लखीमपुर : आधुनिकता की चकाचौंध मे गुम हो गए सावन के वो सुहाने पल

लखीमपुर खीरी। अमीरनगर बाग-बगीचों मे अब नही गूंजते सावन के गीत और न ही पड़ते हैं झूले क्योंकि हरे-भरे बाग बगीचे ही नष्ट होने की कगार पर है। बाग-बगीचों की हवाओं के साथ पत्तों के बीच शोर करते सावन के गीतों की स्वर लहरियां अब कहीं-कहीं ही सुनाई देती है। वास्तव में महिलाओं एवं बच्चों … Read more

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