जाने कोरोना के बाकी वेरिएंट के मुकाबले स्किन पर कितने समय तक जीवित रहता है ओमिक्रॉन

कोरोना वायरस (Coronavirus) का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) कितने समय तक जीवित रहता है, इस सवाल का जवाब अब मिल गया है. जापानी शोधकर्ताओं (Japanese Researchers) के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि ओमिक्रॉन कोरोना के अल्फा, बीटा, डेल्टा और गामा जैसे पहले के वेरिएंट की तुलना में त्वचा और प्लास्टिक पर अधिक जीवित रह सकता है.

इसलिए तेजी से फैल रहा ओमिक्रॉन

हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) का ओमिक्रॉन वेरिएंट स्किन पर 21 घंटे और प्लास्टिक की सतह पर आठ दिन से भी ज्यादा समय तक यह जीवित रह सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यही वजह है कि कोरोना का ये वेरिएंट बाकियों की तुलना में ज्यादा तेजी से फैल रहा है.

मूल वेरिएंट से कहीं आगे

जापान में क्योटो प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 स्ट्रेन के बीच वायरल पर्यावरणीय स्थिरता में अंतर का विश्लेषण किया है. प्रीप्रिंट रिपोजिटरी BioRxiv पर हाल ही में पोस्ट किए जाने वाले इस रिसर्च में पाया गया है कि अल्फा, बीटा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट अपने मुख्य स्ट्रेन की तुलना में प्लास्टिक और त्वचा की सतहों पर दो गुना से भी अधिक समय तक जीवित रहते दिखाई दिए हैं.

प्लास्टिक की सहत पर इतने घंटे 

शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस का अधिक समय तक सतह पर जिंदा रहना उसके प्रसार में योगदान देता है. उनके मुताबिक प्लास्टिक की सतहों पर वायरस का ओरिजनल स्ट्रेन 56 घंटे, अल्फा स्ट्रेन 191.3 घंटे, बीटा 156.6 घंटे, गामा 59.3 घंटे और डेल्टा वेरिएंट 114 घंटे तक जीवित रहने में सक्षम था. वहीं, कोरोना वायरस का लेटेस्ट वेरिएंट ओमिक्रॉन 193.5 घंटे तक जीवित रह सकता है.

स्किन के मामले में ऐसा है हाल 

वहीं, त्वचा पर वायरस के जीवित रहने को लेकर रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना वायरस का मूल स्ट्रेन 8.6 घंटे, अल्फा 19.6 घंटे, बीटा 19.1 घंटे, गामा 11 घंटे, डेल्टा 16.8 घंटा और ओमिक्रॉन वैरिएंट 21.1 घंटे तक जीवित रहता है. शोधकर्ताओं के अनुसार, अल्फा और बीटा वेरिएंट के बीच जीवित रहने के समय में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था और उनके पास समान पर्यावरणीय स्थिरता थी, जो पिछले अध्ययनों के परिणामों के अनुरूप है.

Sanitisers का इस्तेमाल है जरूरी

शोधकर्ताओं ने कोरोना के वेरिएंट पर इथेनॉल आधारित सैनिटाइजर की प्रभावशीलता का भी विश्लेषण किया. इस दौरान पाया गया कि अल्फा, बीटा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट ने पर्यावरणीय स्थिरता में वृद्धि के जवाब में इथेनॉल के प्रतिरोध में मामूली वृद्धि दिखाई. जबकि त्वचा की सतह पर, सभी वीओसी 35 प्रतिशत इथेनॉल के 15-सेकंड के संपर्क से पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए थे. इसलिए संक्रमण से बचने के लिए सैनिटाइजर से हाथ साफ करते रहना बेहद जरूरी है. 

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