उत्तर प्रदेश : 144 दिन में ही गठबंधन का THE END, अखिलेश ने बोली ये बात..

 बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि सपा के साथ रिश्ते बने रहेंगे, लेकिन राजनीतिक विवशताओं के चलते फिलहाल उप चुनाव में गठबंधन नहीं रहेगा। यानि 144 दिन में ही टूट गया गठबंधन!
मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि सपा को अभी बहुत कुछ सुधार की जरूरत है। आगे यदि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों को करने के साथ-साथ अपने लोगों को निश्छल बनाने में सफल हो जाते हैं तो फिर उनके साथ समझौता किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि यह गठबंधन से अलग होने का निर्णय हमेशा के लिए नहीं है। आगे की परिस्थितियों को देखकर उस पर विचार किया जाएगा।
ऐसे  में  समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव फिलहाल कुछ भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं। हालांकि आजमगढ़ में पत्रकारों के काफी कुरेदने पर अखिलेश यादव ने इतना तो कह ही दिया कि अब हम अपने साधन और अपने संसाधनों से चुनाव लड़ेंगे।

बताते चके इधर जहां एक तरफ दिल्ली में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती गठबंधन तोड़ने के संकेत दे रही थीं और वहीं आजमगढ़ में अखिलेश जीत के लिए वोटरों को धन्यवाद दे रहे थे। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद पहली बार कैमरे पर आए अखिलेश यादव ने आगे की लड़ाई के लिए नए प्लान पर काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अब अपना साधन और अपने संसाधन से हम चुनाव लड़ेंगे।

मंगलवार को बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि अखिलेश और उनकी पत्नी ने आदर दिया। हमने भी उनको उसी तरह का आदर दिया। ये रिश्ता हमेशा के लिए बना रहेगा, लेकिन हमारी भी राजनीतिक विवशताओं को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।  उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम में यादव समाज अपनी सीटों पर भी सपा के साथ नहीं रह सका। अंदर ही अंदर भितरघात किया है। सपा के मजबूत इलाकों में भी उन्हें ही हरा दिया। डिम्पल और धर्मेंद्र यादव का हार जाना बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है। जब उन्होंने अपने ही उम्मीदवारों को हरा दिया तो फिर सपा हमारी तरफ कैसे शिफ्ट कर दी, यह सोचने वाली बात है। इस चुनाव में कुछ ईवीएम का भी दोष है।
मायावती ने कहा कि इस चुनाव ने हमें आगे भी बहुत सोचने को मजबूर करता है। जब सपा को वेश वोट ही उसे नहीं मिला और अपनी ही प्रमुख सीटों पर वे हार गये तो वे फिर बसपा को वोट दिलवाने में कैसे कामयाब हो सकते हैं? उन्होंने कहा कि अपने कैडर के साथ हमने काफी गहन समीक्षा की। बीएसपी भीम राव अंबेडकर के आदर्शों पर चलने वाली पार्टी है। उसी मानसिकता से हमने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था, लेकिन बड़ी मेहनत के बाद भी मकशद में कोई खास सफलता नहीं मिली। अखिलेश यादव को सपा कैडर को बसपा कैडर की तरह सीख देने की जरूरत है। यदि वे अपने कैडर काे ठीक कर लेते हैं तो हम फिर से एकसाथ हो सकते हैं। लेकिन वर्तमान में राजनीतिक दृष्टिकोण से सपा को अपने लोगों को एकसाथ करने की जरूरत है।

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