मणिपुर में हिंसा रुकी, कर्फ्यू जारी, इंटरनेट, मोबाइल और ट्रेनें बंद, पढ़ें लाइव अपडेट्स

मणिपुर में बुधवार को आदिवासियों के प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़क गई थी। शुक्रवार को पुलिस ने बताया कि हालात अब ठीक हैं, लेकिन 8 जिलों में कर्फ्यू जारी है। 4 दिनों के लिए मोबाइल और इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है। राज्य में आने वाली ट्रेनों पर रोक लगा दी गई है।

वहीं गुरुवार को सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिए थे। हिंसाग्रस्त इलाकों में धारा 144 लागू है। आर्मी और असम राइफल्स की 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। अब तक 9000 लोगों को राहत कैंपों में शिफ्ट किया गया।

CM ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की

गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली। बीरेन सिंह ने गुरुवार को एक वीडियो मैसेज जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी।

इसके अलावा केंद्र ने पूर्वोत्तर राज्य के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती के लिए RAF की टीमों को भी भेजा है। सूत्रों के मुताबिक RAF की पांच कंपनियों को इंफाल एयरलिफ्ट किया गया है, जबकि 15 अन्य जनरल ड्यूटी कंपनियों को भी राज्य में तैनाती के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

आदिवासी और गैर आदिवासी समुदाय भिड़े

ऑल इंडिया ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ने बुधवार को ट्राइबल सॉलिडेरटी मार्च बुलाया था। इसी दौरान आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प हो गई। आदिवासी समुदाय उस मांग का विरोध कर रहा था, जिसमें डिमांड की जा रही है कि गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए।

मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करे और 4 महीने के भीतर केंद्र को रिकमेंडेशन भेजे। इसी आदेश के बाद आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा शुरू हो गई।

हिंसा रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे

पुलिस ने बताया कि आदिवासियों के मार्च में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। इसी दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा भड़क उठी। हालात को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने कई राउंड आंसू गैस के गोले भी दागे, लेकिन हिंसा नहीं रुकी। इसके बाद सेना और असम राइफल्स को बुलाया गया। राज्य के इम्फाल पश्चिम, कैकचिंग थोऊबल, जिरिबाम, बिश्नुपुर, चूड़ाचंदपुर, कांगपोकपी और तेनग्नोउपाल में कर्फ्यू लागू किया गया है।

मणिपुर में 53% से ज्यादा मैतेई, 10 साल से ST स्टेटस की डिमांड

मैतेई एक गैर-आदिवासी समुदाय है। यह मणिपुर की आबादी का 53% हिस्सा है। मुख्य रूप से इस समुदाय के लोग मणिपुर घाटी में रहते हैं। ये पिछले 10 साल से अपने समुदाय को ST स्टेटस दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि म्यांमार और बांग्लादेश के लोग बड़े पैमाने पर राज्य में दाखिल हो गए हैं और उसके चलते इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।

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