कर्नाटक हिजाब विवाद के बाद अब उत्तराखंड में लागू होगा मदरसों में ड्रेस कोड, सियासत हुई तेज

देहरादून। कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थाओं में हिजाब विवाद खत्म नहीं हुआ कि अब उत्तराखंड सरकार मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने जा रही है। धामी सरकार के इस फैसले के बाद सियासी घमासान मचने के आसार हैं। कुछ माह पहले ड्रेस कोड को लेकर कर्नाटक में जमकर हंगामा हुआ था। गौरतलब है कि पढ़ाई करने वाली एक छात्रा हिजाब पहनकर कॉलेज गई थी। जिसके बाद यूनिफॉर्म न पहनने की वजह से उसे कॉलेज में एंट्री नहीं दिया गया था। जिसके कारण से कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया गया था। हालांकि, बाद में हिजाब बैन का मामला राष्ट्रीय मुद्दा बना था।

अब उत्तराखंड में भी मदरसों में बच्चे कुर्ता व पायजामा नहीं पहन पाएंगे। उनके लिए भी ड्रेस कोड होगा। सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। इस पूरे मामले की जानकारी खुद वक्फ बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष शादाब शम्स के ओर से दी गई है। शम्स ने जानकारी दी कि उत्तराखंड में हम मॉर्डन मदरसे का निर्माण करना चाहते हैं। ड्रेस कोड लागू करने के साथ ही हम सात मदरसों को मॉर्डन मदरसा भी बनाएंगे। इस पूरे प्रकरण को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जिसे जल्द से जल्द लागू किया जा सकता है।

जल्द लागू होगा ड्रेस कोड

दरअसल, बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस पूरे मसले पर बुधवार को कहा कि, जब नए शैक्षाणिक सत्र की शुरूआत होगी तब से ड्रेस कोड लागू होनी है। अगले शैक्षाणिक सत्र से इसे अधिकार में लाया जाएगा। जिसमें 103 मदरसों का कायाकल्प किया जाएगा। शुरूआती दौर में सात मदरसों में ड्रेस कोड को लागू किया जाएगा। फिर राज्य में धीरे-धीरे विस्तार किया जाएगा। शादाब शम्स ने आगे कहा कि अभी इसे एक ड्रेस कोड के रूप में देना बाकी है, हालांकि इस पूरे प्रकरण को लेकर कार्य किए जा रहे है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

ड्रेस कोड पर आगे बोलते हुए शम्स कहा कि राज्य में जितने भी मदरसे मौजूद हैं, उन्हें मॉडर्न स्कूल के रूप में तैयार करने की पूरी प्रकिया अपनाई जा रही है। जिसमें सबसे पहले सात मदरसों का कायाकल्प करने का संकल्प लिया गया है। जिसमें दो राज्य की राजधानी देहरादून मे होने वाली है। इसके अलावा दो उधमसिंह नगर, दो हरिद्वार और एक नैनीताल के मदरसों में ड्रेस कोड को लागू किया जाएगा।  

बच्चे डॉक्टर व इंजीनियर बने

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने जोर देकर कहा कि हम चाहते है की हमारा बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर बनकर एपीजे अब्दुल कलाम जैसा बने और अपने मां-बाप का नाम दुनिया में रोशन करे। इसी को मद्देनजर रखते हुए यह हमारा पहला कदम है। पीएम मोदी की बात को दोहराते हुए शादाब शम्स ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिले और वह चाहते हैं कि मदरसे में पढ़ने वाले हर बच्चे के एक हाथ में लैपटॉप और दूसरे हाथ में कुरान हो। हालांकि, अब देखना होगा की इस पूरे मामले पर मुस्लिम धर्मगुरूओं की क्या प्रतिक्रिया होने वाली है।

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