मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर भोजनमाताएं हुईं लामबंद

प्रगतिशील भोजनमाता संगठन ने तहसील परिसर में प्रदर्शन कर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

भास्कर समाचार सेवा

लालकुआं। प्रगतिशील भोजनमाता संगठन ने तहसील परिसर में प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से रजिस्ट्रार कानूनगो मोहित बोरा को प्रेषित किया। इस दौरान प्रगतिशील भोजनमाता संगठन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में पिछले 19 वर्षों से भोजन माताएं खाना बनाने का कार्य लगन के साथ कर रही हैं। इसके बावजूद भोजन माताओं को उचित मानदेय नहीं दिया जा रहा है। साथ ही उनको साल में सिर्फ 11 महीने का मानदेय दिया जाता है, जो कि पर्याप्त नहीं है। पूर्व में शुरुआती समय में 250 रुपये का मानदेय दिया जाता था, जो कि अब 2000 हो गया है। भोजन माताएं गरीब परिवारों से हैं, जिनको परिवार का पालन पोषण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई महिलाएं विधवा हैं, अधिकतर भोजनमाताओ के ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है। स्कूलों में न्यूनतम मानदेय, ड्रेस, बोनस तक समय पर नहीं दिया जाता है। सरकारी विद्यालयों में अभी तक लकड़ी के चूल्हों में खाना बनाया जाता है और लकड़ी का इंतजाम भी भोजन माताओं से ही करवाया जाता है। इसका उनको कोई पैसा भी नहीं मिलता है।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में भोजन माताओं की कोविड-19 में ड्यूटी लगाई गई, जिसमें भोजन माताओं ने अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना पीड़ितों की देखभाल की। उन्हें न तो सुविधा उपकरण दिए गए और ना ही कोई प्रोत्साहन राशि दी गई। भोजन माताओं से एक से डेढ़ घंटे किचन गार्डन का काम लिया जाए, ताकि उनको मानदेय दिए जाने का औचित्य सिद्ध हो सके। ज्ञापन के माध्यम से सरकार से अपील करते हुए समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया जा रहा है। यदि समय रहते सरकार द्वारा भोजन माताओं की समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है तो मजबूरन भोजन माताएं उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगी।

इस दौरान बसंती देवी, गंगा देवी, प्रेमा देवी, नंदी देवी, बसंती देवी, चंद्रावती, हंसी देवी, गीता कश्यप, चंपा देवी, मंजू देवी, कमला देवी, सरस्वती सहित कई भोजन माताए मौजूद रहीं।

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