भाई के बाद अब पिता की भी हुई कोरोना से मौत, परिवार में कोई मर्द नहीं बचा तो बेटी ने किया अंतिम संस्कार

शाजापुर : कोरोना से मध्य प्रदेश का शाजापुर जिला कराह रहा है, संक्रमण की चपेट में आए कई परिवारों में मातम है। सारंगपुर निवासी एक परिवार में कोरोना ने कोहराम मचा दिया है, घर में चार दिन के अंदर दो लोगों की मौत हो गई है। अब घर में सिर्फ महिलाएं बची हैं। घर की पूरी जिम्मेदारी 25 वर्षीय बेटी तन्वी सक्सेना पर आ गई है। तन्वी ने पहले भाई को मुखाग्नि दी और चार दिन बाद अपने पिता को मुखाग्नि दी है।

सोमवार को श्मशान घाट पर तन्वी ने पीपीई किट पहनकर अपने पिता को मुखाग्नि दी तो चीत्कार से सबका कलेजा कांप गया। आसपास के लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े। लोगों के मुंह से निकल पड़ा- रहम करो भगवान। जानकारी के अनुसार तन्वी 28 अप्रैल को अपने 61 वर्षीय पिता अवधेश सक्सेना (रिटायर्ड शिक्षक), मां करुणा और 32 वर्षीय भाई शुभम के कोरोना से संक्रमित होने पर उपचार के लिए शाजापुर जिला अस्पताल लेकर पहुंची थी। वह अकेले ही तीनों के उपचार के लिए यहां-वहां भागदौड़ कर रही थी। जिला अस्पताल में तीनों का उपचार चल रहा था। 


29 अप्रैल को भाई ने दम तोड़ दिया
अस्पताल में भर्ती होने के अगले ही दिन भाई ने दम तोड़ दिया। माता-पिता को अस्पताल में छोड़कर तन्वी भाई के शव को लेकर शहर के शांति वन पहुंची। बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद बेहाल मां करूणा भी कोरोना वार्ड से उठकर नंगे पैर शांतिवन पहुंच गई। यहां मां-बेटी ने ही शुभम का अंतिम संस्कार किया। तन्वी ने मुखाग्नि देकर दाह संस्कार किया। भाई की अस्थियां भी तन्वी ने शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से एकत्रित की।पिता ने भी साथ छोड़ा

सोमवार तक तन्वी की मां की हालत में सुधार आया है लेकिन पिता अवधेश ने सोमवार को उनका साथ छोड़ दिया। भाई की मौत के चौथ दिन ही पिता की मौत ने मां-बेटी पर एक बार फिर वज्रपात कर दिया। इन विपरीत हालात में तन्वी ने जैसे-तैसे अपनी मां को संभाला और पांच दिन के अंतराल में एक बार फिर वह शव लेकर शांतिवन पहुंची। यहां चचेरी बहन चेतना के साथ उसने पिता का अंतिम संस्कार किया।


परिवार पर कोरोना के कहर और पांच दिन में ही दो लोगों की मौत होने की जानकारी लगने पर गौरक्षा टीम के धर्मेंद्र शर्मा और पत्रकार मनीष सोनी ने पीड़ित परिवार की मदद की। सोमवार को तनवी के पिता के अंतिम संस्कार में लकड़ी, कंडे एकत्रित करने के साथ अन्य कार्यों में मदद की। शहर के अन्य लोगों ने भी तन्वी से चर्चा कर दुख और विपत्ति की इस घड़ी में मदद का भरोसा दिया है।

परिवार के लोगों ने दी सलामी
दुख की इस घड़ी में तन्वी के साथ उसकी चचेरी बहन चेतना हर वक्त खड़ी रही है। श्मशान घाट में तन्वी के साथ उसके चाचा भी मौजूद थे। परिवार के लोग मृतक अवधेश सक्सेना को घर का मुखिया मानते थे। उनकी भतीजी चेतना ने अपने भाई के साथ चाचा को अंतिम संस्कार के वक्त सलामी दी है। इस तस्वीर को देख हर लोगों की आंखें नम हो गईं।

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