कोर्ट ने आजम खान को दिया झटका, जौहर यूनिवर्सिटी का टूटेगा मुख्य द्वार

रामपुर: आजम खान द्वारा स्थापित जौहर यूनिवर्सिटी पर संकट के बादल गहरा रहे हैं. जौहर यूनिवर्सिटी का मुख्य द्वार तोड़े जाने के आदेश के खिलाफ रामपुर जिला जज की अदालत में दायर की गई आजम खान की अपील खारिज हो गई है, अब किसी भी समय प्रशासन जौहर यूनिवर्सिटी का मेन गेट गिराए जाने की कार्रवाई कर सकता है.  समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से सीतापुर जेल में बंद हैं. फिलहाल वह लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं, जहां उनका पोस्ट कोरोना ट्रीटमेंट चल रहा है.  

2019 में जौहर यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार को सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण के रूप में अतिक्रमण बताते हुए भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता आकाश सक्सेना हनी ने जौहर यूनिवर्सिटी के गेट को गिराए जाने के लिए जिला प्रशासन से शिकायत की थी. शिकायत के आधार पर एसडीएम सदर रामपुर की अदालत में एक मुकदमा चला था, जिस पर एसडीएम सदर ने जौहर यूनिवर्सिटी के गेट को सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण मानते हुए गिराए जाने के आदेश पारित किए थे. इन्हीं आदेशों के विरुद्ध जौहर यूनिवर्सिटी प्रबंधन द्वारा रामपुर के जिला जज की अदालत में एक अपील दायर की थी, जो खारिज कर दी गई है.  इस बाबत भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने बताया कि जिला जज की अदालत से आजम खान की अपील खारिज हो जाने के बाद अब एसडीएम सदर द्वारा 2019 में जौहर यूनिवर्सिटी के गेट तोड़े जाने का आदेश प्रभावी हो गया है. आकाश सक्सेना ने जिला प्रशासन से अपील की है कि यूनिवर्सिटी के गेट को तोड़कर सरकारी भूमि और पीडब्ल्यूडी द्वारा 13 करोड़ की लागत से बनवाई गई सड़क पर से अतिक्रमण शीघ्र हटाया जाए.

इस संबंध में वादी आकाश सक्सेना ने बताया कि उन्होंने 2019 में एक शिकायत दर्ज कराई थी, कि जौहर यूनिवर्सिटी का जो गेट बना हुआ है वह सरकारी भूमि पर है. पीडब्ल्यूडी ने लगभग 13 करोड़ लागत से सड़क बनवाई गई थी,. जिसपर यह जौहर यूनिवर्सिटी का गेट बना हुआ था. तत्कालीन एसडीएम पीपी तिवारी की कोर्ट में यह वाद दर्ज हुआ था. वहां से एसडीएम सदर ने उस गेट के विरुद्ध जो शिकायत दी थी उसे सही पाया और गेट को तोड़ने के आदेश दिए थे. उसके बाद आजम खान और उनका पक्ष इस फैसले के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में गया, जहां 2 वर्ष तक इस मामले की सुनवाई चली. उन्होंने अपना पक्ष रखा. दोनों लोगों ने पक्ष रखा और आज दोनों अपीलों को खारिज कर दिया गया है इसे खारिज करने के बाद एसडीएम का जो 2 साल पुराना आदेश है वह अब ऐसे का ऐसे ही रहेगा.

वादी ने कहा कि अब मैं प्रशासन से मांग करता हूं, क्योंकि वह आदेश अब पुराना वैसे ही है तो गेट पर कार्रवाई करते हुए सरकारी भूमि से उस गेट को तोड़ा जाए. गांव के लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है तो उस गेट को वहां से हटाया जाना चाहिए. हमारी मांग यह थी कि पीडब्ल्यूडी की जो सड़क बनी हुई है उस सड़क को खाली किया जाए.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें