डायरी के पन्नों में हुए सनसनीखेज खुलासे, अंग्रेजी-मलयालम में लिख रखा था पूरा प्लान व कोडवर्ड

पीएफआई अब एक खूंखार आर्गेनाईजेशन में तब्दील हो चुका है, अब सभी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क हो जाना चाहिए, इन लोगों ने कई स्क्वाड बना रखे हैं, उन्हें आर्म्स की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं, यह कोई सामाजिक काम नहीं है. ये बात मैं नहीं कह रहा ये बात कही है यूपी एटीएस के आईजी अमिताभ यश ने. ये बात तब कही गई जब पीएफआई के दो सदस्य पकड़े गए. और उसके बाद जिस तरह के खुलासे हो रहे हैं. जी हाँ देश भर में पीएफआई अब नासूर बनते जा रहा है. एक ऐसा घाव जिसका इलाज अगर समय पर नहीं हुआ तो ये देश के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो. कटटरपंथ का ज़हर फैलाने वाले का आरोपी पीएफआई इस्लामिक शिक्षा की आड़ में क्या करता है उसकी कहने यूपी पुलिस से जानिये. और समझिये. क्यूंकि अब इसकी स्क्रिप्ट भी सामने आ गई है.

जी हां देश भर को घाव देने की तैयार करने वाले, और देश की आबो हवा में बारूद की गंध फैलाने वाले गिरफ्तार पीएफआई के दोनों कमांडरों से एसटीएफ की पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि आतंक फैलाने की साजिश साल भर पहले रची गई थी. इसमें भीड़ पर बड़े पैमाने पर हमले की योजना थी. इसे सीएए और एनआरसी के हिंसक आंदोलन को असफल होने के बाद अंजाम देने की तैयारी थी. लेकिन पीएफआई के कई नेताओं की गिरफ्तारी व कोविड-19 के कारण लॉक डाउन के चलते साजिश टाल दी गई थी. उस साजिश को इसी फरवरी के अंत में अंजाम देना था.

न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़ एसटीएफ के अफसरों के अनुसार दोनों के पास इससे जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं. इनमें एक साल पहले की डायरी के पन्ने पर आतंकी हमले की योजनाबद्ध तरीके से तैयारी का जिक्र है. पीएफआई के कमांडर अंसद बदरुद्दीन और फिरोज खान ने एसटीएफ की पूछताछ में कुबूल किया है कि साल भर पहले ही भीड़ पर हमले की योजना थी. मगर संगठन के लोगों की गिरफ्तारी और कोरोना के कारण लोगों के बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई तो इसे टालना पड़ा.

इन दोनों के पास से डायरी के कुछ पन्ने मिले हैं. और इन पन्नों में जो बातें लिखी है. वो बताती है कि कैसे कब और क्या क्या होना था. इन पन्नों का खुलासा एसटीएफ ने किया है. बता दें दोनों के पास से डायरी का जो पन्ना मिला है वह जनवरी 2020 का है. इसमें कुछ अंग्रेजी व कुछ मलयालम भाषा में कोड वर्ड लिखा है. अंग्रेजी के कोड वर्ड को एसटीएफ व एटीएस ने डीकोड कर लिया है। मलयालम में लिखे कोड के लिए संबंधित भाषा के विशेषज्ञों से संपर्क किया गया. दोनों के पास से एक पेन ड्राइव भी मिला है, जिसमें मलयालम में कई कोड वर्ड लिखे हैं.

सिर्फ यही नहीं बड़े धमाके के लिए, और देश को ज़ख्म देने के लिए भी इन्होने पूरी तैयारी कर रखी थी. एसटीएफ के मुताबिक, दोनों के पास मिला एक विस्फोटक एक बार में 30 मीटर के दायरे में बने हाई राइज बिल्डिंग को जमींदोज कर सकता है. इसका संचालन रिमोट और टाइमर दोनों से किया जा सकता है. बता दें विस्फोटक जैल व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से तैयार किया गया है. एसटीएफ को विस्फोटक सामग्री तो मिल गई है, लेकिन रिमोट डिवाइस नहीं मिला है. दोनों ने कुबूला है कि उन्होंने विस्फोटक बनाना बांग्लादेश में सीखा है.

एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक पीएफआई कमांडरों ने कुबूल किया है कि वे हिंदू संगठनों का खुला विरोध करने वाले दूसरे संप्रदाय के लोगों को सुरक्षा भी प्रदान करते हैं. इसके लिए दोनों ने दक्षिण भारत में हुई सलाउद्दीन शेख की हत्या का जिक्र किया, दोनों ने कहा कि सलाउद्दीन शेख संघ व हिंदू संगठनों का विरोध करता था. उसे हमने सुरक्षा देने की पेशकश की थी. हालांकि इससे पहले ही उसकी हत्या हो गई. उसके परिजनों ने हिंदू संगठनों पर आरोप लगाया है. पीएफआई उसके परिवार की सुरक्षा का इंतजाम कर रही है.

पीएफआई की जड़ कितनी मजबूत हो चुकी है. इसका भी खुलासा एसटीएफ ने किया है पीएफआई ने कई सारे विंग बना रखे हैं. संगठन को निचले स्तर पर मजबूत करने के लिए छात्रों को जोड़ने के लिए स्टूडेंट फेडरेशन बना रखा है, जो स्कूल-कॉलेजों में कार्य करते हैं. संगठन के लोग छात्रों से मिलकर उनका ब्रेन वॉश करते हैं. इसके बाद उनको संगठन से जोड़ते हैं. ये तो छात्रों की बात थी. इसी तरह एक मजबूत लीगल सेल भी बना रखा है, जो पूरे देश में सक्रिय है. हर प्रदेश में बड़ी मजबूत वकीलों की टीम तैयार की है, जो संगठन से जुड़े लोगों को पुलिस द्वारा पकड़ने पर तत्काल कानूनी सहारा लेना शुरू कर देता है. यह दोनों संगठन एक इशारे पर सक्रिय हो जाते हैं.

पीएफआई के हर शहर में नेटवर्क हैं. वहां के बड़े नेताओं व समाजसेवियों की सूची बना रखी थी. एसटीएफ को मिले दस्तावेजों में करीब 400 नाम भी शामिल हैं, जो देश के कई शहरों से जुड़े थे. ऐसे लोगों पर नजर रखने के लिए संगठन के सदस्यों को निर्देश दिया गया था और बड़े नेताओं व समाजसेवियों के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर निगरानी रखनी थी. ताकि उनके हर कदम के बारे में जानकारी हासिल हो सके.

उनको साफ निर्देश था कि ऐसे लोगों को फॉलो नहीं करना है. उनसे जुड़े लोगों के नेटवर्क पर नजर रखने से पूरी जानकारी मिल जाएगी. यहां तक अपना सोशल साइट बनाने के दौरान फोटो या सेल्फी की डीपी लगाने की साफ मनाही थी. दोनों ने सोशल मीडिया पर सक्रिय अपने संगठन के कई लोगों के नाम भी कुबूले हैं.

अब इतने खुलासे हुए हैं और न जाने अभी और क्या क्या खुलासे होने बाकी है. बता दें कि देश भर पीएफआई को बैन करने की मांग चल रही है. सिमी के बाद पीएफआई एक ऐसा संगठन बन चुका है जिसके बैन करने की मांग हो रही है. कारण यही है कि देश भर में हाल फिलहाल में जितने भी दंगे हुए पीएफआई का हाथ सबमे लाल ही मिला. फिर चाहे वो दिल्ली दंगा हो या फिर बेंगलुरु दंगा.

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