विश्व मजदूर दिवस : मजदूरों ने खुले आसमान के नीचे धरती की गोद में गुजारी रात .

झांसी )। कोरोना के कहर से पूरी दुनिया खौफजदा है। पूरे देश में पिछले 33 दिन से लाॅकडाउन के चलते लोगों से घरों में रहकर अपने को इस वाॅयरस की पहुंच से बचाने की अपील की जा रही है। वहीं एक मजदूर तबका ऐसा भी है जो इस भय के सीने पर अपना बिछोना लगाए पूरी रात आसमान का छत और धरती का बिछौना बनाए खुले में सोने को मजबूर है।

हालांकि इस मजबूरी में उनकी स्वयं की ही गलती मानी जा सकती है। जो युद्ध से भी खतरनाक हालातों में एक सच्चे देशवासी का कर्तव्य निभाए बिना ही अपने घर की ओर चोरी छुपे पैदल ही चल पड़े हैं। सभी राज्यों की सीमाएं सील होने के चलते उन्हें उप्र-मप्र की सीमा पर शिवपुरी-कोटा राजमार्ग पर सड़क किनारे खेतों में रात गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है। यही नहीं उन्हीं खेतों में रात भर जानवर भी टहलते हुए अपने वहां होने का अहसास कराते नजर आए।

शुक्रवार को पूरे विश्व में आज के दिन विश्व मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। वहीं गुजरात,महाराष्ट्र,कोटा,उज्जैन व अन्य महानगरों व प्रदेशों आए हजारों मजदूरों को सड़क किनारे खुले में रातें गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसके जिम्मेदार भी वे स्वयं हैं। क्योंकि उनकी संख्या या आगमन को लेकर किसी भी प्रकार की कोई जानकारी शासन या प्रशासन के पास नहीं है। वहीं जिन्होंने धैर्य का परिचय देते हुए अपने आप को विभिन्न राज्यों में रोककर रखते हुए देश के प्रधानमंत्री या प्रदेश के मुख्यमंत्री से उन्हें बुलाने की गुजारिश की है। उनके आंकड़े एकत्र करते हुए सरकार ने उन्हें पूरे एहतिहात के तौर पर बसें भिजवाकर अपने घर बुलवाया भी है। इसके लिए बीते रोज ही आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। यही नहीं हजारों मजदूरों को वाहनों में भरकर उनके गंतव्य तक भेजने का कार्य भी शुरु है।

कुछ भी नहीं पास केवल अपने घर पहुंचने की आस
सिर पर अपने सामान का बोझ उठाए, पांवों में टूटी-फटी चप्पल-जूते पहने, कई दिनों से नहाए बगैर ही किसी तरह सैकड़ों किलोमीटर पैदल या अन्य किसी वाहन से चोरी छुपे बैठकर वे उप्र की सीमा तक तो आ गए हैं। लेकिन अब उन्हें वहां से आगे बढ़ने से रोका गया है। उनमें से कोई बस्ती जाना चाहता है तो कोई बुन्देलखण्ड के किसी जनपद से संबंधित है। किसी को बहराईच जाना है तो कोई प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर का रहने वाला है।

ऐसे हजारों मजदूर हैं। जो अपनी कर्मभूमि को छोड़कर अपनी जन्मभूमि तक पहुंचने के लिए सरकार और प्रशासन की आस लगाए बैठे हैं। इन्हें न कोरोना का खतरा है। न सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह। ये तो सिर्फ इतना जानते हैं कि यदि शासन प्रशासन उनके लिए वाहनों की व्यवस्था नहीं कर सकता तो उन्हें बस जाने की अनुमति दे दे। वे पैदल ही अपने घर पहुंच जाएंगे।

धरती की गोद में ऐसे गुजरी प्रवासी मजदूरों की रात
बीती रात हजारों की संख्या में मजदूर उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर एकत्रित हो गए थे। रात हो जाने के चलते उनका न तो परीक्षण हो सका न उनकी गिनती का काम ही पूरा हो सका। इसके चलते उन्हें सीमा पर ही खेतों में रात गुजारने को मजबूर होना पड़ा। रात में नीला आकाश और उसमें टिमटिमाते तारे उनके लिए छत से कम नहीं थे तो धरती की धूल भरी गोद उनका बिछोना बना था। आम आदमी की तरह उनके सिर के नीचे कोई तकिया नहीं था बल्कि उसके स्थान पर सिरहाने में पत्थरों का प्रयोग करते हुए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर आए मजदूरों ने रात बिताई। धरती की गोद उन्हें किसी मखमली गद्दे से कम नहीं लगी।

उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के सीमा पर विभिन्न प्रदेशों से हजारों की संख्या में मजदूरों का आना बदस्तूर जारी है। ये मजदूर बिना अनुमति वाले वाहनों से या पैदल चलकर विभिन्न राज्यों से चलकर यहां तक पहुंच रहे हैं। उत्तर प्रदेश की सीमा शुरु होते ही इन्हें रोक लिया गया है। पिछले कुछ दिनों से विभिन्न प्रदेशों से आ रहे मजदूरों को सड़क किनारे बैठकर इस आशा के साथ पूरा दिन गुजारना पड़ता है कि किसी तरह उन्हें उनके घर तक भिजवाने की जुगाड़ हो जाएगी।

रखा जा रहा है 14 दिन के क्वारेंटाइन में
लगभग अधिकांश राज्यों का सीमा क्षेत्र उप्र के झांसी से होकर गुजरता है। इस कारण यहां पर विभिन्न राज्यों से आने वाले मजदूरों की संख्या में प्रतिदिन भारी संख्या में इजाफा हो जाता है। यह स्थिति प्रशासन के लिए और भी भयावह है। हालांकि प्रशासन ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तैयारी भी कर चुका है। लेकिन मजदूरों की संख्या इतनी ज्यादा है कि प्रशासन को जानकर भी सहयोग करने में हाथ पीछे खींचने पड़ते हैं। फिलहाल वहां से इन्हें वाहनों के माध्यम से क्वारेंटाइन सेंटर लाकर उनकी जांच करते हुए उनके खाने की व्यवस्था के साथ वहां देखरेख में रखा जा रहा है।

इससे पूर्व में रखे करीब ढाई हजार को भेजा गया गंतव्य पर
लाॅकडाउन के दूसरे चरण के शुरु होते ही मजदूरों की आवाजाही शुरु हो गई थी। यह देखते हुए प्रशासन ने इन्हें अपने कब्जे में लेकर 14 दिन के क्वारेंटाइन में रखा था। पिछले दिनों यह समय पूरा होने पर सभी को बसों में भरकर पूरे मानकों के साथ सुरक्षा व्यवस्था में शासन की मंशा के अनुसार उनके गंतव्य तक भिजवाया गया है।
गौरतलब है कि, पिछले कुछ दिनों से पिछले कुछ दिनों से विभिन्न प्रांतों के हजारों की संख्या में मजदूर पैदल व विभिन्न वाहनों के माध्यम से उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश की सीमा पर पहुंच रहे थे जिन्हें सीमाएं सील होने के चलते रोक लिया गया था तथा उन्हें वाहनों में भरकर उनकी स्क्रीनिंग कराते हुए पैरामेडिकल कॉलेज में क्वॉरेंटाइन किया गया था पैरामेडिकल कॉलेज में क्वॉरेंटाइन किया गया था लेकिन यह संख्या इतनी ज्यादा थी कि जनपद प्रशासन ने संभाल नहीं पा रहा इसके चलते उन्हें जांच के बाद ठीक पाने पर उनके गंतव्य की ओर भिजवा दिया जाता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा मजदूरों को अपने गंतव्य तक भिजवाने के फरमान के बाद बीते रोज से बसों की व्यवस्था करवा कर सभी मजदूरों को उनके गंतव्य तक भिजवाने का प्रबंध किया जा रहा है इसकी कमान स्वयं जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में एसपी सिटी राहुल श्रीवास्तव ने संभाल रखी है। यही नहीं थाना प्रभारी रक्सा विजय पाण्डेय भी मजदूरों के भोजन की व्यवस्था करवा कर उन्हें परीक्षण के बाद बसों के माध्यम से उनके गंतव्य तक भेज रहे हैं।

बोले मंडलायुक्त,शासनादेश के बाद श्रमिकों को भेजा जा रहा उनके गंतव्य पर
मण्डलायुक्त सुभाष चन्द्र शर्मा ने बताया कि शासनादेश प्राप्त होने के बाद श्रमिकों को घर भेजने की प्रक्रिया शतत रुप से जारी है। पूरी सावधानी बरतते हुए सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए श्रमिकों को सुरक्षा व्यवस्था के साथ उनके गंतव्य तक भेजा जा रहा है। सारे मानकों का ध्यान भी रखा जा रहा है। कल से यह प्रक्रिया जारी है। थोड़े ही समय में यह कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जो लोग बिना अनुमति के आ रहे हैं। उनका सहयोग कर पाने में परेशानी हो रही है। यह भीड़ भी उन्हीं की दिखाई दे रही है।

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