
नैमिषारण्य-सीतापुर। नैमिषारण्य तीर्थ पितृ तृप्ति कार्यो की आधार व आयोजन भूमि कही जाती है यहाँ न केवल पितृ पक्ष में बल्कि पूरे वर्ष काशीकुण्ड नामक पौराणिक तीर्थ पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने पितृगणों के लिए श्राद्ध , पिंडदान आदि पितृ शांति कर्म सम्पन्न कराया करते है , मान्यता है कि काशीकुण्ड तीर्थ के जल से अभिमन्त्रित कर पितृ तृप्ति कार्य करने पर पित्रों को मोक्ष की प्राप्ति होती है परन्तु सियासी सत्तासीनों के निष्क्रियता के चलते हमारी ये पौराणिक धरोहर अब धीरे धीरे अपना अस्तित्व संजोये रखने को संघर्षरत है इस पौराणिक तीर्थ का अस्तित्व बचाये रखने व सम्पूर्ण विकास करने के बीते वर्षो में कई बड़े हवा हवाई वादे भी हो चुके है यहाँ तक कि वर्ष 2000 में तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद शंकर चैबे की अध्यक्षता में जोर शोर से इस पुनीत तीर्थ की साफ सफाई व नवीन स्वरूप प्रदान करने का शोर बुलन्द किया गया था।
प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है पौराणिक धर्मस्थल
जिसका जीता जागता उदाहरण यह उस समय का लगा शिलापट है ,इसके बाद जनपद में कई डीएम बदलते गए पर यहां के हालात नही बदले , वर्ष 2016 में जनपद के तत्कालीन जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी के दावे भी इस तीर्थ के विकास के लिए वायदों तक ही सीमित रह गए इस दौरान हालाँकि तत्कालीन एसडीएम प्रभाकांत अवस्थी ने तीर्थ का निरीक्षण किया पर नतीजा शून्य ही रहा और तीर्थ में जल की समस्या बनी रही।
हाल फिलहाल प्रशासन की तरफ से यहां पास ही स्थित बोर से समरसेबल सुविधा चालू की गई पर तीर्थ में जल निकासी की व्यवस्था न होने और देखरेख की कमी के चलते तीर्थ के जल पर गन्दगी और काई की मोती परत दूर से दिखती है हालात ऐसे है कि सीढ़ियों की दशा भी श्रद्धालुओं की असुविधा को कम करती नजर नही आती वही तीर्थ के पास उगे झाड़ी यहां के विकास की हकीकत बयान करती हैै।
पितृ कार्यों के लिए यहां पूरे देश से आते हैं लोग
ऐसे में यहाँ काई और गन्दगी से भरे जल में स्नान की तो बात ही छोड़ दे श्रद्धालुजन आचमन करने से भी हिचकते है ऐसी स्थिति में जब यहाँ देश के विभिन्न प्रान्तों से पितृकर्म के लिए श्रद्धालु आते है तो बस इस पौराणिक तीर्थ की दुर्दशा देखकर प्रदेश शासन व जिला प्रशासन के प्रति बड़ा ही खिन्न रवैया लेकर जाते है वैसे तो मातहतों द्वारा आये दिन नैमिष तीर्थ की छवि को और बेहतर बनाने के लिए कई नई योजनाओं की रुपरेखा पर चर्चाये व वादे किये जाते रहे है पर यहां उनकी जमीनी हकीकत कुछ ऐसी ही बदरंग दिखती है।
ऐसे में यदि योगी सरकार 2.0 में इस पौराणिक तीर्थ में निर्मल जल की व्यवस्था , जल निकासी , साफ सफाई और तीर्थ परिसर को सुंदर और सुरक्षित रखने के लिए चक्रतीर्थ की तर्ज पर आवश्यक विकास कार्य नही कराये गए तो कही ऐसा न हो कि इस तीर्थ का अस्तित्व ही किताबो में खोकर इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाय । नैमिष तीर्थ के सम्पूर्ण विकास के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहे है , कई योजनाओं पर चर्चा चल रही है , जल्द ही विकास कार्य धरातल पर साकार होते दिखेंगे।