चुनाव में बेटे-बेटियों और भाई को टिकट देने में हलकान भाजपा आलाकमान


 
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं, वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। इस चुनाव में मौजूदा विधायक अपने टिकट को लेकर परेशान तो हैं ही, मंत्री, सांसद और राज्यपालों तक ने भी अपनी विरासत को कायम रखने के लिए बेटे-बेटियों को टिकट दिलवाने में जुट गए हैं। ऐसे परिवारवाद को बढ़ावा देने को लेकर भाजपा आलाकमान हलकान हो गया है। बुधवार यानि 19 जनवरी को पार्टी कम से कम 3 और चरणों के उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। लेकिन बेटे-बेटियों को टिकट देने को लेकर हो रही कवायद के कारण उम्मीदवारों की घोषणा में देरी होना एक बड़ी वजह बनती जा रही है।


देखा जाए तो प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट सीट से अपने बेटे मयंक जोशी को चुनाव लड़ाना चाहती हैं। सलेमपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा अपने छोटे भाई जयनाथ कुशवाहा को भाटपारारानी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने के लिए दावेदारी कर रहे हैं। कानपुर नगर से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी अपने बेटे अनूप पचौरी के लिए कानपुर की गोविंदनगर सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद हैं और उनके बड़े बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं। पार्टी ने दूसरी बार उनको टिकट दे दिया है। इसके अलावा राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह भी लखनऊ कैंट और उत्तरी विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से सांसद व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर की पत्नी जय देवी मलिहाबाद से भाजपा की विधायक हैं। इस बार कौशल किशोर के बेटे विकास किशोर महिलाबाद और दूसरे बेटे प्रभात किशोर सीतापुर की सिधौली सीट से चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे हैं।

 
ऐसे ही आगरा से सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री एस.पी सिंह बघेल की पत्नी टूंडला से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की पथरदेवा सीट से बेटे सुब्रत शाही चुनाव लड़ने की तैयारी में है। ऐसे ही रुद्रपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक और मंत्री जयप्रकाश निषाद भी अपने बेटे को चुनाव लड़ानेकी तैयारी कर रहे हैं, लेकिन निषाद पार्टी भी इस सीट को मांग रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के बेटे दिलीप दीक्षित उन्नाव की पुरवा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इस सीट पर बसपा के बागी अनिल सिंह विधायक हैं और वे भाजपा के साथ आ गए हैं। ऐसे में पार्टी के सामने दिक्कत है कि किसे टिकट दें। योगी सरकार में वित्तमंत्री रहे राजेश अग्रवाल ने 75 वर्ष की आयु की वजह से मंत्री पद छोड़ दिया था। अब वे बरेली कैंट सीट से अपने बेटे आशीष अग्रवाल को चुनाव लड़ाना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने दावेदारी भी कर रखी है। सरकार में सहकारिता मंत्री और ओबीसी चेहरा माने जाने वाले मुकुट बिहारी वर्माकी उम्र 76 वर्ष हो गई हैं, लेकिन चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और साथ ही वे अपने बेटे गौरव के लिए कैसरगंज सीट सेटिकट चाहते हैं। लखनऊ मध्य सीट से विधायक और योगी सरकार में मंत्री बृजेश पाठक भी अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे हैं।

 
इसके अलावा दो राज्यपालों के बेटे भी टिकट के दावेदार में जुटे हुए हैं। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के बेटे रामविलास चौहान ने अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में उतारने का मन बनाया है। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा के अपने बेटे अमित मिश्रा को देवरिया सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं। अब देखना यह होगा कि उम्मीदवारों की आने वाली सूची में किन-किन नेताओं को अपनी विरासत आगे बढ़ाने का मौका मिल पाता है।

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