चीन की तरह भारत ने भी लद्दाख में सैनिकों की संख्या बढ़ानी शुरू कर दी…

नई दिल्ली
भारतीय सेना ने ईस्टर्न लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य दबाव की नीति पर आगे बढ़ते हुए देख चीन को उसी की भाषा में जवाब देने का मन बना लिया है। सेना ने गतिरोध वाले इलाकों में सैनिकों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक, एलएसी पर हालात को लेकर उच्चस्तरीय चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, अतिरिक्त सैनिकों को मौके पर भेजने का काम शुरू भी हो गया है।

दबाव की नीति पर चर्चा

सूत्रों ने बताया कि लगातार तीन-चार दिनों से हालात की उच्च स्तर पर समीक्षा की जा रही है। समीक्षा के दौरान चीन के प्रेसर टैक्टिक्स पर भी गहन चर्चा हुई जिसके बाद तय किया गया कि भारत भी अपने इलाके में सैनिकों की संख्या बढ़ाएगा ताकि चीन की तरफ से संभावित हरकतों का माकूल जवाब दिया जा सके। हालांकि भारत का यह स्टैंड भी बिल्कुल स्पष्ट है कि भारतीय सैनिक अपनी तरफ से कोई ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे तनाव बढ़े। इतना जरूर है कि भारत किसी भी प्रकार के दबाव में आकर अपने इलाके पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा।

चीन ने तैनात किए 2500 सैनिक
सूत्रों ने कहा कि भारत संवेदनशील क्षेत्रों में लंबी तैयारी के लिए तैयार है और वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बनाए रखने पर जोर देगा। ऐसा कहा जा रहा है कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो क्षेत्र और गलवान घाटी में लगभग 2,500 सैनिक तैनात कर दिए हैं तथा वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण और अस्त्र प्रणाली को मजबूत कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उपग्रह से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने एलएसी पर अपनी तरफ रक्षा अवसंरचना को महत्वपूर्ण ढंग से मजबूत किया है और पैंगोंग त्सो क्षेत्र से लगभग 180 किलोमीटर दूर एक सैन्य हवाईअड्डे पर निर्माण गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।

भारत ने भी भेजी तोपें
एक अधिकारी ने कहा कि जब चीन ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ानी शुरू की उसके बाद हमारी तरफ से भी यही कोशिश की गई कि उनके बराबर तैनाती की जाए। तब रिजर्व फोर्स को आगे भेजने का काम शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि फिर हालात को देखते हुए यह तय किया गया कि वहां सैनिकों की संख्या में और इजाफा किया जाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि भारत भी अतिरिक्त सैनिक और तोपें भेजकर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है।

हालात में सुधार नहीं

सूत्रों के मुताबिक, बुधवार से शुक्रवार तक दिल्ली में हुई आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में भी इस मसले को लेकर चर्चा की गई। एक अधिकारी ने कहा कि एलएसी में अभी हालात पहले की तरह ही बने हुए हैं। तनाव बढ़ने वाली कोई नई घटना नहीं हुई है लेकिन चीन के सैनिक अभी पीछे भी नहीं हट रहे हैं। 

समाधान होने तक डटे रहेंगे सैनिक
डिप्लोमेटिक लेवल पर बातचीत जारी है लेकिन जब तक कोई हल नहीं निकलता है तब तक भारतीय सैनिक भी वहां डटे रहेंगे। पूर्वी लद्दाख के कम-से-कम चार इलाकों में दोनों देशों के सैनिक 5 मई से ही एक-दूसरे की आंखों में आंखें डाले खड़ी हैं। इनमें गलवान वैली और पैंगोग लेक के आगे फिंगर एरिया में फिंगर-4 के पास का इलाका भी शामिल है।

संयम बरत रहा है भारत
ध्यान रहे कि भारत लद्दाख में अब तक संयम बरतता रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी ऑनलाइन प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारतीय सैनिकों ने बॉर्डर मैनेजमेंट का बड़ी जिम्मेदारी के साथ सम्मान किया है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय सैनिक मुद्दे को सुलझाने के लिए चीन के साथ हुए द्विपक्षीय समझौतों के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का कठोरता से पालन कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल सीमा प्रबंधन को लेकर (भारत-चीन के) राष्ट्राध्यक्षों के बीच बनी सहमति और उनकी तरफ से निर्धारित दिशानिर्देशों का बहुत बारीकी से अनुपालन करते हैं। हालांकि, उन्होंने फिर से स्पष्ट कर दिया कि अनुशासन का प्रदर्शन करते हुए संप्रभुता की रक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। प्रवक्ता ने कहा, ‘हम भारत की संप्रभुता अक्षुण्ण रखने के प्रति अपने संकल्प में अडिग हैं।’

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