कोरोना मरीजों का इलाज और टेस्ट नहीं कराएगी नेपाल सरकार, कहा-खुद उठाएं अपना खर्चा

नेपाल की ओली सरकार चीन के साथ सांठगांठ को लेकर अपने ही देश में घिर चुकी है. चीन के इशारे पर भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर नेपाल की आवाज सवाल खड़े कर रही है. चीन ने नेपाल पर कब्जा करने के लिए ओली को रिश्वत दी है. इसका खुलासा भी मीडिया में हुआ था. उनके स्वीस बैंक एकाउंट्स में जमा हुई भारी रकम के बाद सवाल उठे थे कि ये पैसा चीन द्वारा ओली को व्यक्तिगत तौर दिया गया है. चीन ने नेपाल के कई इलाकों में कब्जा कर लिया है. इसकी तस्दीक स्थानीय प्रशासन कर चुका है लेकिन ओली सरकार इसे मानने के लिए तैयार नहीं है. देश की जनता भड़की हुई है. सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रही है. ऐसे में ओली सरकार ने घोषणा की है कि वो नेपालियों का कोरोना टेस्ट और इलाज नहीं करवाएगी, उसे अपने ही खर्चे पर जांच और इलाज कराना होगा.

नेपाल के स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. जागेश्वर गौतम ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, जो लोग मापदंड में नहीं आते हैं, उन्हें इलाज और परीक्षण का खर्च खुद ही उठाना होगा.

कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच नेपाल सरकार ने सभी वायरस संक्रमित लोगों के इलाज का खर्च उठाने और संक्रमित होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की मृत्यु पर उनके अंतिम संस्कार पर पैसा नहीं खर्च करने का फैसला लिया है.

के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार ने ये फैसला एक हफ्ते पहले लिया था, हालांकि रविवार को कोविड-19 ब्रीफिंग के दौरान इसे सार्वजनिक किया गया. कैबिनेट की बैठक में ये तय किया गया है कि कुछ मानदंडों को पूरा करने वाले लोगों को सरकार सुविधा मुहैया कराएगी, बाकी के संक्रमितों को इलाज़ का खर्च खुद उठाना होगा.

आर्थिक रूप से वंचित, असहाय, अकेले रहने वाली महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक, फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सफाई कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी, सिविल सेवकों (जो जोखिम वाले क्षेत्रों में काम कर रहे हैं) उनकी टेस्टिंग और इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. इनमें से किसी भी व्यक्ति की बीमा पॉलिसी है तो इलाज के खर्च की पूर्ति बीमा पॉलिसी से की जाएगी.

स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. जागेश्वर गौतम ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “जो मापदंड में नहीं आते हैं, उन्हें इलाज के लिए परीक्षण और खर्च खुद उठाना होगा. नेपाल सरकार का ये ताज़ा फैसला रविवार से सभी सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों, कोरोना लैब में लागू कर दिया गया है. नए फैसले से 25 प्रतिशत से अधिक आबादी कोविड-19 के मानक इलाज से वंचित हो जाएगी.

बड़ी संख्या में दैनिक रूप से मज़दूरी करने वाले कोविड-19 मानक टेस्ट जिसकी कीमत निजी प्लैब में 2000 रुपए है करा पाने की स्थिति में नहीं होंगे और प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे. इससे पहले सरकारी अस्पताल और लैब निशुल्क टेस्ट कर रहे थे. इसके साथ ही सरकार ने होम आइसोलेशन में मौजूद कोरोना संक्रमितों की मृत्यु होने पर उनके अंतिम संस्कार से भी दूर रहने का फैसला किया है.

‘डेड बॉडी मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19 गाइडलाइन’ में संशोधन के ज़रिए नेपाल सरकार ने संक्रमितों के होम आइसोलेशन में मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार करने की छूट परिजनों को दी है. नए नियम के मुताबिक परिजनों को ऐसा होने की दशा में पुलिस स्टेशन और स्थानीय प्रशासन को इस बारे में सूचित करना होगा. गाइडलाइन में 60 साल से ऊपर के व्यक्तियों और बच्चों को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने के लिए कहा गया है.

नए नियमों में यह भी कहा गया है कि परिवार के सदस्यों को शव को ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था करने की आवश्यकता होगी, साथ ही शव के करीब जाने वाले व्यक्तियों को दस्ताने, सर्जिकल मास्क, जूते, चश्मा और पूरी आस्तीन की पोशाक पहननी होगी.

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