमेंट एरिया में स्थित बेशकीमती संपत्ति ऋषी आश्रम को लेकर उठा है। आरोप नारदानंद आश्रम में रहने वाले स्वामी विद्या चेतन ने डीएम के सामने पेश होकर शिक्षा सुधार समिति के कार्यकारी सदस्य मुनेन्द्र अवस्थी पर आश्रम पर कब्जा कराने व संपत्ति को बेचने का लगाया है। वहीं आरोपी कार्यकारी सदस्य ने जहां इसे बेबुनियाद व झूठा बताया है वहीं ऋषी आश्रम में रहने वाले पुजारी ब्रम्हचारी शिव चैतन्य ने कब्जे व बेचने की बात को सिरे से खारिज करते हुए आरोपों की हवा ही निकाल दी। वहीं डीएम ने मामले में निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं।


  नारदानंद आश्रम में रहने वाले स्वामी विद्या चेतन बुधवार को डीएम के समक्ष पेश हुए। उन्होंने डीएम विशाल भरद्वाज को बताया कि शहर सीतापुर के जंक्शन रेलवे स्टेशन के साामने वर्षो पुराना ऋषी आश्रम स्थापित है। जिसे दूसरे के हाथों बेच दिया गया है तथा उस पर कब्जा कराया जा रहा है। आश्रम में साधु-संत रहते हैं वह कहां जाएंगे। स्वामी विद्या चेतन ने कब्जा कराने व आश्रम संपत्ति बेचे जाने का आरोप आश्रम की शिक्षा सुधारक समिति के कार्रकारी सदस्य मुनीन्द्र अवस्थी पर लगाए। पूरी बात सुन डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच करने के निर्देश दिए। वहीं जानकारी पाकर समिति के कार्यकारी सदस्य मुनीन्द्र अवस्थी तथा समिति के कार्यवाहक उपमंत्री आचार्य शांतिदेव त्रिपाठी भी डीएम के सामने पेश हुए और अपनी बात रखी। उन्होंने डीएम को बताया कि उन पर लगाए गए सभी आरोप झूठे व बेबुनियाद है। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी तक नहीं है।

डीएम कार्यालय के बाहर निकल कार्रकारी सदस्य मुनीन्द्र अवस्थी व उपमंत्री आचार्य शांतिदेव त्रिपाठी ने बताया कि स्वामी विद्याचेतन द्वारा जो भी आरोप लगाए गए हैं वह झूठे है उनकी छवि को धूमिल करने के लिए यह मनगढंत साजिश तैयार की गई है। कार्रकारी सदस्य श्री अवस्थी ने बताया कि इसकी जानकारी जब उन्हें हुई तब उन्होंने तत्काल इस प्रापर्टी के कागजात मंगवाए। वह मौके पर जाकर इसकी छानबीन करेंगे और अगर किसी का कब्जा पाया गया तो उसे तत्काल खाली कराया जाएगा।

वहीं जब इस बारे में रेलवे स्टेशन के सामने स्थित ऋषी आश्रम जाया गया तो वहां के पुजारी ब्रम्हचारी शिवचैतन्य जो कि बीते 36 वर्षो से उसी में रहते आए हैं और आश्रम की देखरेख कर रहे हैं ने बताया कि यहां पर किसी ने भी कब्जा नहीं कर रखा है और न ही इसे किसी ने बेचा है। जब स्वामी नारदानंद जिंदा थे तब उन्होंने इसकी जिम्मेदारी मुझे सौंपी थी तब से आज तक इसकी देखरेख करता आया हूं। इस प्रकार की जो बाते कही गई हैं वह झूठी है।


64 वर्ष पूर्व हुआ था आश्रम का बैनामा
रेलवे स्टेशन के सामने बना बेशकीमती ऋषी आश्रम 64 वर्ष पुराना है। इसका बैनामा 27 जनवरी 1956 को हुआ था। इसे जय नारायण मेहरोत्रा साहबजी ने नारदनंद की शिक्षा सुधार समिति के हाथों बेचा था। यह नौ हजार वर्ग फुट में फैला हुआ है। इसकी चारो भुजाएं पूरब 86.8 फुट, पश्चिम 93.4 फुट, उत्तर 100 फुट तथा दक्षिण 100 फुट है। इसे शिक्षा सुधार समिति ने चार हजार रूप्या में खरीदा था। चूंकि यह जमीन सीतापुर के मुख्य मार्ग लखनऊ जाने वाले हाइवे पर स्थित है इससे इसकी कीमत आज करोड़ों में है। इस संपत्ति के विषय में नारदानंद आश्रम के ही लोगों को नहीं पता था जब आज इसका खुलासा हुआ तो लोगों को यह भी पता चला कि नारदानंद आश्रम का एक आश्रम रेलवे स्टेशन के सामने है जो ऋषी आश्रम के नाम से जाना जाता है। 

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